Covid-19 Vaccine: सीरम इंस्ट्टियूट को मिली मंजूरी, Oxford Vaccine का ट्रायल फिर होगा शुरू

By उस्मान | Published: September 16, 2020 03:01 PM2020-09-16T15:01:04+5:302020-09-16T15:01:04+5:30

Covid-19 Vaccine: यूके में एक वालंटियर में साइड इफेक्ट्स सामने आने के बाद वैक्सीन पर रोक लग गया था

Covid-19 Vaccine update: Serum Institute Gets Nod To Resume clinical trial of Oxford COVID-19 vaccine, know facts, navigability, price, benefits of vaccine in Hindi | Covid-19 Vaccine: सीरम इंस्ट्टियूट को मिली मंजूरी, Oxford Vaccine का ट्रायल फिर होगा शुरू

कोरोना वायरस की वैक्सीन

Highlightsतीसरे चरण के लिए नए प्रतिभागियों को शामिल करने पर रोक का आदेश वापसडीसीजीआई ने क्लिनिकल ट्रायल को लेकर कई शर्तें भी रखीं11 सितंबर को लगा था प्रतिबंध

कोरोना वायरस का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। चीन से निकले इस खतरनाक वायरस से देशभर में 5,020,359 लोग संक्रमित हो गए हैं और 82,091 लोगों की मौत हो गई है। इस बीच एक अच्छी खबर आई है कि भारतीय औषधि महानियंत्रक (DCGI) डॉ वीजी सोमानी ने सीरम इंस्ट्टियूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) को ऑक्सफोर्ड के कोविड-19 टीके का क्लिनिकल ट्रायल देश में फिर से शुरू करने की इजाजत दे दी है।

इतना ही नहीं, इसके तीसरे चरण के लिए नए प्रतिभागियों को शामिल करने पर रोक का आदेश वापस ले लिया है। अध्ययन में शामिल किसी शख्स के बीमार पड़ने और वह किस वजह से बीमार पड़ा है यह समझ नहीं आने के कारण फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेरका ने अन्य देशों में टीके का क्लिनिकल ट्रायल रोक दिया था। 

नई शर्तों के साथ मंजूरी
बहरहाल, डीसीजीआई ने क्लिनिकल ट्रायल को लेकर कई शर्तें भी रखीं हैं जिनमें स्क्रीनिंग के दौरान अतिरिक्त देखभाल करना, अतिरिक्त सूचना देना और अध्ययन के फॉलो-अप के दौरान प्रतिकूल प्रभाव की करीब से निगरानी शामिल है। प्रतिकूल प्रभाव के प्रबंधन के लिए प्रोटोकॉल के अनुसार एसआईआई से उपयोग की जाने वाली दवा का विवरण डीसीजीआई कार्यालय में देने को भी कहा गया है। 

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11 सितंबर को लगा था प्रतिबंध
इसीके साथ डीसीजीआई ने 11 सितंबर को एसआईआई को निर्देश दिया था कि वह ऑक्सफोर्ड के कोविड-19 के टीके के दूसरे और तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के लिए नए प्रतिभागियों को शामिल करना अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दे। 

ब्रिटेन में फिर शुरू हुआ क्लिनिकल ट्रायल
ब्रिटेन-स्वीडन की बायोफार्मास्यूटिकल एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफॉर्ड विश्वविद्यालय ने शनिवार को कहा कि मेडिसिन हेल्थ रेगुलेटरी ऑथोरिटी (एमएचआरए) ने पुष्टि की है कि क्लिनिकल ट्रायल सुरक्षित है, जिसके बाद कोरोना वायरस के टीका का क्लिनिकल ट्रायल ब्रिटेन में फिर शुरू कर दिया गया है। 

एसआईआई कोविड-19 के संभावित टीके के विनिर्माण में एस्ट्राजेनेका का साझेदार है। उसने मंगलवार को ब्रिटेन के डेटा एंड सेफ्टी मॉनिटर बोर्ड (डीएसएमबी) और भारत के डीएसएमबी की सिफारिशों को जमा किया था और क्लिनिकल ट्रायल में लोगों को फिर से शामिल करने की इजाजत मांगी थी। 

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डीसीजीआई द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, ब्रिटेन के डीएसएमबी ने सिफारिश की है कि जांचकर्ताओं ने कुछ शर्तों के साथ टीके का क्लिनिकल ट्रायल फिर से शुरू कर दिया है। भारत के डीएसएमबी ने भी सिफारिश की है कि अध्ययन को जारी रखा जाए एवं कुछ शर्तों के साथ प्रोटोकॉल के तहत क्लिनिकल ट्रायल में शेष प्रतिभागियों को शामिल किया जाए। 

टीके का कोई गंभीर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा
आदेश के मुताबिक, एसआईआई ने संशोधित प्रतिभागी सूचना शीट, संशोधित सूचित सहमति फॉर्म और प्रतिभागियों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा निगरानी योजना जमा कराई है। पुणे की कंपनी ने पहली बार टीका लगाने के सात दिन बाद के सुरक्षा जांच का सारांश भी जमा कराया है और कहा कि आज की तारीख तक किसी को भी कोई गंभीर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है और जो प्रतिकूल प्रभाव पड़े हैं वह मामूली थे और अपने आप ठीक हो गए। 

कोरोना का इलाज खोजने में सबसे आगे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी

ऑक्सफोर्ड की यह वैक्सीन कोरोना के इलाज में सबसे आगे है और इसका पहले से ही यूके, ब्राजील और साउथ अफ्रीका में फेज II/III ट्रायल चल रहा है। अगर यह वैक्सीन मानव परीक्षणों में सफल होती है, तो कोरोना वायरस का इलाज संभव हो सकता है। एस्ट्राज़ेनेका ने अमेरिका के लिए 400 मिलियन और यूके के लिए 100 मिलियन का उत्पादन करने के लिए सौदों पर हस्ताक्षर किए हैं। 

ChAdOx1

विश्व स्वास्थ्य संगठन की नवीनतम गणना के अनुसार, दो दर्जन से अधिक प्रायोगिक टीकों का मनुष्यों में परीक्षण किया जा रहा है और 160 से अधिक विकास के पहले चरणों में हैं।

ऑक्सफोर्ड की ChAdOx1 कोविड-19 वैक्सीन क्या है?

ऑक्सफोर्ड की AZD1222 वैक्सीन आनुवंशिक रूप से engineered वायरस से बनी है, जो चिंपैंजी में कॉमन फ्लू का कारण बनता है। हालाँकि, वायरस को संशोधित किया गया है ताकि यह लोगों में संक्रमण का कारण न बने और कोरोना वायरस की नकल भी कर सके।

कैसे काम करती है ChAdOx1 वैक्सीन

वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के 'स्पाइक प्रोटीन' के आनुवंशिक निर्देशों को स्थानांतरित करके ऐसा किया। ऐसा इसलिए किया गया था ताकि वैक्सीन कोरोना वायरस से मिलता जुलता हो और प्रतिरक्षा प्रणाली इस पर हमला करना सीख सके।

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