Coronavirus Treatment: इस खास थेरेपी से सिर्फ 3 से 7 दिन में ठीक हो सकता है कोरोना का मरीज, जानें कीमत

By उस्मान | Published: April 16, 2020 09:49 AM2020-04-16T09:49:16+5:302020-04-16T09:49:16+5:30

कोरोना के मरीजों का इलाज करने के लिए अमेरिका और चीन सहित कई देशों में इस उपचार का सहारा लिया जा रहा है और रिजल्ट भी बेहतर मिल रहे हैं

Coronavirus treatment: doctors claim blood plasma therapy can cure patients within 3-7 days, what is plasma therapy, cost in Hindi | Coronavirus Treatment: इस खास थेरेपी से सिर्फ 3 से 7 दिन में ठीक हो सकता है कोरोना का मरीज, जानें कीमत

Coronavirus Treatment: इस खास थेरेपी से सिर्फ 3 से 7 दिन में ठीक हो सकता है कोरोना का मरीज, जानें कीमत

कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। इससे अब तक दुनियाभर में 2,083,326 लोग संक्रमित हो चुके हैं और 134,616 लोगों की मौत हो गई है. कोरोना का कोई स्थायी इलाज नहीं है। हालांकि वैज्ञानिक निरंतर इसकी दवा खोजने में जुटे हैं। इस बीच कोरोना के इलाज में ब्लड प्लाज्मा थेरेपी (blood plasma therapy) को काफी हद तक कारगर माना गया है।

अमेरिका चीन सहित कई देशों में इस थेरेपी के जरिये कोरोना प्रभावित मरीजों का इलाज किया जा रहा है और उसके बेहतर रिजल्ट सामने आ रहे हैं। इस थेरेपी में सही हुए मरीज का प्लाज्मा लेकर मरीज का इलाज किया जाता है। 

ब्लड प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना वायरस के मरीज 3 से 7 दिनों के भीतर सही हो जा रहे हैं। यह खुलासा त्रिवेंद्रम स्थित चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी में प्रोफेसर हेड डॉक्टर देवाशीष गुप्ता ने किया है। 

इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि एक डोनर प्लाज्मा का इस्तेमाल करके दो से पांच मरीजों को ठीक किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि एक मरीज को ठीक करने के लिए लगभग 200-250 मिली प्लाज्मा की आवश्यकता होती है। अध्ययनों के आधार पर अमेरिका और चीन में देखा गया है इस थेरेपी से तीन या सात दिन में मरीज सही हो जाता है।

प्लाज्मा ट्रीटमेंट क्या है (What is plasma treatment)

इन परीक्षण में कोविड-19 की चपेट से बाहर आए मरीजों के रक्त से प्लाज्मा निकालकर बीमार रोगियों को ठीक करने के लिए दिया जाता है। उन लोगों में पहले से ही एंटीबॉडी मौजूद हैं जो वायरस को दूर भगाते हैं। उनका उपयोग दूसरे रोगी के लिए भी किया जा सकता है। शोधों से पता चलता है कि यह संक्रमित की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।

ठीक हुए मरीज का प्लाज्मा कब ले सकते हैं ?

उन्होंने बताया कि ठीक हुए मरीज और प्लाज्मा लेने के बीच कम से कम 28 दिनों का अंतराल होना चाहिए. हम ठीक हुए रोगियों की सूची बनाकरउनसे  संपर्क करेंगे और प्लाज्मा डोनेट करने के लिए उनकी काउंसलिंग करेंगे। फिर इकट्ठे हुए प्लाज्मा को विभिन्न क्लीनिकों में वितरित किया जा सकता है।

कोरोना के किन मरीजों को प्लाज्मा दिया जा सकता है?

डॉक्टर ने बताया कि जिन मरीजों को प्लाज्मा दिया जा सकता है उनके लिए भी दिशा-निर्देश हैं। सामान्य तौर पर वायरस से गंभीर रूप से प्रभावित और श्वसन संक्रमण से पीड़ित मरीजों को प्लाज्मा दिया जा सकता है। 

अमेरिका और चीन में शुरू हो चुका है प्लाज्मा ट्रीटमेंट

अमेरिका और इंग्लैंड में इसे लेकर इसका परीक्षण शुरू हो चुका है, वहीं चीन दावा कर रहा है कि उसने इस प्लाज्मा थैरेपी से मरीजों को ठीक किया है। फरवरी के मध्य में चीन के 20 ऐसे नागरिकों ने अपने प्लाज्मा दान किए जो कोविड-19 से ठीक हो चुके थे। वुहान में उनके इन प्लाज्मा का उपयोग कई मरीजों पर किया गया, जिन्हें उपचार में मदद भी मिली। ये 20 लोग ऐसे डॉक्टर व नर्से थीं जो वायरस की चपेट में आई थीं।

डब्ल्यूएचओ ने माना कारगर इलाज

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस थेरेपी को बेहतर माना है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग एक 'बहुत ही मान्य' दृष्टिकोण है, लेकिन परिणाम को अधिकतम करने के लिए समय महत्वपूर्ण है। यह थेरेपी रेबीज और डिप्थीरिया जैसे इन्फेक्शन के खिलाफ प्रभावी साबित हुआ है।

प्लाज्मा थेरेपी की कीमत

हालांकि प्लाज्मा ट्रीटमेंट का नकारात्मक पक्ष यह है कि यह थेरेपी महंगी और सीमित है। एक ठीक हुए मरीज से एक दान से उपचार की केवल दो खुराक मिल सकती है।

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