सुप्रीम कोर्ट से यूपी टीईटी के 1 लाख से अधिक शिक्षकों को राहत, हाईकोर्ट के इस फैसले को किया निरस्त
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 16, 2019 03:50 PM2019-07-16T15:50:16+5:302019-07-16T15:50:16+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला मंगलवार (16 जुलाई) को सुनाया। इसके बाद सूबे में करीब 1 लाख से अधिक सहायक शिक्षकों ने चैन की सांस ली।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के लगभग एक लाख सहायक शिक्षकों को राहत दे दिया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के एक फैसले को निरस्त कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि ऐसे अभ्यार्थी जिनके TET के रिजल्ट पहले आ गई और बीएड या बीटीसी का रिजल्ट बाद में आया तो उनके TET प्रमाण पत्र अवैध या उनकी नियुक्ति अवैध है। सुप्रीम कोर्ट ने इसी फैसले को निरस्त कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला मंगलवार (16 जुलाई) को सुनाया। इसके बाद सूबे में करीब 1 लाख से अधिक सहायक शिक्षकों ने चैन की सांस ली। बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 मई को एक फैसला दिया था। इस फैसले में कोर्ट ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों से कहा था कि जिन शिक्षकों के प्रशिक्षण का परिणाम उनके टीईटी रिजल्ट के बाद आया है उनकी नियुक्तियां निरस्त करे दें।
हिंदूस्तान न्यूज वेबसाइट में छपी एक रिपोर्ट्स के मुताबिक बताया गया कि एक अनुमान के अनुसार ऐसे शिक्षकों की संख्या एक लाख से अधिक है जिनका ट्रेनिंग का परिणाम टीईटी के बाद घोषित हुआ था। इस आदेश का असर वर्तमान में चल रही 68,500 सहायक अध्यापक भर्ती पर भी पड़ने वाला था। हाईकोर्ट के फैसले के बाद शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था। जिसमें चयनित शिक्षकों का कहना था कि यूपी टीईटी के लिए 4 अक्टूबर 2011 और 15 मई 2013 को जारी शासनादेश में इस बात का जिक्र नहीं था कि जिनके प्रशिक्षण का परिणाम टीईटी के बाद आएगा उन्हें टीईटी का प्रमाणपत्र नहीं मिलेगा।