Coronavirus effects: कोरोना मरीजों को सही होने के बाद हो सकता है किडनी डैमेज जैसी इन 5 खतरनाक बीमारियों का खतरा

By उस्मान | Published: June 25, 2020 10:50 AM2020-06-25T10:50:23+5:302020-06-25T10:56:25+5:30

क्या कोरोना वायरस के मरीज पूरी तरह सही हो जाते हैं, क्या वो नॉर्मल जीवन जी सकते हैं ?

coronavirus effects: Long-term health effects of covid-19 on patients, coronavirus side effects in Hindi | Coronavirus effects: कोरोना मरीजों को सही होने के बाद हो सकता है किडनी डैमेज जैसी इन 5 खतरनाक बीमारियों का खतरा

कोरोना वायरस के प्रभाव

Highlightsकोरोना से जंग जीत चुके मरीजों को फेफड़ों की समस्याएं होने का खतराब्रेन और किडनियों के डैमेज होने का भी खतरामानसिक विकार कोरोना के सही हुए मरीजों के लिए खतरा

भारत में बेशक कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं लेकिन अच्छी खबर यह भी है कि यहां मरीजों के सही होने की दर 50 प्रतिशत से अधिक है। लेकिन सवाल यह है कि क्या कोरोना वायरस से जंग जीत चुका व्यक्ति बाद में पूरी तरह स्वस्थ हो जाता है, क्या उसे बाद में कोई तकलीफ तो नहीं होती है? 

यह बीमारी नई है और इस सवाल का कोई स्पष्ट जवाब नहीं है। यहां तक कि चीन में जल्द से जल्द ठीक होने वाले मरीज भी कुछ दिनों में दोबारा संक्रमित हुए। कोविड-19 के दीर्घकालिक प्रभावों का विश्लेषण करने के लिए पर्याप्त डेटा नहीं हैं।

कोविड-19 के स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल के अनुसार एक मरीज दो सप्ताह में ठीक हो जाता है और उसे छुट्टी दी जा सकती है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि रिकवरी के लिए गंभीर मामलों में छह सप्ताह तक का समय लग सकता है। सभी ठीक हुए मरीजों को कुछ समय के लिए घर में अलग रहने की सलाह दी जाती है और किसी भी नई स्वास्थ्य स्थिति की तुरंत रिपोर्ट करने को कहा जाता है।

सवाल यह है कि क्या कोरोना से ठीक होने वाले लोगों को बाद में कुछ स्वास्थ्य जतिलातों का सामना करना पड़ता है? चीन और अन्य जगहों पर हुए अध्ययनों में इस बात की झलक मिलती है कि कोविड-19 के दीर्घकालिक प्रभाव क्या हो सकते हैं।

फेफड़ों को हो सकता है नुकसान

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, अध्ययनों ने कोविड-19 रोगियों के फेफड़े प्रभावित होने का इशारा किया है। एक स्वस्थ व्यक्ति के फेफड़े सीटी स्कैन में काले दिखाई देते हैं जबकि कोविड-19 रोगियों में ग्रे-पैच दिखाई देते हैं, जिन्हें ग्राउंड-ग्लास एसेसिटी कहा जाता है। शोधकर्ताओं को संदेह है कि इससे फेफड़ों को स्थायी नुकसान हो सकता है।  

दिल के लिए खतरनाक

कोविड-19 से सांस की बीमारी होने से गंभीर रोगियों के शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है। शरीर में कम ऑक्सीजन का स्तर दिल पर दबाव बढ़ाता है। यह अध्ययन निष्कर्ष निकाला गया। कोरोना वायरस संवहनी सूजन, मायोकार्डिटिस और अतालता को प्रेरित कर सकता है। इस वायरस को हृदय की मांसपेशियों की सूजन को प्रेरित करने के लिए जाना जाता है। वुहान में इस वायरस ने लगभग 20 प्रतिशत रोगियों के हृदय को नुकसान बताया।

ब्रेन और किडनियों के डैमेज होने का खतरा

मस्तिष्क रक्त वाहिकाओं द्वारा ऑक्सीजन की निर्जन आपूर्ति पर निर्भर है। डॉक्टरों ने कोविड-19 रोगियों में पाया है कि उनमें रक्त के थक्के विकसित हो सकते हैं, जिससे मस्तिष्क आघात हो सकता है। रक्त का थक्का जमने से अन्य अंगों, जैसे फेफड़े, हृदय और गुर्दे को गंभीर नुकसान हो सकता है।  

मानसिक विकार बढ़ने की आशंका

कोरोना वायरस के रोगियों को ठीक होने के बाद उनमें अन्य संभावित दीर्घकालिक प्रभावों में न्यूरोकिग्निटिव क्षमता, चिंता बढ़ना और अन्य मनोवैज्ञानिक और मानसिक स्वास्थ्य विकार भी शामिल हैं।

English summary :
According to the standard protocol of Kovid-19, patient recovers in two weeks and can be discharged. The WHO states that serious cases can take up to six weeks for recovery. All cured patients are advised to stay indoors for some time and report any new health condition immediately.


Web Title: coronavirus effects: Long-term health effects of covid-19 on patients, coronavirus side effects in Hindi

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