Coronavirus: 93, 88 साल के भारत के सबसे बुजुर्ग जोड़े ने कैसे जीती कोरोना से जंग, कैसे मिली इतनी ताकत, क्या था डाइट प्लान
By भाषा | Published: April 1, 2020 11:57 AM2020-04-01T11:57:34+5:302020-04-01T11:57:34+5:30
केरल के 93 और 88 वर्षीय पति-पत्नी ने अपनी सादी जीवन शैली और पौष्टिक भोजन की मदद से इस बीमारी को हरा कर सभी के सामने मिसाल पेश की है।
ऐसे वक्त में जब पूरी दुनिया में ज्यादातर बुजुर्ग कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ जीवन की लड़ाई हार रहे हैं, केरल के 93 और 88 वर्षीय पति-पत्नी ने अपनी सादी जीवन शैली और पौष्टिक भोजन की मदद से इस बीमारी को हरा कर सभी के सामने मिसाल पेश की है। कई दिन तक गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती रहने के बाद दोनों के कोरोना वायरस संक्रमण से पूरी तरह मुक्त होने को मेडिकल समुदाय 'चमत्कार' बता रहा है।
बेहतर डाइट ने दिया साथ
अस्पताल के पृथक वार्ड में भर्ती रहने के दौरान भी 93 वर्षीय थॉमस अब्राहम ने अपने खाने-पीने का अंदाज नहीं बदला था। वहां भी वह पझनकांजी (चावल से बना व्यंजन), कप्पा और कटहल ही खा रहे थे।
बेटे से हुआ था इन्फेक्शन
थॉमस और मरियम्मा (88) को यह संक्रमण इटली से पिछले महीने लौटे उनके बेटा, बहु और पोते से लगा। लेकिन अब परिवार के पांचों सदस्य संक्रमण मुक्त हो गए हैं और एक साथ रहने की राह देख रहे हैं।
शराब तथा सिगरेट को कभी नहीं लगाया हाथ
डॉक्टरों का कहना है कि इस बुजुर्ग जोड़े को संभवत: बुधवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। दोनों कोट्टायम मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती थे। बातचीत के दौरान थॉमस के पोते रिजो मॉन्सी ने हंसते हुए कहा, ऐसा लगता है कि दोनों अपनी जीवन शैली के कारण स्वस्थ हो पाए हैं।
उन्होंने बताया कि उनके दादा पथनमथिट्टा जिले के रानी में किसानी करते हैं और शराब तथा सिगरेट को हाथ भी नहीं लगाते हैं। वह हंसते हुए कहते हैं, 'जिम गए बगैर भी दादा के सिक्स पैक ऐब्स हैं।'
किसी चमत्कार से कम नहीं उनका ठीक होना
इटली में रेडियोलॉजी के क्षेत्र में काम करने वाले रिजो का कहना है, 'यह चमत्कार है कि वे इस महामारी से बच गए। डॉक्टरों और स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें बचाने का हरसंभव प्रयास किया।' रिजो और उनके माता-पिता वर्षों से इटली में रहे रहे हैं। उन्होंने अपने दादा-दादी के इलाज के लिए राज्य सरकार की प्रशंसा की।
रिजो ने बताया, 'हम अगस्त में केरल आने वाले थे, लेकिन दादा जी ने कहा कि जल्दी आ जाओ, इसलिए हम आ गए। लेकिन, अब लगता है कि यह अच्छा ही हुआ वरना अभी हम इटली में होते।'
खाने-पीने का रखते हैं विशेष ध्यान
रिजो से उनके दादा-दादी के पसंदीदा भोजन के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया, 'दादा को पझनकांजी, कप्पा और चक्का पसंद है जबकि दादी मछली पसंद से खाती हैं।' पझनकांजी, पके हुए चावल (भात) से बना व्यंजन है, जिसमें रात को भात में पानी डालकर छोड़ दिया जाता है और वह सुबह तक फर्मेंट हो जाता है।
कप्पा एक प्रकार का जड़ है जिससे सब्जी और चिप्स आदि बनते हैं। चक्का केरल में कटहल को कहते हैं। उन्होंने बताया कि पृथक वार्ड में रहने के दौरान भी थॉमस पझनकांजी और नारियल की चटनी, कप्पा ही खाने के लिए मांगते थे और उन्हें यही दिया गया।
उन्होंने कहा, 'वे लोग (दादा दादी) हमारे आने (इटली से) और घर को हंसी मजाक से भर देने का इंतजार कर रहे थे। लेकिन.... अब हम उनके घर लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। हमें बताया गया है कि उन्हें संभवत: बुधवार को अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी।'
नर्सों और डॉक्टरों का मिला पूरा सपोर्ट
रिजो ने बताया, 'दादा दादी को उम्र संबंधी दिक्कतें भी थीं। लेकिन कोट्टायम मेडिकल कॉलेज के नर्सों और डॉक्टरों ने उन्हें अपने परिवार की तरह माना और उनका ख्याल रखा। हमारा जिस तरह से ख्याल रखा गया, उसके लिए हम सरकार, स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हैं।'