Childhood Cancer Symptoms: बच्चों में कैंसर के इन 20 लक्षणों को समझें और समय पर इलाज कराएं
By उस्मान | Published: February 16, 2021 09:47 AM2021-02-16T09:47:22+5:302021-02-16T09:47:22+5:30
बच्चों में कैंसर के लक्षणों का सही समय पर इलाज कराकर बीमारी को हराया जा सकता है
कैंसर दुनिया में सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक है। कैंसर किसी को भी, किसी भी उम्र में हो सकता है। हालांकि हर प्रकार के कैंसर का जोखिम विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है।
कैंसर बच्चों को भी हो सकता है जिससे उनके जीवन की गुणवत्ता और जीवित रहने की दर कम हो सकती है। बच्चों में कैंसर के लक्षण दिखने पर उपचार की तुरंत जरूरत होती है।
टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में हर साल बच्चों में कैंसर के 2,00,000 से अधिक नए मामले पाए जाते हैं। इनमें से 70 प्रतिशत मामले विकासशील देशों में पाए जाते हैं।
भारत में बच्चों में सबसे सामान्य कैंसर ल्यूकेमिया यानी ब्लड कैंसर है, जिसके 25 से 40 प्रतिशत तक मामले सामने आते हैं। सेंट्रल नर्वस सिस्टम के ट्यूमर भी बचपन से ही किशोर अवस्था से बच्चों में काफी आम हैं।
बच्चों को होने वाली कैंसर के प्रकार
एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया, ब्रेन ट्यूमर, होज्किन्ज़ लिम्फोमा, साकोर्मा और एंब्रायोनल ट्यूमर सिर्फ मुश्किल शब्द ही नहीं बल्कि बच्चों को मुश्किल में डाल देने वाले जानलेवा कैंसर के प्रकार हैं, जो बड़ी खामोशी से हंसते खेलते बच्चे को मौत के मुंह तक पहुंचा देते हैं।
बच्चों में कैंसर के शुरुआती संकेत और लक्षण
बचपन के कैंसर के लक्षण मामूली होते हैं जिन्हें शुरुआत में पहचानना मुश्किल होता है। जब तक लक्षणों को पहचान हो पाती है तब स्थिति गंभीर हो चुकी होती है। बच्चों में कैंसर के शुरुआती संकेतों और लक्षणों को पहचानने के लिए एक मेडिकल टर्म SILUAN है।
'S' का मतलब है तलाश है- इसका मत्ल्बा है लंबे और लगातार लक्षणों के लिए मदद लेना।
'I' का मतलब है आंखों का संकेत- एक वाइट रिफ्लेक्स आंखों की उभार, जिसे चिकित्सकीय रूप से प्रॉपोसिस के रूप में जाना जाता है, मुख्य रूप से आंख के कैंसर या न्यूरोब्लास्टोमा आदि जैसे अन्य ठोस ट्यूमर का सुझाव देता है जो आंख को मेटास्टेसाइज कर सकता है।
'L' का मतलब है लम्प- इसका मतलब है कि शरीर में कहीं भी गांठ का दिखना जो टीबी का लक्षण हो सकता है।
'U' का मतलब है अस्पष्टीकृत- यानी 2 सप्ताह से अधिक समय तक अजीब बुखार, वजन घटना, भूख की कमी, थकान, घाव या खून बहना।
बच्चों में हड्डियों, जोड़ों और पीठ में दर्द होने पर उन्हें कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। 20-30 प्रतिशत बच्चों में ल्यूकेमिया होता है जो हड्डियों में दर्द या जोड़ों के दर्द के साथ होते हैं, जबकि 60 प्रतिशत मस्कुलोस्केलेटल लक्षणों के साथ मौजूद हो सकते हैं।
बच्चों में पीठ दर्द को गंभीरता से लिया जाना चाहिए क्योंकि बच्चों को इसकी शिकायत कम ही होती है जब तक कि कोई कारण न हो। चलने में बदलाव या संतुलन की हानि, धीमी गति से इसकी पहचान हो सकती है।
दो सप्ताह से अधिक समय तक सिरदर्द रहना और उसके साथ उल्टी होना ट्यूमर का संकेत हो सकता है। केंद्रीय तंत्रिका ट्यूमर या मेटास्टेसिस से निपटने के लिए मूल्यांकन की आवश्यकता होती है।
खांसी, सांस की तकलीफ, आवाज बैठना एक मीडियास्टिनल मास की ओर इशारा कर सकते हैं। मसूड़ों की सूजन ल्यूकेमिया या हिस्टियोसाइटोसिस को बढ़ा सकती है जबकि नाक में रुकावट, डिस्फेजिया और एपिस्टेक्सिस नासोफेरींजल कार्सिनोमा के लक्षण हो सकते हैं।
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया, ब्रेन ट्यूमर, होज्किन्ज़ लिम्फोमा आदि बच्चों में होने वाले कैंसर हैं। अभिभावकों को कैंसर से जुड़े प्रारंभिक लक्षणों की जानकारी रखनी चाहिए।
बच्चे का शारीरिक, मानसिक विकास सामान्य रूप से न हो रहा हो, कम वजन होने लगे, अचानक रक्त स्राव हो अथवा शरीर के किसी हिस्से में गांठ उभरने लगे तो सचेत हो जाएँ, साथ ही बीमारियों की फैमिली हिस्ट्री पर नज़र रखें, क्योंकि ल्यूकेमिया और ब्रेन ट्यूमर आदि जैसे कैंसर अनुवांशिक कारणों से भी हो सकते हैं।