COVID-19 treatment: कोरोना वायरस के इलाज में कितनी असरदार है 'रेमडेसिविर' दवा ?, जानिए कीमत
By उस्मान | Published: April 20, 2021 09:26 AM2021-04-20T09:26:34+5:302021-04-20T09:34:21+5:30
रेमडेसिविर दवा को लेकर हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है, जानिये कितनी जरूरी है यह दवा
कोरोना वायरस की दूसरी लहर में जब मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं और अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है, तो एक दवा 'रेमडेसिविर' (Remdesivir) दोबारा से चर्चा में आ गई है।
कोरोना वायरस का वैसे तो कोई स्थायी इलाज नहीं है लेकिन इसके गंभीर लक्षणों के लिए इस दवा का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह चर्चा में इसलिए बनी हुई है क्योंकि देश में इसकी भारी कमी की रपटें आ रही हैं।
रेमडेसिविर क्या है ?
यह दवा इंजेक्शन के रूप में आती है। यह SARS-CoV-2 वायरस के इलाज के लिए FDA द्वारा अनुमोदित पहली दवा थी। यह अस्पताल में भर्ती वयस्कों और 12 वर्ष की आयु के बच्चों और कम से कम 40 किलोग्राम वजन वाले मरीजों को दी जा सकती है।
रेमडेसिविर को लेकर कई अध्ययन हुए हैं और उनके रिजल्ट के आधार पर इसे मंजूरी मिली है। परिणामों से पता चला है कि जिन रोगियों को यह दावा दी गई उनके ठीक होने की दर 31% अधिक थी। इतना ही नहीं इससे ठीक होने का औसत समय 10 दिन था जबकि प्लेसबो नाम की दवा से मरीज 15 दिनों में ठीक हुए।
कोरोना के इलाज में कितनी कारगर रेमडेसिविर
कोरोना के मरीजों को रेमडेसिविर, हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन और पेरासिटामोल जैसी दवाएं दी जा रही हैं। एक अध्ययन में पाया गया है कि एंटीवायरस दवा 'रेमडेसिविर' सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित लंगूरों में वायरस की मात्रा कम करता है और उन्हें फेफड़ों का रोग नहीं होने देता।
पशुओं में सार्स-सीओवी को रोकने में प्रभावी
दवा जर्नल 'नेचर' में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि कोरोना वायरस के मरीजों को शुरू में ही यह दवा देने से उन्हें निमोनिया नहीं होता। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि रेमडेसिविर का दायरा काफी व्यापक है और यह पशुओं में सार्स-सीओवी और मेर्स-सीओवी में संक्रमण को रोकने में काफी प्रभावी साबित हुई है।
निमोनिया नहीं होने देती रेमडेसिविर
जर्नल 'नेचर' में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि कोरोना वायरस के मरीजों को शुरू में ही यह दवा देने से उन्हें निमोनिया नहीं होता। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि रेमडेसिविर का दायरा काफी व्यापक है और यह पशुओं में सार्स-सीओवी और मेर्स-सीओवी में संक्रमण को रोकने में काफी प्रभावी साबित हुई है।
फेफड़ों को नुकसान से बचने में सहायक
उन्होंने बताया कि दवा का परीक्षण कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों में किया जा रहा है। अनुसंधानकर्ता एमी डी विट और उनके सहयोगियों ने रेमडेसिविर के प्रभाव का बंदरों की पुरानी प्रजाति पर अध्ययन किया और पाया कि जिन लंगूरों को यह दवा दी गई उनमें सांस संबंधी बीमारी के लक्षण नहीं पाए गए और उनके फेफड़ों को भी कम क्षति पहुंची है।
मरीजों में पांच दिन में लक्षणों में सुधार देखा गया
रेमडेसिविर एक एंटीवायरल दवा है जिसका इस्तेमाल वायरल संबंधी रोगों में किया जाता है। अमेरिका के कैलिफोर्निया की एक बायोटेक कंपनी का कहना है कि इसकी प्रायोगिक दवा रेमडेसिविर को कोविड-19 से मामूली रूप से बीमार, अस्पताल में भर्ती मरीजों को पांच दिन तक देने पर लक्षणों में सुधार देखा गया है।
भारत में रेमडेसिविर की कीमत
वनइंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना के बढ़ते मरीजों को राहत देते हुए केंद्र ने रेमडेसिविर की कीमतों में लगभग 2,000 रुपये की कटौती की है। अब दवा 899 रुपये में खरीदी जा सकती है। हालांकि कई कई फार्मा कंपनियों ने पहले से इसकी कीमतें महंगी की हुयी थी जिसमें कटौती होने के बाद भी यह दवा ३ हजार रुपये तक मिल सकती है।