Covid-19: अमेरिकी वैज्ञानिकों का दावा, कोरोना वायरस पर 6 हफ्तों में पाया जा सकता है काबू, जानिये कैसे

By उस्मान | Published: November 26, 2020 01:44 PM2020-11-26T13:44:59+5:302020-11-26T13:50:23+5:30

कोरोना वायरस को रोकने के उपाय : जिनमें कोरोना वायरस का कोई लक्षण सामने नहीं आया, उन पर इस उपाय को अपनाया जा सकता है

Covid-19: study claims, Mass and frequent rapid testing for COVID-19 could make a large dent in the pandemic within six weeks | Covid-19: अमेरिकी वैज्ञानिकों का दावा, कोरोना वायरस पर 6 हफ्तों में पाया जा सकता है काबू, जानिये कैसे

कोरोना को रोकने के उपाय

Highlightsअध्ययन साइंस एडवांसेस पत्रिका में 20 नवंबर को प्रकाशित कोविड-19 की रैपिड टेस्टिंग के जरिये यह मुमकिनरैपिड टेस्ट कम लागत वाले और परिणाम जल्दी देते हैं

कोरोना वायरस का प्रकोप कम होने का नाम नहीं ले रहा है। चीन से निकले इस खतराक वायरस से दुनियाभर में अब तक 60,741,004 संक्रमित हो गए हैं और 1,427,119 लोगों की मौत हो गई है। 

कोरोना के लिए फिलहाल कोई स्थयी इलाज या टीका नहीं आया है। हालांकि कई टीकों का अंतिम ट्रायल जारी है और अगले साल तक कोई न कोई टीका आ सकता है। फिलहाल कोरोना को रोकने और इसके इलाज के लिए विभिन्न उपायों और दवाओ का इस्तेमाल किया जा रहा है। 

इस बीच वैज्ञानिकों ने कहा है कि अगर बड़े पैमाने पर आबादी को कोविड-19 की रैपिड टेस्टिंग से गुजारा जाए तो सिर्फ छह हफ्तों में 'महामारी पर काबू' पाया जा सकता है। यह दावा हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने किया है। यह साइंस एडवांसेस पत्रिका में 20 नवंबर को प्रकाशित हुआ है।

बिजनेस इनसाइडर की एक रिपोर्ट के अनुसार, हार्वर्ड में टीएच चेन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ और यूनिर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर के विशेषज्ञों ने बताया कि हालांकि रैपिड टेस्ट कम भरोसेमंद होते हैं, लेकिन ऐसे लोगों में बड़े पैमाने पर टेस्ट को आजमाया जा सकता है जिनमें कोरोना वायरस संक्रमण का कोई लक्षण सामने नहीं आया है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि रैपिड टेस्ट कम लागत वाले होते हैं और लैब की विविधता से जुड़े दिनों के बजाय कुछ ही मिनटों में परिणाम देते हैं। अगर अमेरिका की आधी आबादी का साप्ताहिक परीक्षण किया गया तो इसका प्रभाव काफी बढ़ जाएगा।

उन्होंने बताया कि इसक फायदा ये होगा कि लॉकडाउन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और इस तरह स्वास्थ्य अधिकारियों को लक्षित हस्तक्षेप हासिल करने में मदद मिलेगी।

शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर कोविड-19 रैपिड टेस्ट के जरिए कोरोना पॉजिटिव लोगों को पहचान कर बाकी लोगों से अलग-थलग कर दिया जाए, तो महामारी पर रोक लगाने का विशाल प्रभाव देखने को आएगा।

कोलोराडो यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर वैज्ञानिक डेनियल लारेमोर ने कहा, 'जब बहुत बड़ी आबादी को टेस्ट करने की बात हो तो जरूरी है कि ऐसे कम संवेदनशील टेस्ट पर भरोसा किया जाए जो फौरन नतीजा दे, न कि ऐसे अधिक प्रभावी टेस्ट पर जिसका नतीजा कई दिनों बाद सामने आए।

भारत में कोविड-19 के मामले बढ़कर 92.66 लाख हुए 

भारत में एक दिन में कोविड-19 के 44,489 नए मामले सामने आने के बाद देश में संक्रमण के मामले बढ़कर 92.66 लाख हो गए, जिनमें से 86.79 लाख लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में अभी तक कोविड-19 के 92,66,705 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं 524 और लोगों की मौत के बाद मृतक संख्या बढ़कर 1,35,223 हो गई।

देश में अभी 4,52,344 लोगों का कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज चल रहा है। ये संख्या बुधवार को उपचाराधीन लोगों की संख्या से 7,598 अधिक है। हालांकि देश में लगातार 16 दिनों से उपचाराधीन लोगों की संख्या पांच लाख से कम है।

आंकड़ों के अनुसार उपचाराधीन मामलों की संख्या कुल मामलों की 4.88 प्रतिशत है। देश में कुल 86,79,138 लोगों के संक्रमण मुक्त होने के साथ ही देश में मरीजों के ठीक होने की दर बढ़कर 93.66 प्रतिशत हो गई है।

Web Title: Covid-19: study claims, Mass and frequent rapid testing for COVID-19 could make a large dent in the pandemic within six weeks

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