डीयू के सिलेबस से हटाए गए 'आपत्तिजनक' हिस्से, 'गुजरात दंगे' और 'RSS की छवि' को लेकर छिड़ी थी बहस
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 18, 2019 03:30 PM2019-07-18T15:30:52+5:302019-07-18T15:31:36+5:30
मालूम हो कि अंडरग्रैजुएट प्रोग्राम के सिलेबस के अंग्रेजी डिपार्टमेंट के एक पेपर में 'गुजरात दंगों' पर एक केस स्टडी शामिल था। जिसको लेकर विश्वविद्यालय के कुछ शिक्षकों ने विरोध किया था।
दिल्ली विश्वविद्यालय के सिलेबस से विवादित हिस्से हटा दिए गए हैं। ये विवादित हिस्से दिल्ली विश्वविद्यालय के 4 कोर्स में शामिल थे। जिसका जमकर विरोध किया गया। दरअसल, दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की अकादमिक परिषद के एक सदस्य ने आरोप लगाया था कि अंग्रेजी पत्रकारिता के अद्यतन पाठ्यक्रम में मुजफ्फरनगर दंगों और भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या किए जाने की घटनाओं पर पाठ शामिल हैं जो आरएसएस एवं उससे संबद्ध संगठनों को निशाना बनाने का प्रयास हैं। जिसका जमकर विरोध हुआ, इसके बाद इस आपत्तिजनक हिस्से को सिलेबस से हटा दिया गया है।
इसके साथ ही सोशियॉलजी, पॉलिटिकल साइंस, हिस्ट्री और इंग्लिश के यूजी प्रोग्राम के सिलेबस से कुछ विवादित हिस्से हटाए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विश्वविद्याल के एक अधिकारी ने कहा कि 4 विषयों के सिलेबस में शामिल कुछ हिस्सों को आरएसएस विरोधी होने को लेकर विवाद था। विरोध के बाद आपत्तिजनक हिस्सों को सिलेबस से हटा लिया गया है।
डीयू के पत्रकारिता के पाठ्यक्रम में आरएसएस की बुरी छवि पेश
डीयू के पत्रकारिता के पाठ्यक्रम में आरएसएस की बुरी छवि पेश करने पर विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद के सदस्य रसल सिंह ने इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि ऐसे पाठों की स्रोत सामग्री ‘‘पक्षपाती” समाचार पोर्टलों से ली गई है जो अक्सर सरकार की आलोचना करते हैं। उन्होंने कहा, “वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उससे संबद्ध संगठनों यहां तक कि हमारे प्रधानमंत्री को भी निशाना बना रहे हैं। मैं अकादमिक परिषद की सोमवार की बैठक में यह मुद्दा उठाउंगा और सुनिश्चित करुंगा कि इसे अनुमति न मिले।’’
नक्सलवाद पर आधारित नंदिनी सुंदर का भी लेख हटाया गया
प्रोफेसर नंदिनी सुंदर का भी एक लेख एक सिलेबस से हटा दिया गया है। उनका लेख नक्सलवाल से संबंधित था जो पॉलिटिकल सांइस कोर्स की सिलेबस में शामिल था। इसके साथ ही अंग्रेजी विभाग के सिलेबस में एक चैप्टर ऐसा शामिल किया गया था जिसमें आरएसएस और बजरंग दल की खराब छवि पेश की जा रही थी, सिलेबस से उस हिस्से को हटा लिया गया है।
मालूम हो कि अंडरग्रैजुएट प्रोग्राम के सिलेबस के अंग्रेजी डिपार्टमेंट के एक पेपर में 'गुजरात दंगों' पर एक केस स्टडी शामिल था। जिसको लेकर विश्वविद्यालय के कुछ शिक्षकों ने विरोध किया था। वहीं, इतिहास में सूफी संत अमीर खुसरो को सिलेबस से हटाने और डॉ. बीआर आंबेडकर पर करिकुलम कम करने पर भी ऐतराज जताया जा रहा था।