Coronavirus medicine : भारत में कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों को मिलेगी ये दवा, जानें कितनी है असरदार

By भाषा | Published: April 1, 2020 10:30 AM2020-04-01T10:30:45+5:302020-04-01T10:30:45+5:30

बताया जा रहा है कि यह दवा कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में सहायक हो सकती है

Coronavirus medicine and treatment in India : Health Ministry allows Hydroxychloroquine with Azithromycin to treatment for covid-19 patients | Coronavirus medicine : भारत में कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों को मिलेगी ये दवा, जानें कितनी है असरदार

Coronavirus medicine : भारत में कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों को मिलेगी ये दवा, जानें कितनी है असरदार

भारत में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अभी तक की रिपोर्ट के अनुसार देश में कोरोना के मरीजों की संख्या 1397 हो गई है और यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। मौत के इस वायरस की चपेट में आकर अब तक 35 मरीजों ने दम तोड़ दिया है। चीन से निकले इस वायरस की चपेट में दुनियाभर में अब तक 858,892 लोग आ चुके हैं और 42,158 लोगों ने दम तोड़ दिया है। 

कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है। हालांकि डॉक्टर और वैज्ञानिक दिन-रात इसके इलाज की खोज में लगे हुए हैं। कई देशों में कोरोना के मरीजों के इलाज में एंटी मलेरिया दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (HydroxyChloroquine) का इस्तेमाल किया जा रहा है।

भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कोरोना के संक्रमण से गंभीर रूप से प्रभावित मरीजों के इलाज के लिये इस दवा के साथ एजीथ्रोमाइसीन (azithromycin) देने की सिफारिश की है। दिशानिर्देश में इन दवाओं को देने की सिफारिश करते हुये कहा कि मरीजों के इलाज के बारे में मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक कोई अन्य वायरल रोधी (एंटीवायरल) दवा कारगर साबित नहीं हो रही है। ऐसे में आईसीयू में भर्ती गंभीर हालत वाले रोगियों को ये दोनों दवायें एक साथ दी जा सकेंगी।

बच्चों और गर्भवती महिलाओं को नहीं दी जाएगी ये दवा
मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी संशोधित दिशानिर्देश में कहा कि यह दवा फिलहाल 12 साल से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती महिलाओं तथा शिशुओं को दुग्धपान कराने वाली महिलाओं को नहीं नहीं दी जा रही हैं। 

लोपीनाविर और रिटोनाविर को हटाया गया
मंत्रालय ने कोरोना के गंभीर हालत वाले मरीजों के इलाज की दवाओं की पुरानी सूची से एचआईवी रोधी दवाओं लोपीनाविर और रिटोनाविर को हटा लिया है। अब तक मरीजों के इलाज के उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि ये दवायें गंभीर मरीजों पर कारगर साबित नहीं हो रही थीं। 

तीन चरणों में हो रहा है कोरोना के मरीजों का इलाज
दिशानिर्देश में कोरोना के मरीजों को संक्रमण की तीन श्रेणियो, गंभीर, मध्यम और मामूली संक्रमण में बांटते हुये इलाज का तरीका तय किया गया है। इसमें गंभीर हालत में संक्रमण की पहचान होने वाले मरीजों को आईसीयू प्रोटोकॉल के दायरे में लेकर इलाज करने को कहा गया है। 

क्लोरोक्वीन (Chloroquine) पर अभी और अध्ययन बाकी

फॉक्स न्यूज़ के अनुसार, फिलहाल क्लोरोक्वीन व्यापक रूप से उपलब्ध है। हालांकि एफडीए आयुक्त स्टीफन हैन ने बताया कि स्वास्थ्य अधिकारी इसकी सुरक्षा और प्रभावशीलता के बारे में अच्छी तरह जानकारी प्राप्त करने के लिए एक औपचारिक अध्ययन चाहते हैं। इस दवा का इस्तेमाल पहली बार 1944 में मलेरिया के इलाज के लिए किया गया था।

क्लोरोक्वीन (Chloroquine) को पहले चरण में मिली कामयाबी

जब लोग कोरोना से संक्रमित हो जाते हैं, तो वायरस मानव कोशिकाओं के बाहर रिसेप्टर्स से जुड़ जाते हैं। क्लोरोक्वीन दवा को उस प्रक्रिया को कम करने का  काम किया है। यह दवा संभावित रूप से कोरोना वायरस पर असर कर सकती है।

न्यूयॉर्क शहर के लेनॉक्स हिल अस्पताल में एक पल्मोनोलॉजिस्ट और इंटर्निस्ट डॉक्टर लेन होरोविट्ज़ ने एबीसी न्यूज़ को बताया कि जिस तरह से इस दवा ने सार्स के खिलाफ काम किया, वह कोशिकाओं में वायरस के लगाव को रोकने के द्वारा किया गया था। क्लोरोक्वीन ने कोशिका झिल्ली की सतह पर उस रिसेप्टर के लगाव में हस्तक्षेप किया। 

कई बीमारियों के इलाज में सहायक है क्लोरोक्वीन (Chloroquine)

मेडोलाइनप्लस के अनुसार, क्लोरोक्वीन को कभी-कभी ऑटोइम्यून बीमारी रूमेटाइड आर्थराइटिस और रजीवी जीवाणु से होने वाले रोग अमीबियासिस के उपचार के रूप में भी उपयोग किया जाता है। 

क्लोरोक्वीन (Chloroquine) के साइड इफेक्ट्स

अगर इस दवा के साइड इफेक्ट्स की बात करें तो अमेरिकन सोसाइटी ऑफ फार्मासिस्ट के अनुसार, इससे मांसपेशियों की समस्या, भूख न लगना, डायरिया, और त्वचा पर लाल चकत्ते होना आदि शामिल हैं, जबकि अधिक गंभीर मामलों में इससे दृष्टि और मांसपेशियों की क्षति की समस्याएं हो सकती हैं।

इस दवा को खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) से मंजूरी मिली है या नहीं इसे लेकर अभी संशय है। ऐसी खबरें थी कि ट्रम्प ने दावा किया था कि इसे एफडीए की मंजूरी मिल गई है लेकिन इन बयान को गलत बताया जा रहा है। सीएनएन ने ट्रम्प के इस बयान को गलत बताया है।

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