उत्तर प्रदेश के इस गांव में कोई भी नहीं रखता अपनी बेटी का नाम शबनम, वजह है दिलचस्प
By पल्लवी कुमारी | Published: January 17, 2019 03:16 PM2019-01-17T15:16:11+5:302019-01-17T15:16:11+5:30
ये कहानी है उत्तर प्रदेश के जिला अमरोहा से 20 किलोमीटर दूर बावनखेड़ी गांव की। जहां कोई भी अपने बच्चे का नाम शबनम रखने की सोचता भी नहीं।
उत्तर प्रदेश के जिला अमरोहा से 20 किलोमीटर दूर बावनखेड़ी गांव में कोई भी अपनी बेटी का शबनम नहीं रखता। 10 पहले इस गांव में एक ऐसी घटना घटी जिसके बाद इस गांव में कोई भी अपनी बेटी का नाम शबनम नहीं रखना चाहता है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस पूरे मामले की रिपोर्ट की है। आइए बातते हैं क्या है पूरी घटना
उत्तर प्रदेश के जिला अमरोहा से 20 किलोमीटर दूर बावनखेड़ी गांव में आज से 10 साल पहले एक शबनम अली नाम की लड़की थी, जिसे सलीम नाम के लड़के से प्यार था। शबनम ने अंग्रेजी और भूगोल में एमए किया था। एक सूफी परिवार में जन्मीं शबनम अली का परिवार काफी सुखी था और उनके पास बहुत जमीन थी। वहीं सलीम एक गरीब परिवार का लड़का था और वह पांचवीं फेल था और पेशे से एक मजदूर था। इसलिए दोनों ही परिवार को ये रिश्ता मंजूर नहीं था।
11 सालों से मुरादाबाद की जेल में बंद है शबनम
शबनम अली पिछले 11 सालों से मुरादाबाद की जेल में बंद है। उसपर चार्ज है- 2008 में 14 और 15 अप्रैल की रात शबनम ने सलीम के साथ मिलकर अपने पूरे परिवार की हत्या कर दी। तब वह सात महीने की गर्भवती थी।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, इस घटना को 10 साल बीत गए हैं लेकिन गांव के लोग उस घटना को आजतक नहीं भूले पाए हैं वो उनके लिए आज भी एक डरावने सपने की तरह है। यही वजह है कि गांव का कोई भी शख्स अपनी बेटी का नाम शबनम नहीं रखता है।
आज भी घर में मौजूद हैं खून के दाग
शबनम के घर पड़ोसी ने टीओआई को बताया, 'शबनम के घर के कमरों में आज भी आपको खून के दाग देखने को मिल जाएंगे। उस घटना के बाद से किसी के भी घर में शबनम ने जन्म नहीं लिया।'
शबनम के चाचा सत्तार अली के मुताबिक, शबनम के पिता के पास लगभग 30 बीघा जमीन थी। वह एक स्कूल में शिक्षक थे। शबनम कॉलेज में बहुत अवव्ल छात्रा हुआ करती थी। पूरे गांव में किसी को भी इस बात का यकीन नहीं था कि शबनम खुद अपने घरवालों को मौत के घाट उतार देगी। घटना के बाद पुलिस को शबनम ने बताया था कि घर में घुसे लुटरों ने पूरे परिवार को काट डाला। वह बाथरूम में थी, इसलिए बच गई।
घटना वाले दिन 50 से 60 बार शबनम और सलीम में हुई थी बात
जांच के बाद पता चला कि सलीम और शबनम झूठ बोल रहे हैं। पुलिस ने इन दोनों के फोन कॉल रिकॉर्ड की जांच की तो पता चला कि घटना वाले दिन 14 अप्रैल 2008 को दोनों के बीच 50 से 60 बार फोन पर बात की गई थी। आखिरी फोन कॉल 1.45am को शबनम ने सलीम को किया था, जिसके थोड़े देर बाद इस घटना को अंजाम दिया गया।
शबनम के चाचा ने बताया, इसके थोड़े ही देर बाद शबनम बॉलकनी में आई और जोर-जोर में चिल्लाकर आवाज लगाने लगी। मैं वह पहला इंसान था, जिसने शबनम के रोने की आवाज सुनी थी।
टीओआई में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, अभी कुछ दिनों पहले ही मुरादाबाद जेल में रहकर शबनम ने कुछ दिनों पहले ही अपने 10 साल के बेटे को पत्र लिखा है, जिसमें उसने अपने बेटे को अच्छे से पढ़ने के लिए कहा और ये भी बताया कि बड़ों की इज्जत करना और उनकी हर बात को मानना।