‘महिला की जान बचाने को अदालती अनुमति के बिना भी 20 सप्ताह से अधिक के गर्भ को गिरा सकते हैं डॉक्टर’

By भाषा | Published: April 5, 2019 11:07 AM2019-04-05T11:07:31+5:302019-04-05T11:07:31+5:30

Doctor Can Medically Terminate Pregnancy Exceeding 20 Weeks Without HC's Permission If Mother's Life Is In Danger: Bombay HC | ‘महिला की जान बचाने को अदालती अनुमति के बिना भी 20 सप्ताह से अधिक के गर्भ को गिरा सकते हैं डॉक्टर’

‘महिला की जान बचाने को अदालती अनुमति के बिना भी 20 सप्ताह से अधिक के गर्भ को गिरा सकते हैं डॉक्टर’

बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि अगर किसी महिला के जीवन को खतरा हो तो कोई पंजीकृत डॉक्टर अदालत की अनुमति के बिना भी 20 सप्ताह से अधिक के गर्भ का गर्भपात करा सकता है। न्यायमूर्ति ए एस ओका और एम एस सोनक की पीठ ने बुधवार को अपने फैसले में कहा कि हालांकि, जब 20 सप्ताह से अधिक का गर्भ हो और महिला को लगता हो कि इसे जारी रखने से उसके या उसके भ्रूण के मानसिक /शारीरिक स्वास्थ्य के लिए खतरा हो सकता है तो उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय से अनुमति लेनी होगी।

पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को 20 सप्ताह से अधिक का समय पार कर जाने के बाद अपना गर्भपात कराने की इच्छा रखने वाली गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए जिला स्तर पर तीन महीने के भीतर चिकित्सा बोर्ड का गठन करने का भी निर्देश दिया। चिकित्सीय गर्भपात (एमटीपी) अधिनियम के प्रावधानों के तहत 20 सप्ताह से अधिक के गर्भ का गर्भपात नहीं कराया जा सकता। पीठ ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि उच्च न्यायालय में गर्भपात कराने की मांग को लेकर महिलाओं की याचिकाओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

गर्भपात के लिए इन महिलाओं ने भ्रूण के विकास में असमान्यता या गर्भ के रहने से मानसिक /शारीरिक स्वास्थ्य के लिए जोखिम होने का हवाला दिया है। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय आपात स्थिति में महिलाओं को गर्भपात कराने की अनुमति दे सकता है, भले ही इसकी अवधि 20 सप्ताह से अधिक हो गई हो। अदालत ने कहा, ‘‘वैसी स्थिति में जब रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर की राय है कि 20 सप्ताह से अधिक के गर्भ को गर्भवती महिला की जान बचाने के लिये तत्काल गिराना जरूरी है, वैसी स्थिति में अनुमति लेने की कोई आवश्यकता नहीं है।’’

अदालत ने कहा, ‘‘इसलिये अगर किसी चिकित्सक की राय है कि गर्भ को तत्काल चिकित्सीय तरीके से नहीं हटाया गया तो महिला की मौत हो सकती है। उस स्थिति में ऐसे चिकित्सक का कर्तव्य है कि वह गर्भपात की प्रक्रिया शुरू करे और एमटीपी अधिनियम ऐसे चिकित्सकों का बचाव करेगा।’’

पीठ ने कहा कि महिला को वैसी स्थिति में गर्भपात के लिये उच्च न्यायालय की अनुमति लेने की जरूरत होगी, जब गर्भ को रखने से उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान हो सकता है या इस बात का काफी जोखिम है कि जन्म लेने वाला बच्चा असामान्यताओं से ग्रस्त होगा। जब गर्भपात करना महिला की जान बचाने के लिये जरूरी नहीं होगा उस स्थिति में उच्च न्यायालय से अनुमति लेने की आवश्यकता होगी।

पीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि वह ऐसी स्थितियों का समाधान करने के लिये नीति बनाए और राज्य के स्वास्थ्य सचिव से आठ जुलाई तक अनुपालन पर एक हलफनामा मांगा। भाषा चंदन नेत्रपाल सुजाता दिलीप दिलीप

Web Title: Doctor Can Medically Terminate Pregnancy Exceeding 20 Weeks Without HC's Permission If Mother's Life Is In Danger: Bombay HC

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