Covid-19 treatment: भारत में कोरोना वायरस के क्या-क्या इलाज हैं? जानिये अब तक कैसे सही हुए 68 लाख मरीज

By उस्मान | Published: October 21, 2020 04:02 PM2020-10-21T16:02:48+5:302020-10-21T16:02:48+5:30

भारत में कोरोना वायरस से सही होने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है

Covid-19 treatment in India: What are the different treatment options for patients infected with COVID-19 in India | Covid-19 treatment: भारत में कोरोना वायरस के क्या-क्या इलाज हैं? जानिये अब तक कैसे सही हुए 68 लाख मरीज

कोरोना वायरस का इलाज

Highlightsभारत में 7,651,107 लोग संक्रमित हो चुके हैं अब तक 115,950 लोगों की मौत हो गई है और 6,795,103 मरीज ठीक

कोरोना वायरस से भारत में 7,651,107 लोग संक्रमित हो चुके हैं जिनमें से 115,950 लोगों की मौत हो गई है और 6,795,103 मरीज ठीक हो गए हैं। सवाल यह है कि जब कोरोना वायरस का कोई स्थायी इलाज नहीं है, तो मरीज कैसे सही हो रहे हैं?

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश में इस समय 7,40,090 उपचाराधीन मरीज हैं और यह कुल संक्रमितों का 9.67 प्रतिशत है। भारत में रोजाना कोविड-19 मरीजों के ठीक होने की उच्च दर के साथ अधिक मरीजों के संक्रमण मुक्त होने का सिलसिला भी जारी है। मंत्रालय ने बताया कि गत 24 घंटे में देश में 61,775 कोविड-19 मरीज ठीक हुए जबकि इस अवधि में 54,044 नये लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई। 

रोजाना बड़ी संख्या में लोगों के संक्रमण मुक्त होने की वजह से राष्ट्रीय स्तर पर संक्रमण मुक्त होने की दर लगातार बढ़ रही है और यह करीब 89 प्रतिशत (88.81) तक पहुंच गई है। मंत्रालय ने बताया कि ठीक हो रहे मरीजों में से 77 प्रतिशत मरीज 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के हैं।

जाहिर है कोरोना वायरस का अभी तक कोई स्थायी इलाज या टीका उपलब्ध नहीं हुआ है। हालांकि कई टीकों का परीक्षण अंतिम चरण में है और संभावना है कि अगले साल के मध्य तक बाजार में कोई टीका आ सकता है। 

फिलहाल मरीजों का इलाज विभिन्न बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के जरिये किया जा रहा है। इस बीच कई फार्म कंपनियों ने कोरोना के लक्षणों में आराम देने वाली विभिन्न दवाएं भी बाजार में उतारी हैं। 

कोरोना के लक्षणों के लिए कई इलाज हैं और इनमें कौन-सा सबसे अच्छा है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि कोई कितना बीमार है। उदाहरण के लिए, डेक्सामेथासोन जैसे स्टेरॉयड गंभीर रूप से बीमार रोगियों के लिए मरने का जोखिम कम कर सकते हैं। लेकिन इनका इस्तेमाल हल्के लक्षणों वाले मरीजों के लिए नहीं किया जाता है। 

भारत में कोरोना वायरस के मरीजों के लिए प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन अब खबर आई है कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों के लिए जीवन रक्षक के रूप में जाने जा रहे इस इलाज को नेशनल क्लिनिकल प्रोटोकॉल से हटाने का फैसला किया है। 

अगर किसी के लक्षण गंभीर नहीं है तो उसे अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है। अस्पतालों में ऑक्सीजन भी लक्षणों की गंभीरता को देखकर दिया जा रहा है। 

फिलहाल किसी विशिष्ट दवाओं की सिफारिश नहीं की गई है और स्टेरॉयड का उपयोग करने के खिलाफ चेतावनी दी गई है। अस्पताल में भर्ती उन मरीजों को अतिरिक्त ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, जिन्हें सांस लेने में ज्यादा परेशानी होती है। 

कोरोना के इलाज में एंटीवायरल ड्रग रेमेडिसविर को शामिल किया गया है और डॉक्टर गंभीरता को देखते हुए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। 

हालांकि, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करने वाली कुछ दवाओं को अध्ययनों ने कोरोनावायरस के खिलाफ अप्रभावी पाया है।

देश में फेविपिराविर का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह एक एंटीवायरल है जो शरीर में वायरल को फैलने से रोकती है। इसे एंटी-इन्फ्लूएंजा दवा के रूप में काम लिया जाता है।

कई जगहों पर टोसिलिजुमैब दी जा रही है जोकि एक इम्यूनोसप्रेसेन्ट दवा है। इसका उपयोग आमतौर पर गठिया के इलाज में किया जाता है। इसका विशेषकर उपयोग मुंबई में वेंटिलेटर पर रहे 100 संक्रमितों पर किया गया है।

डॉक्सीसाइक्लिन और आइवरमेक्टिन का भी उपयोग हो रहा है। डॉक्सीसाइक्लिन एक एंटीबायोटिक दवा है। इसका उपयोग मूत्र, आंख या श्वांस नली में संक्रमण होने पर किया जाता है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ) 

Web Title: Covid-19 treatment in India: What are the different treatment options for patients infected with COVID-19 in India

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