खुशखबरी! टाइप-2 डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए दुनिया की पहली आयुर्वेदिक दवा की खोज

By उस्मान | Published: January 3, 2020 06:40 PM2020-01-03T18:40:04+5:302020-01-03T18:40:04+5:30

सीएसआईआर ने टाइप-2 डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए एक आयुर्वेदिक दवाई बीजीआर-34 की खोज की है जिसे बहुत असरदार माना जा रहा है।

diabetes treatment : CSIR Developed Anti-Diabetes Medicine | खुशखबरी! टाइप-2 डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए दुनिया की पहली आयुर्वेदिक दवा की खोज

खुशखबरी! टाइप-2 डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए दुनिया की पहली आयुर्वेदिक दवा की खोज

डायबिटीज एक खतरनाक बीमारी है जिसका कोई स्थायी इलाज नहीं है। केवल बेहतर डाइट और लाइफस्टाइल के जरिये इसे कंट्रोल किया जा सकता है। टाइप-2 डायबिटीज के रोगियों के लिए एक खुशखबरी है। डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए आयुर्वेदिक इलाज मिल गया है। 

सरकार द्वारा चलाए जा रहे डायबिटीज मैनेजमेंट कार्यक्रम के अंतर्गत वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने टाइप-2 डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए एक आयुर्वेदिक दवाई बीजीआर-34 की खोज की है जिसे बहुत असरदार माना जा रहा है। विभिन्न शोध में इस आयुर्वेदिक दवाई को टाइप-2 डायबिटीज रोगियों के लिये बहुत कारगर पाया गया है। 

पिछले दिनों लोकसभा में केन्द्रीय आयुष मंत्री श्रीपाद येस्सो नाईक ने कहा था कि देश में डायबिटीज के रोगी काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। अनुमान है कि 2025 तक देश में डायबिटीज के रोगियों की संख्या 6.99 करोड़ तक पहुंच सकती है। इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा था कि वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने रिसर्च के बाद आयुर्वेदिक दवाई बीजीआर-34 को तैयार किया है।


सीएसआईआर (लखनऊ) के डायरेक्टर डॉक्टर एआर त्रिपाठी के अनुसार, 'हमने अपने पारंपरिक पौधों का अध्ययन करने के बाद उन्हें दवाओं के रूप में इस्तेमाल करना शुरू किया। पांच साल के गहन अध्ययन के बाद हम इसमें सफल हो पाए। उन्होंने कहा, 'देश में डायबिटीज के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और इसे देखते हुए ही हमने इस आयुर्वेदिक दवा को तैयार किया है। 

टाइप-2 डायबिटीज क्या है? 
टाइप-1 डायबिटीज बच्चों में होती है जबकि टाइप-2 डायबिटीज 35 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को होती है। यह रोग अक्सर मोटे लोगों को होता है। इस रोग की खास बात यह है कि 50 प्रतिशत रोगियों को तो इसका पता ही नहीं होता है। जब इसके लक्षण नहीं दिखते हैं तो लोग जांच भी नहीं कराते हैं और इसलिए इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है।

टाइप-2 डायबिटीज के लक्षण
इसके अलावा अलग-अलग व्यक्ति में इसके लक्षण अलग-अलग होते हैं, वैसे ही हर व्यक्ति के लिये इसका इलाज भी अलग होता है। किसी को शुरू से ही इंसुलिन देने की जरूरत होती है तो किसी को बाद में। इस बीमारी के लिये निगरानी बहुत जरूरी होती है और इसके रोगी को सप्ताह में कम से कम चार से पाँच बार ग्लूकोज़ चेक करना चाहिये।

टाइप-2 डायबिटीज से बचने के उपाय
इस रोग से बचने का सर्वोत्तम उपाय है कि 45 वर्ष के बाद हर व्यक्ति को डायबिटीज की जांच करवानी चाहिये और जैसे ही पता चले कि डायबिटीज़ है, तो तुरंत डॉक्टर का संपर्क करना चाहिये। क्योंकि डॉक्टर ही आपकी बीमारी के बारे में आपको बेहतर ढंग से समझा सकता है।

Web Title: diabetes treatment : CSIR Developed Anti-Diabetes Medicine

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