कोविड-19 संकट के कारण बढ़ रहे हैं तनाव के मामले, करें ये 5 आसान काम, चिंता, उदासी, बेचैनी, तनाव से मिलेगा छुटकारा
By उस्मान | Published: August 25, 2020 12:03 PM2020-08-25T12:03:31+5:302020-08-25T12:11:38+5:30
अवसाद से निपटने के तरीके : कोरोना संकट में दिमाग को शांत रखना जरूरी है
कोविड-19 से निपटने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के बीच मानसिक तनाव और अवसाद का सामना कर रहे 1,300 से अधिक लोगों ने चिकित्सकीय मदद के लिए महाराष्ट्र सरकार से सम्पर्क किया है। राज्य की एक स्वास्थ्य अधिकारी ने यह जानकारी दी। साथ ही निजी डॉक्टरों ने भी दावा किया कि पिछले कुछ महीनों में लोगों में अवसाद, मनोग्रसित बाध्यता विकार (ओसीडी) और घर से बाहर जाने में डर के मामले काफी बढ़े हैं।
लोगों का व्यवहार हिंसक हुआ
राज्य स्वास्थ्य विभाग की एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'महाराष्ट्र के 36 जिलों में से 30 में 1,302 लोग मनोचिकित्सकों की मदद ले रहे हैं।'
उन्होंने बताया कि उनमें से कुछ हिंसक व्यवहार से पीड़ित थे, जैसे लंबे समय तक अवसाद के परिणामस्वरूप खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करना आदि। उन्होंने कहा, 'आंकड़ों को अब भी संकलित किया जा रहा है क्योंकि कुछ जिलों से मामलों की रिपोर्ट आना अभी बाकी है। मामले 1,302 से कई अधिक हो सकते हैं।'
इस वर्ष मार्च से पहले (कोविड-19 के प्रकोप से पहले) प्रसिद्ध मनोचिकित्सक आनंद नाडकर्णी ने कहा था कि उनके पास ओसीडी के रोजाना छह से सात मामले आते थे और अब हर दिन 32 से 36 मामले आ रहे हैं। उन्होंने कहा, 'कई लोग ओसीडी को बीमारी नहीं मानते इसलिए यह लंबे तक उनका जीवन प्रभावित करता है।'
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ मृदुला आप्टे ने बताया कि वैश्विक महामारी से पहले हर सप्ताह उनके पास तनाव संबंधी दो से तीन मामले आते थे। लेकिन अब रोजाना कम से कम तीन लोग इस समस्या को लेकर आते हैं। आप्टे का पुण में एक क्लीनिक है।
अवसाद और तनाव बढ़ा
जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ और महाराष्ट्र संचारी रोग निवारण एवं नियंत्रण तकनीकी समिति के अध्यक्ष डॉ. सुभाष सालुंके ने कहा कि कोविड-19 के कारण उत्पन्न अवसाद और मानसिक तनाव एक वैश्विक परेशानी बन गया है।
उन्होंने कहा, 'जो लोग पहले से ही ऐसी बीमारियों से पीड़ित थे, वे बीमारी बढ़ने की शिकायत कर रहे हैं। कुछ लोग जिनमें हल्के लक्षण थे या उनमें ऐसी ही समस्याएं थीं, जिनके बारे में कभी पता नहीं चला, वे अब परामर्श लेना चाहते हैं।'
सालुंके ने कहा कि ऐसे भी कई लोग हैं, जिन्हें पहले ऐसी कोई परेशानी नहीं थी लेकिन अब वैश्विक महामारी के कारण उन्हें इन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
1) एक दिनचर्या बनाए रखें
लॉकडाउन का मतलब यह नहीं है कि आप खाने-पीने, सोने-उठने और काम करने के नियम ही बदल दें। आपको अभी भी आठ घंटे की अच्छी नींद की जरूरत होती है, उसी तरह जैसे कि लॉकडाउन शुरू हुआ था। आपको अभी भी कुछ व्यायाम की आवश्यकता है। आपकी जीवनशैली आपके समग्र स्वास्थ्य पर भारी प्रभाव डाल सकती है। इसलिए आप खुश रहने के लिए इस रूटीन में बहुत अधिक बदलाव न करें। समय पर खाएं, समय पर सोएं और एक्सरसाइज जरूर करें।
2) आभार व्यक्त करें
बेशक यह समय बुरा चल रहा है लेकिन अगर आप सुरक्षित हैं तो आपको इसके लिए ईश्वर का आभार व्यक्त करना चाहिए। यह बहुत सरल है, अपने आसपास की चीजों को महसूस करने के लिए कुछ मिनट निकालें और उन चीजों की सराहना करें जिनके लिए आप आभारी हैं। इसे नियमित रूप से करें और यह आपको अधिक सकारात्मक और आशावादी महसूस करने में मदद कर सकता है।
3) अपने मन को व्यवस्थित करें
इस तरह के तनाव के दौरान बेहद बिखराव महसूस करना किसी के लिए आश्चर्य की बात नहीं है। लेकिन यह आपके दिमाग या आपके जीवन के लिए स्वस्थ नहीं है। इससे चीजें हाथ से फिसल जाएंगी और आपको और भी अधिक तनाव का कारण बन सकती हैं। अपने सभी कार्यों और कामों को संक्षेप में बताने के लिए एक डायरी या टू-डू सूची का प्रबंधन करें ताकि आपके पास एक ही स्थान पर सब कुछ हो और अपने कार्यों को अधिक कुशलता से योजनाबद्ध करें।
4) लोगों से जुड़े रहें
अकेलापन लॉकडाउन की सबसे बड़ी चिंताओं में से एक है। यह कई मानसिक और शारीरिक समस्याओं को भी जन्म दे सकता है। कुछ समय के लिए आपके द्वारा कहे गए मित्र को कॉल करें और अपने परिवार के सदस्यों के संपर्क में रहें। इस दौरान भावनात्मक समर्थन के लिए एक-दूसरे पर निर्भर होने की आवश्यकता है।
5) एक ब्रेक लें
बहुत अधिक तनाव आपको आसानी से चिढ़चिढ़ा बना सकता है जिससे आपकी स्थिति और ज्यादा खराब हो सकती है। आप अपने कामों से कुछ नियमित ब्रेक लेकर खुद को हल्का और अधिक सकारात्मक बना सकते हैं। आप अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए इन विरामों के दौरान ध्यान या साँस लेने के व्यायाम की कोशिश कर सकते हैं।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)