Covid-19 effects: नवजातों के लिए काल साबित हो रहा है कोरोना, टीके नहीं लगने से बढ़ा मौत का खतरा
By भाषा | Published: July 16, 2020 03:31 PM2020-07-16T15:31:12+5:302020-07-16T15:31:12+5:30
WHO ने कहा है कि टीकाकरण प्रभावित होने से नवजातों पर कोरोना के मुकाबले मरने के खतरा बढ़ रहा है
कोरोना वायरस से पूरी दुनिया मुसीबत में है। इस महामारी ने पूरे जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है. अब इस खतरनाक वायरस का असर नवजातों पर भी पड़ने लगा है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने कोविड-19 के कारण शिशु टीकाकरण में बड़े पैमाने पर आ रही कमी को लेकर बुधवार को चेतावनी देते हुए कहा कि आज जन्म लेने वाले बच्चे को पांच साल की उम्र तक आते-आते सभी जरुरी टीके लग जाएंगे इसकी संभावना 20 प्रतिशत से भी कम है।
82 देशों में टीकाकरण अभियान प्रभावित
यूनिसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और गावी द्वारा किए गए इस अध्ययन के अनुसार, जिन 82 देशों में सर्वे किया गया, उनमें से ज्यादातर में कोरोना वायरस महामारी के कारण टीकाकरण अभियान प्रभावित हुआ है।
खसरा टीके के 30 से ज्यादा अभियान बंद
गावी बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा साझेदारी में शुरू किया गया संस्थान है और दुनिया के करीब 60 प्रतिशत बच्चों के लिए टीका यही खरीदता है। सर्वे में यह बात सामने आयी है कि दुनिया में मीजल्स (खसरा) के 30 से ज्यादा अभियान या तो बंद हो चुके हैं या फिर उनके बंद होने का खतरा मंडरा रहा है।
टीके नहीं लगने से बच्चों के मरने का खतरा बढ़ा
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक का कहना है कि सामान्य टीकाकरण नहीं हो पाने के कारण बच्चों के बीमारियों से मरने का खतरा कोविड-19 के मुकाबले ज्यादा है, जबकि इन बीमारियों से बचा जा सकता था। महामारी से पहले भी करीब 1.4 करोड़ बच्चों का टीकाकरण नहीं हो पा रहा था और उनमें से ज्यादातर अफ्रीका महाद्वीप में हैं।
कोरोना वायरस का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है। इस खतरनाक वायरस से दुनियाभर में अब तक 586,839 लोगों की मौत हो गई और 13,692,609 लोग संक्रमित हो गए हैं। चीन से निकले इस वायरस का भी तक कोई इलाज नहीं मिला है. हालांकि कई दवाओं और वैक्सीन का ट्रायल अंतिम चरण में है लेकिन यह नहीं का सकता है कि इसके पक्के इलाज के दवा कब तक आ पाएगी।