विकास दुबे के सहयोगी गोपाल सैनी ने किया आत्मसमर्पण, एक लाख रुपये का था इनाम
By भाषा | Published: July 30, 2020 02:40 PM2020-07-30T14:40:21+5:302020-07-30T14:41:53+5:30
विकास दुबे के करीबी सहयोगी गोपाल सैनी अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। गोपाल सैनी एक लाख रुपये का इनाम था। गोपाल सैनी बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में आरोपी है।
कानपुर: कुख्यात अपराधी विकास दुबे के निकट सहयोगी गोपाल सैनी ने बुधवार को कानपुर देहात जिले की विशेष अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है। उस पर एक लाख रूपये का इनाम घोषित था।
सरकारी वकील राजू पोरवाल ने बृहस्पतिवार को ‘पीटीआई—भाषा’ को बताया कि गोपाल सैनी बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोपी है। गौरतलब है कि पुलिस दल दो जुलाई रात को विकास दुबे के घर दबिश देने गया था और उस पर घात लगाकर हमला किया गया था। हमले में आठ पुलिसकर्मी मारे गये थे।
पोरवाल ने बताया कि सैनी ने कानपुर देहात की माटी स्थित विशेष अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है। एक अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) और कानपुर पुलिस को सैनी की तीन जुलाई से तलाश थी। पोरवाल ने बताया कि सैनी के वकील ने अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण के लिए अर्जी दी थी।
वह हालांकि सैनी की आत्मसमर्पण की अर्जी के बारे में और कोई ब्यौरा नहीं दे सके। पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) ब्रजेश श्रीवास्तव ने पुष्टि की कि बिकरू कांड के मुख्य आरोपी सैनी ने कानपुर देहात की अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है। उन्होंने कहा कि हमने सैनी को पुलिस रिमांड पर दिये जाने का अनुरोध करने के लिए संबंधित अदालत में अर्जी लगाने का फैसला किया है। श्रीवास्तव ने बताया कि सैनी पर पहले 50 हजार रूपये का इनाम घोषित था लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया गया था।
सैनी उन सात आरोपियों में से एक है, जिन्हें या तो गिरफ्तार किया जा चुका है या फिर उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया है। इससे पहले दयाशंकर अग्निहोत्री, श्यामू बाजपेयी, जहन यादव, शशिकांत, मोनू (जेसीबी ड्राइवर) और शिवम दुबे सहित विकास दुबे के कछ सहयोगियों को या तो यूपी एसटीएफ या फिर कानपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार इनके अलावा छोटू शुक्ला, शिव तिवारी, विष्णुपाल यादव, राम सिंह, रामू बाजपेयी, हीरू दुबे और बाल गोविन्द सहित विकास के कई साथी फरार हैं। विकास दुबे और उसके पांच साथी प्रभात मिश्र, अमर दुबे, बउवा दुबे, प्रेम कुमार पाण्डेय और अतुल दुबे तीन जुलाई के बाद से अलग-अलग मुठभेडों में मारे गये हैं।