COVID-19 medicine: कोरोना के इलाज के लिए वैज्ञानिकों को मिल गई सस्ती और असरदार दवा, जानें कीमत, प्रभाव, दुष्प्रभाव
By उस्मान | Published: November 14, 2020 10:55 AM2020-11-14T10:55:09+5:302020-11-14T10:58:29+5:30
कोरोना वायरस का इलाज : आपको अस्पताल में भर्ती होने से रोक सकती है यह दवा
कोरोना वायरस का प्रकोप कम होने का नाम नहीं ले रहा है। चीन से निकले इस खतरनाक वायरस के स्थायी इलाज के लिए कोई दवा या टीका उपलब्ध नहीं हुआ है। फिलहाल कोरोना के लक्षणों के इलाज के लिए विभिन्न रोगों में इस्तेमाल होने वाली दवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है।
इस बीच वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन में दावा किया है कि अवसाद के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा फ्लुवोक्सामाइन (fluvoxamine) कोरोना वायरस के गंभीर रोगियों के इलाज में और अस्पताल में भर्ती होने से रोकने के लिए प्रभावी है। यह अध्ययन जामा जर्नल में प्रकाशित हुए हैं।
कोरोना वायरस नई बीमारी है जिसके इलाज किये अभी कोई दवा नहीं है इसलिए इसके लक्षणों के लिए अलग-अलग दवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है। फिलहाल फैवीपिरावीर (शुरू में जापानी फ्लू का इलाज करने के लिए डिजाइन किया गया) और रेमेडिसविर (इबोला से लड़ने के लिए विकसित) को क्रमशः कोरोना का इलाज करने के लिए एफडीए से मंजूरी मिली है।
फ्लुवोक्सामाइन क्या है?
फर्स्टपोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, फ्लुवोक्सामाइन आमतौर पर चिंता, अवसाद और ओसीडी के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है। यह चयनात्मक सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर (SSRIs) नामक दवाओं के एक वर्ग से संबंधित है जो शरीर में सिग्मा-1 प्रोटीन के साथ मिलती है और सूजन को कम करने में मदद करती है। गंभीर कोविड-19 रोगियों में अनियंत्रित सूजन और साइटोकिन स्ट्रोम मृत्यु दर के संभावित कारण हैं।
पिछले शोधों से पता चला है कि यह दवा जानवरों में सूजन और सेप्सिस को कम कर सकती है, जो कि एक सूजन समर्थक साइटोकाइन IL-6 को अवरुद्ध कर सकता है।
यूएस एफडीए के अनुसार, फ्लुवोक्सामाइन 25 ग्राम, 50 ग्राम और 100 ग्राम गोलियों में उपलब्ध है और आमतौर पर बच्चों को तब तक नहीं दिया जाता है जब तक कि डॉक्टर सुझाव न दे। ऐसा इसलिए है क्योंकि फ्लुवोक्सामाइन बच्चों और किशोरों में आत्मघाती सोच और व्यवहार को बढ़ा सकता है।
दवा कई अन्य दवाओं के साथ भी प्रतिक्रिया कर सकती है और इससे कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं जिनमें मतली, अपच, घबराहट, मुंह सूखना, राइनाइटिस, पसीना, अनिद्रा और एनोरेक्सिया शामिल हैं।
ऐसे हुआ अध्ययन
शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में हल्के से मध्यम रोग के साथ 152 कोरोना मरीजों को (जो घर पर ठीक होने की कोशिश कर रहे हैं) को शामिल किया। सभी रोगियों को 10 अप्रैल से 5 अगस्त, 2020 के बीच बीमारी होने की पुष्टि की गई। उनकी औसत आयु 46 वर्ष और ऑक्सीजन की संतृप्ति कम से कम 92 प्रतिशत या उससे अधिक थी।
प्रतिभागियों को दो समूहों में विभाजित किया गया था और उन्हें 15 दिनों के लिए दिन में 100 ग्राम फ़्लूवोक्सामाइन (80 मरीज़) या एक प्लेसबो (72 मरीज़) दिए गए थे।
15 दिनों के बाद, फ़्लूवोक्सामाइन समूह में किसी भी प्रतिभागी ने नैदानिक गिरावट की सूचना नहीं दी। दूसरी ओर, प्लेसबो समूह में 72 में से छह रोगियों में लक्षणों की गिरावट देखी गई।
दुनियाभर में कोरोना से 5 करोड़ से अधिक मामले
दुनियाभर में अब तक 53,746,944 लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि 1,309,408 लोगों की मौत हो गई है। इससे सबसे ज्यादा अमेरिका प्रभावित हुआ है और यहां संक्रमितों की संख्या 11,064,364 हो गई है और मरने वालों का आंकड़ा 249,975 हो गया है।