चैत्र नवरात्रि 2020: आज मां दुर्गा को चढ़ाइए श्रृंगार के ये 16 सामान-मिलेगा अखंड सौभाग्य का वरदान
By मेघना वर्मा | Published: March 25, 2020 06:42 AM2020-03-25T06:42:13+5:302020-03-25T06:42:13+5:30
हिन्दू सभ्यता में लाल रंग को सुहाग से जोड़ा गया है। माता रानी को भी ये रंग बहुत पसंद होता है इसलिए उन्हें लाल चुनरी चढ़ा सकती हैं।
चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 25 मार्च 2020 दिन बुधवार से हो रही है। मां दुर्गा की शक्ति को याद करने और उन्हें पूजने की प्रथा सदियों से चली आ रही है इस पावन महीने में लोग मां दुर्गा की भव्य और विशेष पूजा करे हैं। सिर्फ यही नहीं माता रानी को हर सुहागिन महिला श्रृंगार के 16 सामान भी चढ़ाती है।
मान्यता है कि इन्हें चढ़ाने से उन्हें अखड्य सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है। वैसे महिलाएं अक्सर इस कन्फ्यूजन में रहती हैं कि 16 श्रृंगार में कौन-कौन सी चीजें आती हैं। आइए आपको हम बताते हैं इन श्रृंगार में कौन-कौन सी चीजें हैं और कैसे करें मां दुर्गा का श्रृंगार।
1. सिंदूर : हिन्दू धर्म में सिंदूर की मान्यता सबसे अधिक बताई गई है। स्त्रियों के सुहाग की इस निशानी को सबसे जरूरी बताया जाता है। विवाह के अवसर पर पति अपनी पत्नी के मांग में सिंदूर भर कर जीवन भर उसका साथ निभाने का वचन देता है।
2. बिंदी : संस्कृत भाषा के बिंदु शब्द से बिंदी की उत्पत्ति हुई है। माथे पर लगाई गई इस रंग या कुमकुम की बिंदी को भगवान शिव के तीसरे नेत्र का प्रतीक मानी जाती है।
3. काजल : काजल को महिलाओं की आंखों का सबसे खूबसूरत श्रृंगार बताया जाता है। इससे आंखों की सुन्दरता तो बढ़ती ही है, काजल दुल्हन और उसके परिवार को लोगों की बुरी नजर से भी बचाता है।
4. मेहंदी : मेहंदी के बिना सुहागन का श्रृंगार अधूरा माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि नववधू के हाथों में मेहंदी जितनी गाढ़ी रचती है, उसका पति उसे उतना ही ज्यादा प्यार करता है।
5. मांग टीका : सिंदूर के साथ पहना जाने वाला मांग टीका महिलाओं की सुंदरता को बढ़ाता है। ये महिलाओं के सौभाग्य का भी प्रतीक माना जाता है।
6. गजरा : दुल्हन के जूड़े में गजरा पहनना भी 16 श्रृंगार का सबसे महत्वपूर्ण सामान बताया जाता है। गजरा हमेशा उस फूल से बना होना चाहिए जिनसे अच्छी सुगंध आती हो।
7. मंगलसूत्र : विवाहित महिलाओं के लिए श्रृंगार में मंगलसूत्र या हार होना जरूरी है। सुहागिनों के लिए मंगलसूत्र और हार को वचनबद्धता का प्रतीक माना जाता है। सौभाग्य का भी प्रतीक माना जाता है।
8. नथ : सुहागिन स्त्री के नथ पहनने से पति के स्वास्थ्य और धन-धान्य में वृद्धि होती है। इसे माता रानी को भी जरूर चढ़ाएं।
9. कान की बालियां : सोलह श्रृंगार में कान के लिए भी आभूषण को भी जरूरी बताया गया है। माता रानी को आप कान की बालियां जरूर चढ़ाएं।
10. चूड़ियां : सुहागिनों के लिए सिंदूर की तरह ही चूड़ियों का भी महत्व है। लाल जोड़े की तरह चूड़ियां भी पहनना महिलाओं को सजेस्ट किया जाता है।
11. लाल जोड़ा : हिन्दू सभ्यता में लाल रंग को सुहाग से जोड़ा गया है। माता रानी को भी ये रंग बहुत पसंद होता है इसलिए उन्हें लाल चुनरी चढ़ा सकती हैं।
12. आलता : पैरों का आलता महिलाओं की पैर की सुंदरता बढ़ाता है। माता रानी को भी ये जरूर चढ़ाएं।
13. अंगूठी : अंगूठी को 16 श्रृंगार का अभिन्न हिस्सा माना गया है।
14. नेलपॉलिश: माता रानी को आप नेल पॉलिश चढ़ा सकती हैं।
15. बिछुआ : हिन्दू मान्यताओं में बिछुआ का भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। पैरों के अंगूठे में रिंग की तरह पहने जाने वाले इस आभूषण को अरसी या अंगूठा कहा जाता है और दूसरी उंगलियों में पहने जाने वाले रिंग को बिछुआ।
16. पायल : माना जाता है कि सुहागिनों का पैर खाली नहीं होना चाहिए। उन्हें पैरों में पायल जरूर पहनना चाहिए। पूजा के समय पायल पहनें और माता रानी को इसे चढ़ाएं भी।
चैत्र नवरात्रि आरम्भ हो रहा है जिसका समापन 2 अप्रैल को महानवमी पावन पर्व के साथ समाप्त होगा। चैत्र नवरात्रि को वासंतिक नवरात्र भी कहा जाता है। इसी दिन हिन्दू नववर्ष यानि नवसंवत्सर 2077 की शुरुआत भी होगी।