वैज्ञानिकों का दावा, कोरोना के खिलाफ प्रभावी है पशुओं को दी जाने वाली यह दवा, वायरस के एंजाइम को करती है बेअसर
By भाषा | Published: May 29, 2020 09:25 AM2020-05-29T09:25:26+5:302020-05-29T10:00:49+5:30
बताया जा रहा है कि पशुओं को दी जाने वाली सूजन रोधी दवाएं-‘कारप्रोफेन’ और ‘सेलेकोक्सिब’ काफी असरदार है
अनुसंधानकर्ताओं ने एक अध्ययन में कहा है कि दो सूजन रोधी दवाएं उस एंजाइम पर अंकुश लगा सकती हैं जिसकी वजह से कोरोना वायरस शरीर में जाने के बाद अपना प्रजनन करता है या अपनी प्रतिकृति तैयार करता है। इनमें से एक दवा मानव को और एक दवा पशुओं को दी जाती है।
‘इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मॉलिक्यूलर साइंसेज’ में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट में विभिन्न दवा एजेंसियों द्वारा मानव और पशुओं के लिए सुझाई गईं 6,466 दवाओं का अध्ययन करने के लिए कंप्यूटर तकनीकों का सहारा लिया गया।
स्पेन स्थित यूनिवर्सिटैट रोविरा के अनुसंधानकर्ताओं ने यह अध्ययन किया कि क्या इन दवाओं का इस्तेमाल वायरस के ‘एम-प्रो’ नाम के उस एंजाइम पर अंकुश लगा सकता है जो प्रतिकृति बनाने में इस घातक विषाणु की मदद करता है।
उन्होंने पाया कि मानव और पशुओं को दी जाने वाली सूजन रोधी दवाएं-‘कारप्रोफेन’ और ‘सेलेकोक्सिब’ विषाणु प्रतिकृति बनाने में कोरोना वायरस की मदद करने वाले एंजाइम को अवरुद्ध कर सकती हैं।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि यह खोज टीका बनाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है जिससे कोविड-19 का अंत हो सकता है।
उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के समन्वय से हुए कुछ अन्य परीक्षण भी विषाणु रोधी ‘लोपिनाविर’ और ‘रिटोनाविर’ जैसी दवाओं के माध्यम से ‘एम-प्रो’ एंजाइम पर अंकुश लगाने पर ही केंद्रित हैं।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि 6,466 दवाओं में से सात दवा ऐसी हैं जो एम-प्रो पर अंकुश लगा सकती हैं।
भारत में 4 वैक्सीन पर चल रहा है काम
प्रधानमंत्री के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के. विजय राघवन ने कहा है कि कोविड-19 वायरस की प्रकृति को देखते हुए देश में 4 तरह की वैक्सीन पर काम किया जा रहा है।
कोविड-19 वैक्सीन की खोज को लेकर कंपनियां शोध और विकास कार्य में लगी हुई हैं। कुछ कंपनियां इस साल के अंत तक और कुछ फरवरी तक वैक्सीन बना सकती हैं. राघवन ने कहा कि देश में 4 तरह से वैक्सीन तैयार हो रही हैं।
पहले तरीके में एमआरए वैक्सीन बनाई जा रही है। इसमें वायरस का जेनेटिक मेटेरियल लेकर इसे तैयार किया जाता है. दूसरे तरीके में स्टैंडर्ड वैक्सीन बन रही है। इसमें वायस का एक कमजोर वर्जन लिया जाता है, यह फैलता है, लेकिन इससे बीमारी नहीं होती।
तीसरे तरीके में किसी और वायरस के बैकबोन में संक्रमण फैलाने वाले वायरस के प्रोटीन कोडिंग रीजन को लगाकर वैक्सीन बनाते हैं। चौथे तरीके में वायरस का प्रोटीन लैब में तैयार कर दूसरे स्टिमूलस के साथ लगाते हैं।
चार तरह की वैक्सीन अलग-अलग भूगोलिक परिस्थितयों या वातावरण में वायरस की प्रकृति में बदलाव को ध्यान में रखकर तैयार की जा रही हैं।
वैक्सीन शोध को लेकर राघवन ने कहा कि वैक्सीन निर्माण के लिए तीन तरह से काम हो रहा है। पहला हम खुद कोशिश कर रहे हैं। दूसरा बाहर की कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और तीसरा हम लीड कर रहे हैं और बाहर के लोग हमारे साथ काम कर रहे हैं।