लोकसभा में उठी एम्स में किडनी रोगियों के लिए बिस्तरों की संख्या बढ़ाने की मांग

By उस्मान | Published: December 10, 2019 06:23 PM2019-12-10T18:23:12+5:302019-12-10T18:23:12+5:30

1989 में किडनी रोगियों के लिए जो बिस्तरों की संख्या थी, उसमें बढ़ोत्तरी नहीं हुई

Demand for increasing the number of beds for kidney patients in AIIMS arose in Lok Sabha | लोकसभा में उठी एम्स में किडनी रोगियों के लिए बिस्तरों की संख्या बढ़ाने की मांग

लोकसभा में उठी एम्स में किडनी रोगियों के लिए बिस्तरों की संख्या बढ़ाने की मांग

Highlights1989 में किडनी रोगियों के लिए जो बिस्तरों की संख्या थी, उसमें बढ़ोत्तरी नहीं हुईएम्स में दोबारा शुरू हुआ किडनी ट्रांसप्लांट

भाजपा सांसद रामकृपाल यादव ने लोकसभा में कहा कि दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में किडनी रोगियों के लिए बिस्तरों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। उन्होंने सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि एम्स में 1989 में किडनी रोगियों के लिए जो बिस्तरों की संख्या थी, उसमें बढ़ोत्तरी नहीं हुई। ऐसे में एक बार फिर से बिस्तरों की संख्या बढ़ाई जाए। 

कांग्रेस की ज्योति मणि ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों में ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था सही ढंग से लागू की जानी चाहिए। बसपा के रितेश पांडे ने गड़ेरिया समुदाय की आजीविका से जुड़े संकट का मुद्दा उठाया और कहा कि कपड़ा मंत्री को इस पर ध्यान देना चाहिए। कांग्रेस के शशि थरूर ने नर्सों के वेतन में बढ़ोत्तरी की मांग की। शून्यकाल के दौरान मणिकम टैगोर और अदूर प्रकाश, भाजपा की गीताबेन राठवा और क्वीन ओझा तथा कई अन्य सदस्यों ने अलग अलग मुद्दे उठाए।

एम्स में दोबारा शुरू हुआ किडनी ट्रांसप्लांट

बेड की कमी के कारण अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट बंद रखा गया था। लेकिन इसे दोबारा शुरू कर दिया गया है। आपातकालीन वार्ड में किडनी रोगियों के लिए छह बेड हैं। जबकि उनके विभाग में 24 बेड हैं। इसमें से चार बेड ट्रांसप्लांट रोगियों के लिए हैं। करीब 30 साल से एक भी बेड नहीं बढ़ा है। बेड कम होने के कारण ट्रांसप्लांट सुविधा को रोकना पड़ा था।

किडनी ट्रांसप्लांट का नया नियम

दरअसल एम्स को आपातकालीन वार्ड में किसी भी रोगी को 48 घंटे के भीतर वार्ड में शिफ्ट या छुट्टी देने का नियम है। ऐसे में किडनी रोगियों को वहां से वार्ड में भेजना पड़ता है जिसके चलते ट्रांसप्लांट के बाद बेड भी देने पड़ते हैं। अब एम्स प्रबंधन ने ट्रांसप्लांट चालू कराने के लिए विभाग को ये अधिकार दिया है कि वे अपने रोगी को आपातकालीन वार्ड के छह बेड पर रोक सकते हैं।

अभी तक हुए 2,900 ट्रांसप्लांट

टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, किडनी प्रत्यारोपण कराने के लिए 1971 में वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज के बाद एम्स देश का दूसरा अस्पताल था। 1972 के बाद, अब तक 2,900 प्रत्यारोपण एम्स में किए जा चुके हैं। गरीब लोग निजी अस्पतालों में किडनी प्रत्यारोपण नहीं करा सकते, जहां इसकी कीमत 10 लाख रुपये तक हो सकती है। कई सरकारी अस्पतालों में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। यही वजह है कि एम्स पर बोझ बढ़ता जा रहा है।

भारत में हर साल लगभग चार लाख रोगियों को किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है, लेकिन केवल 8,500 ही इसे पाने के लिए भाग्यशाली होते हैं। बाकी या तो डायलिसिस पर जीवित रहते हैं या प्रत्यारोपण के बिना मर जाते हैं। एम्स में 13 डायलिसिस मशीनें हैं, जिनमें से 12 को 1989 में स्थापित किया गया था जब नेफ्रोलॉजी विभाग स्थापित किया गया था।

एम्स में ट्रांसप्लांट सस्ता

एम्स में लगभग 40 हजार रुपये में गरीब मरीजों का किडनी प्रत्यारोपण हो जाता है जबकि निजी अस्पतालों में इसके कुल खर्च की अनुमानित कीमत 8 लाख से 12 लाख रुपये तक है। यानी निजी अस्पतालों में एम्स के मुकाबले 25 गुना अधिक खर्च आता है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

Web Title: Demand for increasing the number of beds for kidney patients in AIIMS arose in Lok Sabha

स्वास्थ्य से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे