सनस्क्रीन से त्वचा को सिर्फ फायदे नहीं, ये 4 नुकसान भी हैं, जानें इस गर्मी कैसे करें त्वचा की रक्षा
By गुलनीत कौर | Published: April 13, 2019 05:29 PM2019-04-13T17:29:12+5:302019-04-13T17:29:12+5:30
अधिकतर सनस्क्रीन में आक्सीबेनजोन नामक एक रसायन मिला हुआ होता है। यह ना केवल हॉर्मोन पर असर डालता है साथ ही त्वचा की कोशिकाओं को भी प्रभावित करता है।
गर्मी का मौसम तकरीबन शुरू हो चुका है। यही समय है जब हम गर्मी की मार से अपने स्वास्थ्य, स्किन और बालों को बचा सकते हैं। शुरुआत में की गई केयर ही लंबे समय तक असर दिखाती है। ऐसे में लोग सभी से गर्मी में स्किन को सूरज की तेज धूप से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर रहे हैं। सनस्क्रीन में मौजूद एसपीएफ की मात्रा सूरज की किरणों से स्किन पर होने वाली टैनिंग से बचाती है।
स्किन पर सनस्क्रीन लगाने के बाद धूप का बुरा असर स्किन पर सीधा नहीं होता है। यह क्रीम त्वचा पर एक कवरेज बना है जिससे त्वचा पर टैनिंग नहीं होती। टैनिंग के अलावा सनस्क्रीन स्किन कैंसर से भी बचाता है। सूरज के किरणों में मौजूद अल्ट्रा वायलेट तरंगे त्वचा पर जब अधिक पड़ती हैं तो यह स्किन कैंसर को उत्पन्न करती हैं। मगर सनस्क्रीन लगाने से इन तरंगों से त्वचा का बचाव हो जाता है।
त्वचा पर सनस्क्रीन लगाने के कई फायदे हैं लेकिन बहुत कम लोग यह जानते हैं कि त्वचा को सूरज की बुरी किरणों से बचाने वाली ये सनस्क्रीन त्वचा को कई तरह के नुकसान भी देती है। ये नुकसान हम नजरअंदाज तो कर देते हैं लेकिन अगर समय रहते रोकथाम की जाए तो ये हमारे लिए बड़ी मुसीबत पैदा कर सकते हैं।
सनस्क्रीन के नुकसान:
1) सनस्क्रीन में मिले हुए रसायन: सनस्क्रीन त्वचा को धूप की हानिकारक किरणों से बचाती है, लेकिन ऐसा करने के लिए इसमें कई तरह के रसायन मिलाए जाते हैं। टेट्रासाइक्लिन, सल्फा, फेनोथियाजिन, आदि रसायन त्वचा के लिए नुकसानदेह साबित होते हैं।
2) रसायनों से होने वाली स्किन प्रॉब्लम: सनस्क्रीन को बनाने में इस्तेमाल होने वाले रसायन जब त्वचा पर लगते हैं तो वे खुजली, लाला चक्ते, त्वचा पर लालपन, सूजन, आदि समस्याएं पैदा करते हैं। अगर सनस्क्रीन लगाने के बाद त्वचा पर किसी भी तरह की एलर्जी हो तो तुरंत उसका इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए।
3) हॉर्मोन को प्रभावित करने वाले रसायन: कुछ अध्ययनों के मुताबिक सनस्क्रीन में आक्सीबेनजोन, ट्राइक्लोसन, पैरेबेन्स, आदि नाम के रसायन मिलाए जाते हैं। ये रसायन होर्मोनेस को प्रभावित करते हैं। बेहतर होगा कि सुब्स्क्रीन लेने से पहले चेक कर लें कि कहीं उसमें ये रसायन तो नहीं हैं।
4) कोशिकाओं पर करता है अटैक: अधिकतर सनस्क्रीन में आक्सीबेनजोन नामक एक रसायन मिला हुआ होता है। यह ना केवल हॉर्मोन पर असर डालता है साथ ही त्वचा की कोशिकाओं को भी प्रभावित करता है। इसके अलावा डीएनए बनाने की प्रक्रिया में भी बाधा डालता है।
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सनस्क्रीन के नुकसान से बचने के लिए ऐसे करें इसका इस्तेमाल:
यदि आप सनस्क्रीन इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन इससे होने वाले नुकसान से खुद को बचाना चाहते हैं तो कुछ टिप्स को फॉलो करें। जब भी लगे कि सनस्क्रीन आपकी त्वचा को खराब कर रही है तो स्किन एक्सपर्ट की राय से पैच टेस्ट कराएं। इससे पता चल जाएगा कि आपको सनस्क्रीन से कितनी दिक्कत है।
इसके अलावा सनस्क्रीन लेते समय चेक करें कि उसमें कौन कौन से रसायन मिलाए हुए हैं। उस सनस्क्रीन को चुनें जिसमें अकम से कम रसायन मिले हुए हों। जिस सनस्क्रीन में जिंक ऑक्साइड मौजूद हो उसका इस्तेमाल करें। यह त्वचा के लिए फायदेमंद होता है।