उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु में चतुर्थ श्रेणी के पदों की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा के आदेश दिये
By भाषा | Published: June 18, 2019 10:20 PM2019-06-18T22:20:59+5:302019-06-18T22:20:59+5:30
रोजगार कार्यालय में पंजीकरण के बाद 13 साल के इंतजार के मद्देनजर नौकरी की मांग करने वाले एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए न्यायमूर्ति एस एम सुब्रमण्यम ने खेद व्यक्त किया कि यह सामान्य जानकारी में है कि चतुर्थ श्रेणी के पदों पर सारी नियुक्तियां पक्षपात के आधार पर की गई थीं। सफाईकर्मी, माली, गाँव और कार्यालय सहायकों सहित पद चतुर्थ श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।
मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु में चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया में पक्षपात की निंदा करते हुए राज्य सरकार को पात्र उम्मीदवारों का चयन करने के लिए लिखित परीक्षा आयोजित करने का मंगलवार को निर्देश दिया।
रोजगार कार्यालय में पंजीकरण के बाद 13 साल के इंतजार के मद्देनजर नौकरी की मांग करने वाले एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए न्यायमूर्ति एस एम सुब्रमण्यम ने खेद व्यक्त किया कि यह सामान्य जानकारी में है कि चतुर्थ श्रेणी के पदों पर सारी नियुक्तियां पक्षपात के आधार पर की गई थीं। सफाईकर्मी, माली, गाँव और कार्यालय सहायकों सहित पद चतुर्थ श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।
याचिकाकर्ता पी उदयकुमार ने दलील दी कि वह एक दशक से अब भी नौकरी का इंतजार कर रहे हैं जबकि एक कार्यकारी अधिकारी से संबंधित एक अन्य व्यक्ति को नियुक्त किया गया जबकि वह रोजगार प्रतीक्षा सूची में उससे जूनियर था। न्यायमूर्ति ने कहा कि अगर लोक सेवकों को पक्षपात के आधार पर नियुक्त किया जाता है, तो इस महान देश के लोग ऐसे लोक सेवक से ईमानदारी की उम्मीद कैसे कर सकते हैं।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम ने कहा, ‘‘सरकारी पदों पर स्वतंत्र और निष्पक्ष चयन के उद्देश्य से पारदर्शिता भी एक प्राथमिक सिद्धांत है।’’ याचिकाकर्ता ने प्रतीक्षा सूची में अपने जूनियर रहे व्यक्ति की नियुक्ति को खारिज किये जाने की भी मांग की थी। हालांकि, अदालत ने इससे इनकार कर दिया और कहा कि वह आठ साल से नौकरी में है और जरूरत नियुक्तियों के नियमन की है।