JNU के कुलाधिपति ने तोड़ी चुप्पी, कहा- 'विरोध प्रदर्शन कर रहे जेएनयू के छात्र और अध्यापक नहीं चाहते अनुशासन'
By भाषा | Published: January 16, 2020 04:57 PM2020-01-16T16:57:10+5:302020-01-16T16:57:10+5:30
सारस्वत नीति आयोग के सदस्य भी हैं। उन्होंने इस पर दुख प्रकट किया कि जेएनयू के कुलपतियों ने छात्रों और अध्यापकों को अत्यधिक स्वतंत्रता दी।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति वी के सारस्वत ने बुधवार को कहा कि विरोध प्रदर्शन कर रहे विश्वविद्यालय के छात्र और अध्यापक किसी प्रकार का अनुशासन नहीं चाहते। उन्होंने विश्वविद्यालय की हालिया समस्याओं के लिए पिछले 50-60 सालों में छात्रों और अध्यापकों को मिली छूट को जिम्मेदार ठहराया।
सारस्वत नीति आयोग के सदस्य भी हैं। उन्होंने इस पर दुख प्रकट किया कि जेएनयू के कुलपतियों ने छात्रों और अध्यापकों को अत्यधिक स्वतंत्रता दी। सारस्वत ने पीटीआई-भाषा से कहा, “जेएनयू के जो छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं उन्हें व्यवस्था में किसी भी प्रकार के अनुशासन से कोई मतलब नहीं। यहां तक कि जो अध्यापक उनका समर्थन कर रहे हैं उन्हें भी कोई अनुशासन नहीं चाहिए।”
सारस्वत ने कहा कि जेएनयू के कुछ छात्रों और अध्यापकों द्वारा किया जा रहा विरोध प्रदर्शन अनुचित है क्योंकि विश्वविद्यालय प्रशासन पहले ही उनकी अधिकतर मांगों को मान चुका है। उन्होंने कहा, “देखिये, जेएनयू में पिछले 50-60 सालों में अत्यधिक स्वतंत्रता दी गयी। पिछले कुलपतियों ने हमेशा इस आजादी की अनुमति प्रदान की।”
कुलपति को हटाने की जेएनयू छात्र संघ की मांग पर सारस्वत ने कहा, “जेएनयू छात्र संघ प्रतिदिन पाला बदल रहा है। इस प्रकार की मांग दबाव बनाने के पैंतरे हैं।” विश्ववविद्यालय में चर्चा और विमर्श को सही बताते हुए पूर्व डीआरडीओ अध्यक्ष ने कहा कि चर्चा और विमर्श एक सीमा के भीतर होना चाहिए।
उन्होंने कहा, “अगर उन सीमाओं का उल्लंघन होता है तो यह एक बड़ा मुद्दा हो जाता है। हम कार्रवाई के जरिये अनुशासन लाने की कोशिश कर रहे हैं।” सारस्वत ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में जेएनयू के छात्र और अध्यापक सीमा लाँघ रहे हैं। उन्होंने कहा, “इसीलिए किसी भी राष्ट्रीय मुद्दे पर उनका अपना मत होता है और कभी-कभी वह वैचारिक रूप से भिन्न होता है… ऐसा पहले भी हो चुका है।”
कुलपति जगदीश कुमार के अड़ियल रवैये और विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों से बात न करने के उनके निर्णय पर पूछे जाने पर सारस्वत ने कहा कि जब छात्र कुलपति निवास का घेराव करेंगे तो उनसे संवाद कैसे हो सकता है।
उन्होंने कहा, “कुलपति और छात्रों के बीच बातचीत अनुशासन में रह कर ही हो सकती है।” जेएनयू के कुलपति कुमार के आरएसएस से संबंधों के आरोप पर सारस्वत ने कहा कि यह बिलकुल झूठ है। उन्होंने कहा, “जेएनयू के कुलपति हमारे देश के सर्वश्रेष्ठ अभियंताओं में से एक हैं। वह उच्च स्तरीय अकादमिक व्यक्ति हैं। उनकी ईमानदारी और निष्ठा कई सारे भारतीयों की अपेक्षा हजार गुना अधिक है। इसलिए यह कहना कि नए अध्यापकों की नियुक्ति में उन्होंने पक्षपात किया, गलत है।” सारस्वत ने दावा कि पहले जेएनयू में नियुक्तियां विचारधारा के आधार पर होती थी।