कोरोना वैक्सीन के दुष्प्रभाव सामने आने के बाद एक और बुरी खबर, कोविड-19 में कारगर साबित नहीं हो रही 'प्लाज्मा थेरेपी'
By उस्मान | Published: September 9, 2020 02:26 PM2020-09-09T14:26:31+5:302020-09-09T15:51:06+5:30
कोरोना वायरस : एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोविड-19 वैक्सीन के दुष्परिणाम सामने आने के बाद अब इस खबर से वैज्ञानिकों और चिकित्सकों को तगड़ा झटका लगा है
एक तरफ कोरोना वायरस का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है और दूसरी तरफ इसके इलाज और टीके की खोज में जुटे वैज्ञानिकों को एक के बाद एक बुरी खबर मिल रही है। एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोविड-19 वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स सामने आने के बाद अब खबर आ रही है कि कॉन्वलसेंट प्लाज्मा (सीपी) थेरेपी कोरोना वायरस संक्रमण के गंभीर मरीजों का इलाज करने और मृत्यु दर को कम करने में कोई खास कारगर साबित नहीं हो रही है।
सीपी थेरेपी के प्रभाव के लिए 39 अस्पतालों में हुआ परीक्षण
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा वित्त पोषित बहु-केंद्रीय अध्ययन में यह पाया गया है। कोविड-19 मरीजों पर सीपी थेरेपी के प्रभाव का पता लगाने के लिए 22 अप्रैल से 14 जुलाई के बीच 39 निजी और सरकारी अस्पतालों में 'ओपन-लेबल पैरलल-आर्म फेज द्वितीय मल्टीसेन्टर रेंडमाइज्ड कंट्रोल्ड ट्रायल' (पीएलएसीआईडी ट्रायल) किया गया।
सीपी थेरेपी में कोविड-19 से उबर चुके व्यक्ति के रक्त से एंटीबॉडीज ले कर उसे संक्रमित व्यक्ति में चढ़ाया जाता है, ताकि उसके शरीर में संक्रमण से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सके। अध्ययन में कुल 464 मरीजों को शामिल किया गया।
गंभीर मरीजों के इलाज में कारगर नहीं
आईसीएमआर ने बताया कि कोविड-19 के लिए आईसीएमआर द्वारा गठित राष्ट्रीय कार्यबल ने इस अध्ययन की समीक्षा कर इससे सहमति जताई। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 27 जून को जारी किए गए कोविड-19 के ‘क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल’ में इस थेरेपी के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी। अध्ययन में कहा, 'सीपी मृत्यु दर को कम करने और कोविड-19 के गंभीर मरीजों के इलाज करने में कोई खास कारगर नहीं है।'
अध्ययन के अनुसार, कोविड-19 के लिए सीपी के इस्तेमाल पर केवल दो परीक्षण प्रकाशित किए गए हैं, एक चीन से और दूसरा नीदरलैंड से। इसके बाद ही दोनों देशों में इसे रोक दिया गया था।
AstraZeneca COVID-19 vaccine के दुष्प्रभाव आए सामने, परीक्षण पर स्थायी रूप से रोक
कोरोना वायरस का टीका बनाने की दौड़ में सबसे आगे चल रही एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (AstraZeneca and University of Oxford) द्वारा विकसित कोविड-19 वैक्सीन का परीक्षण स्थायी रूप से रोक दिया गया है। बताया जा रहा है कि ट्रायल के दौरान यूनाइटेड किंगडम में एक वालंटियर में इसके गंभीर दुष्प्रभाव देखने को मिले हैं।
एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ सबसे आशाजनक रूप में देखा जा रहा है। जाहिर है इस खबर से पूरी दुनिया को एक बड़ा झटका लगा है।
कंपनी कर रही जांच
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी अब जांच कर रही है कि गंभीर साइड इफेक्ट वाले मरीज की रिपोर्ट इस वैक्सीन के शॉट से जुड़ी है या नहीं। कोविड-19 वैक्सीन की दौड़ में सबसे आगे रहने वाली इस कंपनी ने 8 सितंबर को एक बयान में कहा कि कंपनी ने फिलहाल टीकाकरण को रोक दिया।
यूके में देखने को मिले संभावित दुष्प्रभाव
कंपनी ने अपनी वैक्सीन के संभावित दुष्प्रभावों के बारे में किसी भी जानकारी को प्रकट नहीं किया है। लेकिन स्वास्थ्य और चिकित्सा विषयों पर रिपोर्टिंग करने वाली वेबसाइट STAT ने सबसे पहले परीक्षण में विराम की रिपोर्ट करते हुए कहा कि यूनाइटेड किंगडम में इसके संभावित दुष्प्रभाव सामने आए हैं।
अमेरिका में होना है 30,000 लोगों पर परीक्षण
एस्ट्राजेनेका के एक प्रवक्ता ने अमेरिका और अन्य देशों में टीकाकरण के अध्ययन को रोकने की पुष्टि की है। पिछले महीने के आखिर में एस्ट्राजेनेका ने टीके के अपने सबसे बड़े अध्ययन के लिए अमेरिका में 30,000 लोगों की भर्ती शुरू की थी। ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में हजारों लोगों पर इस वैक्सीन का परीक्षण चल रहा है।
ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्राज़ेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने मिलकर कोरोना वायरस के इलाज की वैक्सीन बनाई है। शोधकर्ताओं ने इसे प्रारंभिक चरण के नैदानिक परीक्षणों में सुरक्षित पाया है। हाल ही में द लैंसेट मेडिकल जर्नल में प्रकाशित परिणामों के अनुसार, AZD1222 वैक्सीन, ChAdOx1 नामक एक चिम्पांजी एडेनोवायरस पर आधारित है, जो कि एंटीबॉडी और टी-सेल इम्यून रेस्पोंस है।
कोरोना का इलाज खोजने में सबसे आगे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी
ऑक्सफोर्ड की यह वैक्सीन कोरोना के इलाज में सबसे आगे है और इसका पहले से ही यूके, ब्राजील और साउथ अफ्रीका में फेज II/III ट्रायल चल रहा है। अगर यह वैक्सीन मानव परीक्षणों में सफल होती है, तो कोरोना वायरस का इलाज संभव हो सकता है। एस्ट्राज़ेनेका ने अमेरिका के लिए 400 मिलियन और यूके के लिए 100 मिलियन का उत्पादन करने के लिए सौदों पर हस्ताक्षर किए हैं।