Coronavirus: 17 साल की लड़की ने बनाया वायरस को नष्ट करने वाला मास्क, हैरान हुए डॉक्टर, जानें कब आएगा बाजार में
By उस्मान | Published: April 29, 2020 10:27 AM2020-04-29T10:27:30+5:302020-04-29T11:02:39+5:30
आज जब पूरी दुनिया के बड़े-बड़े वैज्ञानिक और डॉक्टर कोरोना से जंग लड़ रहे हैं, ऐसे में इस बच्ची के आविष्कार ने सबको हैरान कर दिया है
कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में तबाही मची हुई है और इससे अब तक 217,983 लोगों की मौत हो चुकी है और 31 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। कोरोना वायरस का अभी तक कोई इलाज नहीं मिला है। हालांकि दुनियाभर के तमाम वैज्ञानिक और डॉक्टर दिन-रात इसका इलाज खोजने में जुटे हैं।
कोरोना वायरस के खिलाफ हर कोई अपने-अपने लेवल पर जंग लड़ रहा है। अब इस जंग में पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले की एक दसवीं कक्षा की छात्रा दिगंतिका बोस भी शामिल हो गई हैं। दिगंतिका ने एक ऐसा मास्क बनाया है जो वायरस को नष्ट कर सकता है। चलिए जानते हैं इस मास्क की क्या-क्या खूबियां हैं।
फेमिना की एक रिपोर्ट के अनुसार, दिगंतिका को इस मास्क को बनाने में एक हफ्ते का समय लगा और उसके बाद इसे मेडिकल टेस्ट के लिए भेज दिया गया। अब इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय से मंजूरी मिलनी बाकी है जिसके बाद इसे कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा।
दरअसल नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन एक प्रतियोगिता 'चैलेंज कोविड-19' का आयोजन किया था जिसमें इस 17 वर्षीय लड़की ने हिस्सा लिया था और यहीं पर इस मास्क का डिजाइन तैयार हुआ था।
यह मास्क कैसे काम करता है?
बोस ने बताया कि यह दो दिशाओं में लगाए गए एक-तरफ़ा वाल्व और दो दिशाओं में लगाए गए फिल्टर से दो गुना बड़ा मास्क और वाल्व दो अलग-अलग चैम्बर्स से जुड़े होते हैं। सांस लेने के दौरान इनमें से एक वाल्व फ़िल्टर की गई हवा को फेफड़ों तक पहुंचाने की अनुमति देता है और अगर यह हवा के माध्यम से प्रवेश करने की कोशिश करता है तो फ़िल्टर वायरस को मारता है।
उसने आगे बताया, 'जन मरीज सांस छोड़ता है या छींकता है, तो उसके फेफड़े से निकलने वाली कोरोना वायरस वाली बूंदें दूसरे कक्ष से जुड़े एक वाल्व से होकर गुजरेंगी और फंस जाएंगी और इसका लिपिड प्रोटीन कवर नष्ट हो जाएगा।
मास्क बनाने का आइडिया कैसे आया
बोस ने कहा, 'जिस दिन लॉकडाउन की घोषणा की गई थी। मुझे पता चला कि कोई टेस्ट नहीं होगा। यह तब से मेरे दिमाग में है। मैंने इसके लिए विशेष अध्ययन भी किया है। इसमें सात या आठ दिन लगे। मैंने देखा कि हर कोई साधारण मास्क पहन कर घूम रहा है। हालांकि, यह वायरस को रोकता नहीं है, इसलिए, मैंने कुछ प्रभावी तरीके से मास्क विकसित करने के लिए सोचा।
कब आएगा बाजार में
फिलहाल इस मास्क को विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय से मंजूरी मिलनी बाकी है। इसकी मंजूरी मिलने के बाद इसका उत्पादन शुरू हो सकता है और कोरोना के मरीजों के इलाज में इसका इस्तेमाल शुरू किया जा सकता है। इसकी कीमत क्या होगी यह अभी देखना बाकी है।