COVID effect: वैज्ञानिकों का दावा, कोरोना के ठीक हुए 8 में से एक मरीज की 140 दिनों के भीतर हो जाती है मौत, जानिये क्यों

By उस्मान | Published: January 21, 2021 03:39 PM2021-01-21T15:39:07+5:302021-01-21T15:53:51+5:30

वैज्ञानिकों ने बताया क्यों ठीक हुए मरीजों का पीछा नहीं छोड़ रहा है कोरोना वायरस

coronavirus effects: reseacher says one in eight COVID-recovered patients die within 140 days, what is long covid symptoms i n Hindi | COVID effect: वैज्ञानिकों का दावा, कोरोना के ठीक हुए 8 में से एक मरीज की 140 दिनों के भीतर हो जाती है मौत, जानिये क्यों

कोरोना वायरस का प्रभाव

Highlightsठीक होने के बाद भी मरीजों में दिख रहे हैं लक्षणठीक होने के बाद भी मर जाते हैं 12 फीसदी लोग जानिये लॉन्ग कोविड के लक्षणों से बचने के उपाय

कोरोना वायरस का कहर अभी कम नहीं हुआ है। चीन से निकले इस खतरनाक वायरस से अब तक लगभग तीन लाख लोगों की मौत हो गई है और दस करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं और यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है।

बेशक कोरोना वायरस के लिए टीके लगने शुरू हो गए हैं लेकिन यह ऐसा घातक वायरस है, जो आसानी से पीछा छोड़ने वाला नहीं है। एक नए शोध में खुलासा हुआ है कि कोविड-19 का प्रभाव लंबे समय तक रहता है, बेशक आप इससे उबार चुके हों। 

एक ताजा अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है जहां विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना के ठीक हुए आठ में से एक मरीज की 140 दिनों के भीतर मौत हो जाती है। 

टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, लीसेस्टर यूनिवर्सिटी और नेशनल स्टैटिस्टिक्स यूनिवर्सिटी द्वारा हाल ही में किए गए अध्ययन में पाया गया कि डिस्चार्ज किए गए कोरोना रोगियों में से 29.4% में फिर से स्वास्थ्य संबंधी विकार पाए गए जिसमें से 12.3% पीड़ित जटिलताओं के बाद मर जाते हैं।

अध्ययन के लेखकों में से एक, प्रोफेसर कमलेश खुंटी ने कहा है, 'लोग ठीक होकर घर जा रहे हैं, उन्हें दीर्घकालिक प्रभाव हो रहा है, वापस आ रहे हैं और मर रहे हैं। हम देखते हैं कि लगभग 30 प्रतिशत मरीज दोबारा एडमिट हो रहे हैं जोकि बड़ी संख्या है।' 

ठीक होने के बाद भी क्यों मर रहे हैं लोग ?

प्रोफेसर के अनुसार, स्वास्थ्य सेवाओं को 'लॉन्ग कोविड' की तैयारियों के बारे में रणनीति बनाने और अधिक कुशल होने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पुरानी बीमारियां इसका सबसे बड़ा कारण है। 

दूसरी सबसे बड़ी वजह लॉन्ग कोविड है, जिसमें ठीक होने के बाद भी कुछ न कुछ लक्षण रहते हैं। ऐसी मरीजों को हृदय की समस्याएं, डायबिटीज और क्रोनिक लीवर की बीमारी विकसित हो सकती है। 

कोरोना से ठीक होने के बाद भी 70 वर्ष से कम उम्र के लोग फेफड़ों, हृदय, गुर्दे और लीवर की समस्याओं और बढ़े हुए डायबिटीज को लेकर आते हैं। 

Coronavirus:

लॉन्ग कोविड लक्षण

'लॉन्ग कोविड' लंबे समय तक कोरोना जटिलताओं का सामना करने की स्थिति है। इस अवधि के दौरान ठीक हुए मरीज को कोरोना के समान और सबसे सामान्य लक्षण अनुभव हो सकते हैं, जिसमें कोई समस्या नहीं होती है। इसके सबसे आम लक्षणों में सांस लेने मे तकलीफ, जोड़ों का दर्द, छाती में दर्द, स्वाद और / या गंध का नुकसान और थकान शामिल है। 

थकान 
जो लोग कोरोना से पीड़ित हैं वे थकान महसूस कर सकते हैं। यह लक्षण हल्के या मामूली कोविड लक्षण वालों को भी विकसित हो सकता है। कुछ तो यह भी कहते हैं कि संक्रमण के बाद थकान और थकावट को ठीक होने में सबसे अधिक समय लगता है।

अपने शरीर को पर्याप्त आराम देना और इसे महत्वपूर्ण बनाने के लिए आवश्यक बहुत सारे तरल पदार्थ देना महत्वपूर्ण है। एक अच्छी डाइट लें और ठीक होने के बाद ही कोई काम करें। 

मांसपेशियों में दर्द 
लॉन्ग कोविड के लक्षणों में थकान, सुस्ती, मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी भी शामिल है। ठीक होने के बाद भी अगर फिर से, शरीर में दर्द बढ़ने लगे तो सतर्क हो जाएं। कुछ रोगियों को मांसपेशियों में दर्द भी हो सकता है। 

मांसपेशियों में दर्द और थकान से बचने के लिए आराम करें और हेल्दी डाइट लें। आप खूब तरल पदार्थों का सेवन करें और शरीर की मसाज भी बेहतर उपाय हो सकता है। 

खांसी 
ऊपरी श्वसन पथ में वायरल लोड होने से आपको 5-6 सप्ताह या उससे अधिक समय तक खांसी हो सकती है। यह खांसी सूखी या गीली दोनों हो सकती है। इससे बचने के लिए आपको बार-बार भाप, गरारे करना, हर्बल चाय और विटामिन-सी से भरपूर डाइट लेनी चाहिए। इससे लक्षणों से लड़ने और तेजी से ठीक होने में मदद कर सकते हैं।

सांस लेने में कठिनाई
सांस लेने में तकलीफ, या सांस लेते समय किसी भी तरह के दर्द या परेशानी का अनुभव कोरोना के लक्षणों के खराब होने का संकेत हो सकता है। यह छाती और फेफड़ों के मार्ग पर अतिरिक्त दबाव डालता है, इसलिए सांस की तकलीफ और सीने में दर्द आमतौर पर अनुभव किया जा सकता है। 

यही वजह है कि कुछ रोगियों को अपने ऑक्सीजन के स्तर की लगातार निगरानी करने, परेशानी के संकेत देखने और ऑक्सीजन सपोर्ट मशीन जैसे श्वासयंत्र और सांद्रण का उपयोग करने के लिए कहा जाता है।

ब्रेन फॉग 
कोरोना वायरस सीधे तौर पर दिमाग को प्रभावित कर सकता है। ब्रेन फ्रॉग ऐसी बीमारी है जिसमें आपके सोचने की क्षमता प्रभावित हो जाती है। आप हमेशा कन्फ्यूज फील करते हैं।

आप जो सोचते हैं और जो बोलते हैं दोनों में उसमें अंतर आने लगता है। यही वजह है कि डॉक्टर मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को प्रोत्साहित करने के लिए पोस्ट-कोविड जांच और एक्सरसाइज के महत्व पर जोर दे रहे हैं।

नींद नहीं आना
एक और सामान्य लक्षण जो कोरोना रोगियों को परेशान करता है वह अनिद्रा या पुरानी नींद की समस्या है। लगभग आधे ठीक मरीज इसकी शिकायत करते हैं।

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