सीबीएसई का ऑफर : चुनिए गणित का आसान पेपर, पास कीजिए बोर्ड परीक्षा

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 12, 2019 03:20 PM2019-01-12T15:20:49+5:302019-01-12T15:20:49+5:30

सीबीएसई के निदेशक डा. इमेनुएल जोसफ से लोकमत समाचार की विशेष बातचीत। गणित में होंगे दो तरह के प्रश्न पत्र 'स्टैंडर्ड गणित' और 'बेसिक गणित' -दसवीं तक 15 लाख छात्र पढते हैं गणित, ग्यारहवीं में आते ही 10 लाख छात्र गणित से हो जाते हैं दूर।

CBSE offers: Select mathematics paper easy, pass board examination | सीबीएसई का ऑफर : चुनिए गणित का आसान पेपर, पास कीजिए बोर्ड परीक्षा

सीबीएसई का ऑफर : चुनिए गणित का आसान पेपर, पास कीजिए बोर्ड परीक्षा

सीबीएसई अगले साल से दसवीं की बोर्ड परीक्षा में गणित से डरने वाले छात्रों को बडी राहत देने की तैयारी में है। बोर्ड अगले साल से गणित में दो तरह के प्रश्न पत्र लाएगा। इसमें से एक सामान्य या 'स्टैंडर्ड गणित' तो दूसरा सरल या 'बेसिक गणित' का प्रश्न पत्र होगा। सीबीएसई निदेशक (अकादमिक) डा. इमेनुअल जोसेफ ने लोकमत से विशेष बातचीत में कहा कि गणित के फार्मूलों से डरने वाले छात्रों के लिए यह बडी राहत होगी। यह सुविधा अगले साल 2020 से ही उपलब्ध होगी।

उन्होंने कहा कि छात्रों को बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए फार्म भरते समय स्कूल में गणित विषय की परफोरमेंस को ध्यान में रखकर 'स्टैंडर्ड गणित' और 'बेसिक गणित' में से किसी एक को चुनना है। परीक्षा के प्रश्नपत्र बेशक दो तरह के होंगे लेकिन स्कूलों में पढाई वैसे ही होगी जैसी होती है उसमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि हर साल दसवीं की बोर्ड परीक्षा में 15 लाख छात्र गणित विषय की परीक्षा देते हैं। इनमें से 10 लाख छात्र ग्यारहवीं में आते ही गणित विषय छोडकर किसी अन्य विषय को अपने मुख्य विषयों में शामिल कर लेते हैं।

छात्रों में गणित का डर दूर करने के लिए बोर्ड ने यह निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि इस बदलाव का आधार राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रू परेखा (एनसीएफ) 2005 है। इसमें विषय विशेषज्ञों और मनोवैज्ञानिकों की राय थी कि छात्रों के मन से गणित का डर दूर करने के लिए इसे सामान्य और सामान्य से सरल परीक्षा पद्घति में लाना चाहिए। डा. जोसफ ने कहा कि नए बदलाव के तहत दसवीं में जो छात्र गणित में कमजोर हैं और आगे गणित पढना नहीं चाहते उनके पास यह विकल्प होगा कि वह 'बेसिक गणित' का विकल्प चुन बोर्ड परीक्षा दें।

ऐसे छात्र जिन्हें गणित अच्छा लगता है और वह आगे भी गणित को विषय के रू प में पढना चाहते हैं वह 'स्टैंडर्ड गणित' को विषय के रू प में चुनकर परीक्षा देंगे। दसवीं के छात्रों के लिए यह बिल्कुल साफ होगा कि 'स्टैंडर्ड गणित' में उत्तीर्ण छात्रों को ही आगे की कक्षाओं में गणित विषय पढने का मौका मिलेगा। बेसिक गणित पढने वाले छात्र ग्यारहवीं में गणित नहीं पढ सकेंगे। अगर वह सुधार चाहते हैं तो वर्ष 2020 की कंपार्टमेंट परीक्षा में स्टैंडर्ड गणित का विषय चुनकर और उसमें उत्तीर्ण होकर आगे गणित विषय पढ सकेंगे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 की बोर्ड परीक्षा के बाद जून-जुलाई तक सीबीएसई अपनी वेबसाइट पर दसवीं के छात्रों के लिए 'स्टैंडर्ड गणित' और 'बेसिक गणित' के सैंपल पेपर जारी करेगा।

इसके अलावा 'बेसिक गणित' और 'स्टैंडर्ड गणित' की मार्किंग स्कीम भी जारी की जाएगी। जिससे छात्रों को यह पता रहेगा कि किस तरह के सवाल पर सही उत्तर के बदले कितने अंक मिलेंगे। जहां तक सिलेबस में किसी तरह के बदलाव की बात है तो ऐसा कुछ नहीं किया गया है। छात्रों की प्री-बोर्ड परीक्षाएं एक समान होंगी। लेकिन छात्रों के लिए सबसे अहम यह रहेगा कि वह बोर्ड परीक्षा का फार्म भरते समय स्टैंडर्ड गणित और बेसिक गणित के कोड को ध्यान से जांच कर भरें क्योंकि बाद में करेक्शन का मौका नहीं मिलेगा। अगर कोई छात्र परीक्षा परिणाम के बाद स्टैंडर्ड गणित की परीक्षा देना चाहता है तो वह कंपार्टमेंट परीक्षा में आवेदन कर यह मौका पा सकेगा।

गणित की जगह कोई और विषय क्यों नहीं

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) राष्ट्रीय बोर्ड है। एनसीएफ में यह साफ है कि राष्ट्रीय बोर्ड को दसवीं तक पांच मुख्य विषय पढवाने होंगे और इनकी परीक्षा आयोजित करनी होगी। गणित पांच मुख्य विषयों में से एक है इसलिए गणित के डर को दूर करने के लिए गणित को मुख्य विषयों से हटाकर वैकल्पिक विषय के रू प में शामिल नहीं किया जा सकता है। समाधान के तौर पर गणित में कम रुचि  रखने वाले छात्रों के लिए 'बेसिक गणित' के प्रश्न पत्र का फार्मूला लागू किया जा रहा है।

इसकी बडी वजह यह भी है कि कई छात्र गणित में तीन-तीन बार फेल होने या इम्प्रूमेंट भरने के बाद भी उतने ही अंक पा रहे थे जितने वह पहले की परीक्षा में लाए थे। ऐसे छात्रों को कम अंक के कारण आगे गणित नहीं मिलता है। नए निर्णय से गणित से डरने वाले लाखों छात्रों को राहत मिलेगी। इसके अलावा स्कूली परीक्षाओं के आधार पर छात्र अपनी परफोरमेंस देखकर यह निर्णय ले सकेंगे कि बोर्ड परीक्षा के लिए उन्हें 'स्टैंर्डड गणित' चुनना है या 'बेसिक गणित'।

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