क्या प्रधानमंत्री कार्यालय से निकलेगा विश्वविद्यालय आरक्षण विवाद का समाधान? 13 प्वाइंट में समझें पूरा मामला
By आदित्य द्विवेदी | Published: January 28, 2019 02:58 PM2019-01-28T14:58:57+5:302019-01-28T14:58:57+5:30
विश्वविद्यालय में आरक्षण की यह कौन सी प्रक्रिया है जिसने पूरे देश में विवाद खड़ा कर दिया है। आइए, 13 प्वाइंट में समझते हैं '13 प्वाइंट रोस्टर' और विश्वविद्यालय आरक्षण विवाद से जुड़ी बड़ी बातें...
विश्वविद्यालय की नौकरियों में '13 प्वाइंट रोस्टर' लागू होने के बाद पूरे देश में विरोध जारी है। इस विवाद का समाधान तलाशने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय में मंथन जारी है। माना जा रहा है कि सरकार इस संबंध में बजट सत्र के दौरान संविधान संशोधन पर भी विचार कर सकती है। गौरतलब है कि 13 प्वाइंट रोस्टर को विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों समेत कई पार्टियों के नेताओं ने भी आरक्षण के सिद्धांत का उल्लंघन बताया है। एनडीए के सहयोगी दलों ने भी सरकार के समझ इस विषय को गंभीरता से रखा है। विश्वविद्यालय में आरक्षण की यह कौन सी प्रक्रिया है जिसने पूरे देश में विवाद खड़ा कर दिया है। आइए, 13 प्वाइंट में समझते हैं '13 प्वाइंट रोस्टर' और आरक्षण से जुड़ी सभी बातें...
1. रोस्टर एक विधि है, जिसके जरिये नौकरियों में आरक्षण लागू किया जाता है। देश के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 200 प्वाइंट रोस्टर के आधार पर भर्तियां होती थी।
2. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2017 में ये फैसला दिया कि विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भर्ती 13 प्वाइंट रोस्टर के आधार पर होगी। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे मान्यता दे दी जिसके बाद 13 प्वाइंट रोस्टर देश में लागू हो गया है।
3. पुरानी भर्ती व्यवस्था 200 प्वाइंट रोस्टर के आधार पर थी। जिसके मुताबिक विश्वविद्यालय को एक यूनिट माना गया। एक से 200 तक पदों की नियुक्ति में आरक्षण के प्रावधान लागू हुए। आरक्षित वर्ग के लिए 49.5 फीसदी और अनारक्षित वर्ग के 50.5 फीसदी सीटें इसी हिसाब से भरने की व्यवस्था हुई। यूनिवर्सिटी को एक यूनिट मान लेने से नियुक्तियों के लिए इतनी सीटें उपलब्ध थीं कि रिजर्व कैटेगरी के उम्मीदवारों की भागीदारी के लिए समुचित व्यवस्था हो पा रही थी।
4. नई व्यवस्था में 13 प्वाइंट रोस्टर से भर्तियों का प्रावधान है। जिसके मुताबिक डिपार्टमेंट को एक यूनिट माना गया है। इसके मुताबिक अगर एक विभाग में 14 वैकेंसी निकलती हैं तो पहली. दूसरी और तीसरी पोस्ट सामान्य वर्ग के लिए, उसके बाद चौथी पोस्ट ओबीसी के लिए, फिर पांचवीं छठी सामान्य वर्ग के लिए, उसके बाद सांतवी पोस्ट एससी और आठवीं पोस्ट ओबीसी के लिए, फिर नौवां दसवां और ग्यारहवां पद सामान्य वर्ग के लिए, फिर बारहवीं पोस्ट ओबीसी और तेरहवीं सामान्य वर्ग के लिए, फिर चौदहवीं पोस्ट एसटी के लिए आती हैं।
5. आम तौर पर किसी विश्वविद्यालय के विभाग में 3-4 पद ही होते हैं। ऐसे में ओबीसी या एससी एसटी की भर्ती का सवाल ही नहीं उठता। इसलिए ऐसा कहा जा रहा है कि 13 पॉइंट रोस्टर को लागू करके विश्वविद्यालयों में आरक्षण को खत्म करने कोशिश चल रही है।
6. देशभर में लोगों के विरोध को देखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
7. इससे ये साफ़ हो गया है कि 5 मार्च 2018 को जारी 13 पॉइंट रोस्टर अब सभी यूनिवर्सिटी में लागू हो गया है और अप्रैल 2014 से रुकी हुई नियुक्तियां अब इसी आधार पर होंगी।
8. एचआरडी मंत्री प्रकाश जावडेकर ने इस फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाने की बात कही थी लेकिन फिलहाल सरकार की तरफ से कोई घोषणा नहीं की गई है।
9. प्रधानमंत्री कार्यालय इस विवाद का समाधान तलाशने की कोशिश कर रहा है। फिलहाल सरकार के पास दो रास्ते हैं- पहला- जैसा की मांग की जा रही है सरकार इस पर अध्यादेश ला सकती है और कानून बनाकर 13 पॉइंट रोस्टर सिस्टम को रद्द कर सकती है। दूसरा, सरकार सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच में जा सकती है।
10. लोजपा नेता रामविलास पासवान ने एचआरडी मंत्री से मुलाकात के बाद कहा है कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर रही है।
11. अपना दल से केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि नए रोस्टर सिस्टम से विश्वविद्यालयों में वंचित समाज की भागीदारी का रास्ता ही बंद हो जाएगा।
12. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि लंबे संघर्ष के बाद उच्च शिक्षा में हासिल संवैधानिक आरक्षण को मनुवादी मोदी सरकार ने लगभग खत्म कर दिया गया है। 200 प्वाइंट रोस्टर के लिए सरकार द्वारा दायर कमज़ोर एसएलपी को सुप्रीम कोर्ट में खारिज कर दिया गया है। अब विभागवार आरक्षण यानी 13 प्वाइंट रोस्टर लागू होगा। मनुवाद मुर्दाबाद!
13. आगामी आम चुनाव के मद्देनजर सरकार नहीं चाहती कि पिछड़ा वर्ग को कोई गलत संदेश जाए। एससी एसटी की नाराजगी का खामियाजा बीजेपी को मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ा था। इसलिए उम्मीद की जा रही है कि जल्दी ही रोस्टर विवाद का भी कोई ना कोई समाधान निकलेगा जो आरक्षण के लाभार्थियों के हित में होगा।