सुनील छेत्री क्या कोच से मतभेद के कारण कप्तानी से हटाए गए? भारतीय फुटबॉल में विवाद की अटकलें
By विनीत कुमार | Published: October 15, 2018 03:05 PM2018-10-15T15:05:55+5:302018-10-15T15:07:01+5:30
चीन के खिलाफ मैच में सुनील छेत्री को हटाकर संदेश झिंगन को कप्तान बनाने जाने का भारतीय चोट स्टीफन कॉनस्टेंटाइन का फैसला तूल पकड़ता जा रहा है।
नई दिल्ली, 15 अक्टूबर: चीन के खिलाफ 21 साल बाद खेले गये मैच में ड्रॉ खेलने वाली भारतीय टीम की प्रशंसा चीनी मीडिया सहित भारत में भी हो रही है। हालांकि, इस बीच उस मैच के लिए सुनील छेत्री को हटाकर संदेश झिंगन को कप्तान बनाये जाने का भारतीय कोच स्टीफन कॉनस्टेंटाइन का फैसला तूल पकड़ता जा रहा है। साथ ही ये सवाल भी उठ खड़ा हुआ है कि भारतीय फुटबॉल में क्या सबकुछ ठीक है?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत के लिए इंटरनेशनल मैचों में 65 गोल करने वाले छेत्री और कोच कॉन्सटेंटाइन के बीच सबकुछ ठीक नहीं है। हालांकि, इसके पहले के मैचों में भी झिंगन, गोलकीपर गुरप्रीत सिंह संधू और छेत्री के बीच कप्तानी को लेकर फेरबदल होता रहा है लेकिन अब कम ही उम्मीद है कि अगले कुछ मैचों में छेत्री को कप्तानी मिलेगी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार छेत्री के समर्थन में कई खिलाड़ी हैं और वे अखिला भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) से कॉन्सटेंटाइन की जगह नया कोच लगाने की मांग कर रहे हैं। मामला ज्यादा तब बिगड़ा जब इसी साल जुलाई में कॉन्सटेंटाइन ने यह बयान दिया कि भारत की अंडर-17 वर्ल्ड टीम को जरूरत से ज्यादा तवज्जो दी गई।
कॉन्सटेंटाइन इस बयान के मीडिया में आने के तत्काल बाद अपनी बात से पटल गये लेकिन इस घटना ने छेत्री और उनके समर्थकों को एआईएफएफ पर और ज्यादा दबाव बनाने का मौका दे दिया। एआईएफएफ हालांकि करार खत्म होने तक कॉन्सटेंटाइन को टीम के साथ बनाए रखने के पक्ष में रहा। कॉन्सटेंटाइन ने इसी साल फरवरी में भारतीय टीम करार बढ़ाया था और इसके अनुसार वे अगले साल जनवरी में एएफसी एशियन कप तक टीम के साथ बने रहेंगे।
इस बीच सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार छेत्री चाहते हैं कि बेंगलुरु एफसी कोच अलबर्ट रोका को कोस्टेंटाइन की जगह भारतीय टीम का कोच बनाया जाए। रोका ने 2017-18 के इंडियन सुपर लीग (आईसएल) में उपविजेता रही बेंगलुरु एफसी का कोच पद इसी साल की शुरुआत में व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए त्याग दिया था।
अखबार के एक सूत्र के अनुसार छेत्री और कॉन्सटेंटाइन को न चाहते हुए भी एक-दूसरे के साथ खेलना है। ऐसा इसलिए कि कोच चाहकर भी छेत्री को टीम से बाहर नहीं बैठा सकते। छेत्री का प्रदर्शन ऐसे भी करीब-करीब हर मैच में शानदार रहता है और चीन के खिलाफ भी वह पूरी लय में नजर आये थे। साथ ही भारत में फुटबॉल के बड़े चेहरे के तौर पर अपनी पहचान बना चुके छेत्री की बात टालना भी एआईएफएफ के लिए बहुत लंबे समय तक संभव नहीं होगा।