Covid-19 vaccine: कोरोना वायरस वैक्सीन के ट्रायल में सामने आये 3 बड़े साइड इफेक्ट्स
By उस्मान | Published: October 15, 2020 04:36 PM2020-10-15T16:36:23+5:302020-10-15T16:36:23+5:30
कोरोना वायरस की वैक्सीन के दुष्प्रभाव : अब तक तीन बड़ी कंपनियों की कोविड-19 वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स सामने आये हैं जोकि पूरी दुनिया के लिए बड़ा झटका है
कोरोना वायरस का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। चीन से निकले इस खतरनाक वायरस से दुनियाभर में 1,091,730 लोगों की मौत हो गई है और 38,422,084 लोग संक्रमित हुए हैं। कोविड-19 का कोई स्थायी इलाज या टीका अभी तक उपलब्ध नहीं हुआ है। हालांकि कई वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में है और संभावना है कि अगले साल तक कोई न कोई टीका उपलब्ध हो जाएगा।
वैक्सीन को कोरोना से निपटने के लिए एक मजबूत हथियार के रूप में देखा जा रहा है लेकिन अब इसके भी दुष्प्रभाव सामने नजर आने लगे हैं। ह्यूमन ट्रायल के दौरान कई वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स नजर आये हैं जिसकी वजह से ट्रायल को बीच में ही रोकना पड़ा है।
माना जा रहा है कि टीका सभी के लिए अनुरूप नहीं हो सकता, विशेष रूप से कमजोर श्रेणियों से संबंधित लोगों के लिए। चलिए जानते हैं कि अभी तक कोरोना वैक्सीन के कौन-कौन से साइड इफेक्ट्स अभी तक देखने को मिले हैं।
जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स
हाल ही में अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन को अपनी कोरोना वायरस की वैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण को रोकना पड़ा है। बताया जा रहा है कि यह परीक्षण इसलिए रोकना पड़ा है क्योंकि ट्रायल के दौरान 6000 वालंटियर्स में से एक में 'अस्पष्टीकृत' बीमारी की सूचना मिली थी।
हालांकि ने कंपनी से इस बात से इनकार कर दिया और कहा कि यह 'अध्ययन ठहराव' का हिस्सा था न कि 'नियामक या सुरक्षा 'की वजह से ऐसा करना पड़ा।
खैर, इस परीक्षण ने स्पष्ट कर दिया है कि हमें कोरोना वायरस की वैक्सीन के लिए सिर्फ एक ही उम्मीदवार पर निर्भर रहने के लेकर पहले सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी।
दिलचस्प बात यह है कि जॉनसन और जॉनसन की वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड वैक्सीन की तरह ही तैयार किया गया है, जिसमें सामान्य कोल्ड वायरस का उपयोग किया जाता है।
एली लिली ने रोका कोरोना वैक्सीन का ट्रायल
अमेरिका की एक और फार्म कंपनी एली लिली के वैज्ञानिकों ने भी तीसरे चरण के दो ट्रायल्स को रोक दिया है। हालांकि यह पता नहीं लग पाया है कि किस घटना की वजह से ये फैसला लिया गया है।
यह एक एंटीबॉडी कॉकटेल है, जो एक निवारक खुराक के रूप में काम करती है। यह उस समय विवादों में आई, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने उपचार के दौरान इसकी प्रभावकारिता दरों की प्रशंसा की थी।
एली लिली की हालिया दोषपूर्ण खोज ने केवल यह साबित किया है कि कोरोना वायरस के खिलाफ हमारी लड़ाई में पूरी तरह से किसी एक थेरेपी पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के भी दिखे दुष्प्रभाव
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वायरस वैक्सीन 'ChAdOx1 n' इस दौड़ में सबसे आगे है। हालांकि इस वैक्सीन के भी साइड-इफेक्ट सामने आने की खबर आई थी।
एस्ट्राजेनेका ने शुरुआत में कुछ नहीं बताया था और कहा था कि इंग्लैंड में एक वॉलंटियर 'गंभीर रूप से' बीमार हो गया। हालांकि बाद में पता चला कि ट्रायल के दौरान एक वॉलंटिअर में ट्रांसवर्स मायलाइटिस की कंडीशन पैदा हो गई थी। इसमें रीढ़ की हड्डी में सूजन हो जाती है जो इन्फेक्शन की वजह से हो सकती है।
जिस वक्त ऑक्सफर्ड वैक्सीन का ट्रायल रोका गया था तब अमेरिका, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत समेत 60 लोकेशंस पर फेज 3 क्लिनिकल ट्रायल चल रहा था। भारत में अगस्त महीने में इसके फेज 2 और 3 ट्रायल को मंजूरी दी गई थी।
कोरोना संकट का सामना कर रही पूरी दुनिया को अब सिर्फ वैक्सीन का इंतजार है। परीक्षण के दौरान वैक्सीन के इस तरह के दुष्प्रभाव सामने आने से एक बड़ा झटका लगा है।