स्कूलों की फीस वृद्धि पर केजरीवाल सरकार की रोक, केवल एक महीने की ट्यूशन फीस ही ले सकेंगे स्कूल, जानें खास बातें
By एसके गुप्ता | Published: April 17, 2020 03:10 PM2020-04-17T15:10:30+5:302020-04-17T15:10:30+5:30
आदेश की अवेहलना करने वालों को दिल्ली सरकार डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 और दिल्ली एपिडेमिक डिजिज कोविड-19 रेगुलेशंस-2020 के तहत कार्रवाई की चेतावनी दी है।
नई दिल्ली: निजी स्कूलों की फीस वृद्धि पर रोक लगाते हुए दिल्ली सरकार ने आदेश दिया है कि कोई भी स्कूल छात्रों से ट्रांसपोर्ट चार्ज नहीं लेगा। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि कई शिकायतें मिली हैं कि कुछ स्कूल बढाकर फीस ले रहे हैं। अभिभावकों को मैसेज भेजकर तीन महीने की फीस जमा कराने को कह रहे हैं। स्कूल अभिभावकों से एनुअल चार्ज और ट्रांसपोर्ट चार्ज भी मांग रहे हैं। सरकार की ओर से निजी और सरकारी
स्कूलों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वह अभिभावकों से केवल एक बार में एक महीने की केवल ट्यूशन फीस ही लेंगे। इसके अलावा किसी तरह की फीस वसूली स्कूलों की ओर से नहीं की जाएगी। अगर कोई स्कूल किसी छात्र का नाम फीस न भरने के कारण काटता है या फीस में बढोत्तरी करता है तो स्कूल प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। आदेश की अवेहलना करने वालों को दिल्ली सरकार डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 और दिल्ली एपिडेमिक डिजिज कोविड-19 रेगुलेशंस-2020 के तहत कार्रवाई की चेतावनी दी है।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सरकार ने किसी स्कूल को फीस वृद्धि की अनुमति नहीं दी है। देश कोविड-19 जैसी आपातकालीन परिस्थिति से गुजर रहा है। जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव शिक्षा और अर्थव्यवस्था पर पड रहा है। शिकायतें मिल रही हैं कि कुछ अभिभावकों ने फीस जमा नहीं कराई है तो स्कूलों ने उनके बच्चों की ऑनलाइन कक्षाएं बंद कर दी हैं। बच्चे का नाम काटने की धमकी दी जा रही है।
ऐसे स्कूलों को मेरी सलाह है कि वह ऐसा न करें। शिकायतों को ध्यान में रखकर ही सरकार ने किसी भी प्राइवेट स्कूल को फीस न बढ़ाने का आदेश जारी किया है। साथ ही स्कूलों से कहा है कि स्कूलों को फीस बढाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान स्कूल की ओर से केवल ऑडियो-वीडियों क्लासेज ली जा रही हैं। छात्र स्कूल आ जा नहीं रहे हैं फिर भी स्कूलों की ओर से ट्रांसपोर्ट चार्ज लेना या अन्य किसी तरह का चार्ज लेना पूरी तरह से गलत है।
स्कूलों की तू डाल-डाल मैं पात-पात:
सरकार ने बेशक स्कूलों को यह निर्देश दिए हैं कि वह फीस नहीं बढाएंगे और केवल ट्यूशन फीस ही लेंगे। लेकिन निजी स्कूल भी कम नहीं हैं। उन्होंने ट्यूशन फीस में ही भारी वृद्धि कर दी है। जिससे अभिभावक परेशान हैं। इसे लेकर भी अभिभावकों की आपत्ति है।
अखिल भारतीय अभिभावक संघ के संस्थापक और हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने लोकमत से विशेष बातचीत में कहा कि उन्होंने दिल्ली सरकार को निजी स्कूलों द्वारा फीस बढोत्तरी और मनमानी से अवगत कराया था। सरकार की ओर से दिया गया आदेश लॉकडाउन में अभिभावकों को राहत देगा। लेकिन जिन स्कूलों ने अभिभावकों पर दबाव बनाकर फीस ले ली है। उनके लिए दिल्ली सरकार अलग से आदेश जारी करे कि वह बढाकर ली गई फीस और ट्रांसपोर्ट चार्ज वापस करें। इसके अलावा ट्यूशन फीस में वृद्धि करने वाले स्कूल भी तुरंत अपनी वृद्धि को वापस लेते हुए उसे अभिभावकों को लौटाएं। अगर स्कूल नहीं मानते हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
फेडरेशन ऑफ पब्लिक स्कूल दिल्ली के अध्यक्ष एमएस रावत ने लोकमत से बातचीत में कहा कि देश में आपात की इस स्थिति में हर स्कूल को दिल्ली सरकार की ओर से दिए गए आदेश का पालन करना चाहिए और केवल एक महीने की ट्यूशन फीस ही लेनी चाहिए। इसके अलावा ट्यूशन फीस में वृद्धि भी नहीं करनी चाहिए। स्कूलों को यह समझना चाहिए की छात्र स्कूल से भाग नहीं रहे हैं। स्कूलों को सरकार के निर्देश पर इस आपात स्थिति में अभिभावकों का साथ देना चाहिए और अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए। मेरा स्कूलों से आग्रह है कि अगर उन्होंने कुछ अभिभावकों से फीस ले ही है तो उसे आगे एडजस्ट करें।
आदेश की मुख्य बातें :
- स्कूल तीन महीने की फीस एक साथ नहीं मांगेंगे, हर महीने केवल ट्यूशन फीस ही लेंगे।
-स्कूल ट्रांसपोर्ट चार्ज नहीं लेंगे। ट्यूशन फीस के अलावा किसी तरह का चार्ज प्राइवेट या सरकारी स्कूल नहीं लेंगे।
-लॉकडाउन के दौरान दी जा रही ऑनलाइन एजेकुशन सभी छात्रों को देनी होगी। फीस नहीं भरने वाले छात्रों का नाम ऑनलाइन क्लास से नहीं हटाया जाए।
-स्कूलों की जिम्मेदारी होगी कि वह अपने टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ का वेतन समय पर दे। अगर धनराशि की दिक्कत आए तो स्कूल प्रबंधन, पैरंट संस्था से धनराशि लें। लेकिन किसी की सैलेरी नहीं रोंके चाहे वह स्टाफ कॉन्ट्रेक्ट पर ही क्यों न हो