फूड फेस्टिवल के आखिरी दिन औरंगाबाद बोला- मैं खाने का शौकीन!
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 14, 2019 05:21 PM2019-01-14T17:21:46+5:302019-01-14T17:21:46+5:30
धीरे-धीरे दिन को अपने आगोश में ले रही रात के पहलू में औरंगाबाद के परिवारों ने आज दिखाया कि खान-पान के शौकीनों की यहां कमी नहीं है. लोकमत टाइम्स फूड फेस्टिवल का आज अंतिम दिन होटल मनोर के लॉन पर ऐतिहासिक स्वाद के चाहने वालों की भीड़ का गवाह बना.
हालांकि पहले और दूसरे दिन भी मनचाहा पकवान खाने के शौकीन लोगांे को अपना नंबर आने की राह देखनी ही पड़ी थी. लेकिन रविवार को छुट्टी के दिन पसंदीदा खान-पान की चाहत में आए लोगांे के सामने बड़ा लॉन भी छोटा दिखाई पड़ा.
कहा जाता है कि भारत देश में हर 20 किलोमीटर के बाद भाषा बदल जाती है और खान-पान का जायका भी थोड़ा बदलता ही है. ऐसे ही देश भर में फैले पकवानों के विशुद्ध स्वाद को लेकर लोकमत टाइस्म फूड फेस्टिवल रंगा गया. खान-पान के स्तरीय स्वाद के चाहने वालों की चाहत देर रात को स्टॉल बंद होने तक बनी रही.
सहपरिवार पहुंचे लोग बच्चों और खुद की पसंद के पकवान चखते हुए संगीत और लोकनृत्य का आनंद उठाते रहे. इतना ही नहीं कौन सा पकवान ज्यादा अच्छा लगा, इस बात पर भी चर्चा लंबे समय तक चली. गुजराती चाट, दिल्ली चाट, पानी-पुरी के सात-आठ प्रकार, कोलकाता की मिठाई, राजस्थानी व उत्तर भारतीय खमंग पदार्थ के अलावा चायनीज नूडल्स व पिज्जा जैसे विविध खाद्य पदार्थों का स्वाद लेते हुए औरंगाबादकरों ने फूड फेस्टिवल का पूरा आनंद लिया.
तीन दिन लगातार पहुंचे व्यंजन चखने कई लोगों को स्वाद की ऐसी लगन लगी कि प्रथम दिन से लेकर अंतिम दिन तक पकवान का आनंद लेने पहुंचे. वैसे भी फूड फेस्टिवल में पहुंचे लोगों को एक दिन में पकवानों का आनंद लेना मुमकिन नहीं होता. करीब 100 प्रकार के पकवान में से यदि 15 पदार्थ भी चखने हैं तो पांच पदार्थ से ज्यादा एक दिन में नहीं खाए जा सकते. यही कारण है कि अपनी चाहत पूरी करने के लिए लोग तीनों दिन पहुंचे. परिवार के साथ पहंुचे लोगों ने खाने के साथ ही शॉपिंग, खेल का भी जमकर आनंद लिया.
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भैया इसे बनाते कैसे हैं, मैंने घर पर बनाया था ऐसा नहीं बना गर्म-गर्म पकवानों की खुशबू के बीच स्वाद का आनंद लेती कई महिलाओं ने स्टॉल पर जमकर अपनी उत्कंठा भी जाहिर की. बनाने वालों ने भी संतुष्टि पूर्ण जबाव देकर उनकी उत्कंठा को पूरा किया. किसी ने पकवान की विधि पूछी तो किसी ने पूछा कि घर पर इसे बनाते समय बराबर स्वाद नहीं आता. अपने पतिदेव और बच्चों को चटखारे लेकर पकवान खाते देखकर महिलाओं के मन में प्रश्न उठना लाजिमी था.
समय का नहीं रहा ध्यान, बीते कई घंटे शाम छह बजे फूड फेस्टिवल में विभिन्न स्वाद लेते हुए कब घंटों बीत गए लोगों को पता ही नहीं चला. कोई खाते-खाते संगीत का मजा ले रहा था, तो कोई सेल्फी के अलग-अलग एंगल के लिए घंटे भर घूमता रहा. आपस में बात करते पारंपरिक लोकनृत्य देखते-देखते समापन का समय भी आ गया. दादा-दादी से लेकर पूरा परिवार इसमें शामिल हुआ. ब्रेकडांस झूले का आनंद लिया और खेल-खेल में एक-दूसरे के साथ जी भर कर मस्ती भी की बच्चों ने. रात दस बजे फेस्टिवल का समापन होना था, लेकिन करीब ग्यारह बजे तक आने वाले रुके नहीं थे.