Covid-19 Sero-survey : सीरो सर्वे में कोविड-19 से ठीक हुए 30% लोगों में नहीं मिली कोई एंटीबॉडी, जानिये क्यों
By उस्मान | Published: September 16, 2020 10:26 AM2020-09-16T10:26:41+5:302020-09-16T10:26:41+5:30
एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह लोग कोरोना के शुरुआत में ही इसकी चपेट में आ गए हों
कोरोना वायरस का प्रकोप बिल्कुल भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। चीन से महामारी बनकर निकले इस खतरनाक वायरस से देश में अब तक 5,018,034 लोग संक्रमित हो गए हैं और 82,091 लोगों की मौत हो गई।
इस बीच खबर आई है कि राजधानी दिल्ली में अगस्त के प्रथम सप्ताह में किए गए सीरो सर्वे में कोविड-19 से उबरे 257 लोगों में से 79 के शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ कोई एंटीबॉडी नहीं पाई गई।
दिल्ली के 11 जिलों में एक अगस्त से सात अगस्त के बीच लगभग 15 हजार प्रतिरूपात्मक नमूने लिए गए और वायरस के खिलाफ इनमें एंटीबॉडी की मौजूदगी की जांच की गई। इसमें 257 ऐसे लोगों के रक्त के नमूने भी लिए गए जिन्हें कोविड-19 की बीमारी हुई थी और जो बाद में ठीक हो गए।
79 के शरीर में वायरस से लड़ने वाली एंटीबॉडी नहीं
'अगस्त सीरोलॉजिकल सर्वे' की रिपोर्ट में में पता चला कि इन लोगों में से 79 के शरीर में वायरस से लड़ने वाली एंटीबॉडी नहीं थी। यह कवायद दिल्ली में कोविड-19 की स्थिति के समग्र आकलन और इसके आधार पर रणनीति बनाने के उद्देश्य से की गई। इस कवायद में विभिन्न क्षेत्रों, आयु समूह, लिंग और विभिन्न आर्थिक श्रेणियों के लोगों के नमूने लिए गए।
29.1% लोगों में एंटीबॉडी पाई गई
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने पिछले महीने के अंत में इसके परिणामों की घोषणा करते हुए कहा था कि अगस्त में हुए सीरो सर्वे में राष्ट्रीय राजधानी में 29.1 प्रतिशत लोगों में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी पाई गई। पुरुषों में इसका प्रतिशत 28.3 और महिलाओं में इसका प्रतिशत 32.2 रहा।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 से उबरे जिन लोगों में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी नहीं मिली, हो सकता है कि वे कई महीने पहले कोरोना वायरस संक्रमण के शुरुआती चरण में इस महामारी की जद में आए हों।
उन्होंने कहा कि लेकिन अधिकतर मामलों में स्मृति कोशिकाएं वायरस को याद रखेंगी और यदि कोविड-19 से उबरे किसी व्यक्ति पर वायरस फिर से हमला करता है तो ये रोग प्रतिरोध के रूप में जवाब देंगी।
पांच से आठ महीने तक होता है एंटीबॉडी का जीवन चक्र
एंटीबॉडी के जीवनकाल के बारे में जैन ने 20 अगस्त को कहा था कि विशेषज्ञों के अनुसार एंटीबॉडी का जीवन चक्र पांच से आठ महीने तक का होता है, लेकिन शरीर संक्रमण के जवाब में 'टी कोशिकाएं' भी उत्पन्न करता है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि इन 'टी कोशिकाओं' को स्मृति कोशिकाएं भी कहा जाता है और यह अत्यंत दुर्लभ है कि एक बार कोविड-19 की जद में आ चुका व्यक्ति फिर से इसकी जद में आएगा।
अगस्त में हुए सर्वे का काम मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने किया था। इसमें दिल्ली के उत्तर-पूर्वी जिले में सीरो उपलब्धता 29.6 प्रतिशत, दक्षिणी जिले में 27.2, दक्षिण-पूर्वी जिले में 33.2 और नयी दिल्ली में 24.6 प्रतिशत थी।
देश में कोरोना के 50 लाख से अधिक हुए मामले
कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। केंद्र व राज्य सरकारों की लाख कोशिशों के बावजूद भी प्रकोप थमता नजर नहीं आ रहा है। देश में कोरोना के 50 लाख से पार हो गए हैं। इस बीच देश में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना के 90123 नए मामले सामने आए हैं। यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दी गई है।
India's #COVID19 case tally crosses 50-lakh mark with a spike of 90,123 new cases & 1,290 deaths in last 24 hours.
— ANI (@ANI) September 16, 2020
The total case tally stands at 50,20,360 including 9,95,933 active cases, 39,42,361 cured/discharged/migrated & 82,066 deaths: Ministry of Health & Family Welfare pic.twitter.com/94CuzPAAUi
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बुधवार सुबह जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में 1290 मरीजों की मौत हुई है। अबतक 50,20,360 मामले सामने आ चुके हैं, जिसमे से 995933 सक्रिय मामले हैं और 3942361 लाख ठीक हो गए हैं, जिन्हें अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई है। वहीं, 82066 मरीजों की मौत हो चुकी है।
कोविड-19 के उच्च स्तरीय देशव्यापी जांच के माध्यम से समय पर निदान ने उपचार के लिये संक्रमित मरीजों को पृथक-वास में भेजने तथा अस्पताल में भर्ती कराने के लिये बेहतर अवसर प्रदान किया है।
मंत्रालय ने कहा, भारत उन कुछ देशों में है जहां रोजाना बड़ी संख्या में जांच की जा रही है। देश में प्रयोगशालाओं के बेहतर नेटवर्क और इस तरह की अन्य सुविधाओं से इसमें पर्याप्त सहायता मिली है। इस उपलब्धि के आधार पर प्रति दस लाख पर जांच में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।