COVID-19 treatment:देश का पहला 'प्लाज्मा बैंक' दिल्ली में शुरू, कौन, कैसे और क्यों करेगा प्लाज्मा डोनेट, क्या प्लाज्मा से बचेगी मरीजों की जान ?
By उस्मान | Published: July 14, 2020 03:49 PM2020-07-14T15:49:26+5:302020-07-14T15:56:49+5:30
Coronavirus plasma treatment: एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्लाज्मा के जरिये कोरोना पीड़ितों की जिंदगी बचाई जा सकती है
कोरोना वायरस के मरीजों का प्लाज्मा थेरेपी के जरिये इलाज कराने के उद्देश्य से राजधानी दिल्ली में भारत का एकमात्र प्लाज्मा बैंक (Plasma Bank) चल रहा है। कोरोना वायरस के रोगियों में प्लाज्मा की बढ़ती मांग को देखते हुए इसे शुरू किया गया है।
अब प्लाज्मा डोनेट करने वाले लोग इस एक वन-स्टॉप सेंटर पर जाकर प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं। इससे पहले प्लाज्मा आसानी से उपलब्ध नहीं हो रहा था और अगर कोई प्लाज्मा डोनेट भी करना चाहता था तो उसे पता ही नहीं होता था कहां जाना है और कैसे प्लाज्मा डोनेट करना है।
दिल्ली में कहां पर है प्लाज्मा बैंक
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी को आसान बनाने के लिए जून में ही देश के इस पहले प्लाज्मा बैंक को इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बायिलरी साइंसेज (ILBS) में शुरू किया गया है।
प्लाज्मा बैंक क्या है और इसे क्यों बनाया गया है?
प्लाज्मा बैंक किसी ब्लड बैंक की तरह काम करता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए बनाया गया है, जो कोविड-19 से पीड़ित थे और इलाज कराकर सही हो गए हैं, ताकि उनके डोनेट किये प्लाज्मा से अन्य मरीजों का इलाज हो सके।
प्लाज्मा बैंक कैसे काम करता है
प्लाज्मा बैंक का मुख्य कार्य उन रोगियों से संपर्क करना है, जो कोरोना पॉजिटिव थे और इलाज कराकर घर लौटे हैं। बैंक उनसे संपर्क करता है और प्लाज्मा डोनेट करने की मांग करता है ताकि कोरोना के अन्य मरीजों को इस थेरेपी के जरिये इलाज किया जा सके।
दिल्ली में 7 अस्पतालों में होगा प्लाज्मा थेरेपी से इलाज
दिल्ली में सात अस्पतालों को कोविड-19 रोगियों पर इन परीक्षणों का संचालन करने की अनुमति है। ये ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS), मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (MAMC) इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बायिलरी साइंसेज (ILBS), इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल, बत्रा हॉस्पिटल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, राम मनोहर लोहिया (RML) और मैक्स अहॉस्पिटल (साकेत) हैं।
प्लाज्मा कौन डोनेट कर सकता है?
जो लोग कोरोना पॉजिटिव थे और अब वो सही हो गए हैं वो लोग प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं। शर्त यह है कि उन्हें ठीक हुए कम से कम 14 दिन हो गए हों। हालांकि डॉक्टर डोनेट करने के लिए कम से कम तीन हफ्ते का समय देते हैं।
प्लाज्मा डोनेट करने वाली की उम्र 18 से 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए और उसका वजन 50 किलोग्राम से कम नहीं होना चाहिए। जिन महिलाओं ने जन्म दिया है वे पात्र नहीं हैं, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान (भ्रूण के रक्त के संपर्क में आने के बाद) वे एंटीबॉडी फेफड़ों के कार्य में बाधा डाल सकती हैं।
डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और कैंसर जैसी समस्याओं से पीड़ित लोगों को इससे बाहर रखा गया है। एक बार जब आप केंद्र में पहुंच जाते हैं, तो डॉक्टर एक विस्तृत चिकित्सा इतिहास लेगा और शारीरिक परीक्षा (ऊँचाई, वजन, रक्तचाप, तापमान, फेलोबोटॉमी के लिए पर्याप्त नसों) की जांच करेगा।
प्लाज्मा डोनेट करने से पहले क्या टेस्ट किया जाता है?
लैब में कई टेस्ट किये जाते हैं जिनमें सीरम प्रोटीन और सीबीसी, हेपेटाइटिस बी वायरस के लिए टीटीआई टेस्ट, हेपेटाइटिस सी वायरस, एचआईवी, मलेरिया और सिफलिस और एंटीबॉडी स्क्रीनिंग।
प्लाज्मा डोनेट करने के लिए किस्से संपर्क करें
अगर कोई मरीज प्लाज्मा दान करने के लिए योग्य और इच्छुक है तो वह 1031 पर कॉल कर सकता है या 831007722 व्हाट्सएप नंबर पर कांटेक्ट कर सकता है। डॉक्टरों की एक टीम फिर पात्रता की पुष्टि करने के लिए रोगी के संपर्क में आएगी। उसके घर एक वाहन भेजा जाएगा।