यूपीएससी परीक्षा में फर्जीवाड़ा कर बन गया डिप्टी कमिश्नर, सीबीआई जांच में खुलासा, बेतिया का रहने वाला राजेश ऐसे पकड़ा गया
By एस पी सिन्हा | Published: August 11, 2021 08:12 PM2021-08-11T20:12:25+5:302021-08-11T20:13:22+5:30
बिहार में बेतिया का रहने वाला राजेश कुमार ने संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी की परीक्षा में फर्जीवाड़ा किया.
पटनाः बिहार में हैरत में डाल देने वाली एक घटना सामने आई है. यहां का एक युवक फर्जी डिग्री का सहारा लेकर डिप्टी कमिश्नर बन गया. मामला यूपीएससी यानी देश की सबसे बड़ी परीक्षा में फर्जीवाडे़ से जुड़ा है. सीबीआई ने जांच के दौरान इस नटवरलाल की हकीकत को सामने लाया है.
जिसके बाद अब सीबीआई कोर्ट में उपस्थित होने का समन भी जारी कर दिया गया है. बताया जाता है कि बेतिया का रहने वाला राजेश कुमार ने संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी की परीक्षा में फर्जीवाड़ा किया. साल 2007 में आयोजित परीक्षा में फर्जीवाड़ा कर डिप्टी कमिश्नर बन गया. सीबीआई ने जब पूरे मामले की जांच की तो हकीकत सामने आ गई.
उसने सर्टिफिकेट में हेराफेरी के जरिए राजेश नवनीत कुमार बन गया और फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर वह आईआरएस की परीक्षा पास कर सेंट्रल जीएसटी के कार्यालय में डिप्टी कमिश्नर हो गया. पटना में मुख्य कमिश्नर के कार्यालय में डिप्टी कमिश्नर बनकर नवनीत अपनी सेवा दे रहा था. इसका खुलासा सीबीआई ने अपनी जांच में किया है.
राजेश कुमार ने जन्म प्रमाण पत्र और शैक्षणिक प्रमाण पत्र में हेराफेरी कर खुद को नवनीत कुमार बना लिया. इसकी शिकायत सामने आने पर सीबीआई ने 2019 में जालसाजी, धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर अपनी जांच शुरू कर दी. सीबीआई ने इस मामले में अपना अनुसंधान पूरा कर लिया है. 30 जुलाई को पटना सीबीआई कोर्ट में राजेश कुमार (फर्जी नाम- नवनीत कुमार) के खिलाफ चार्जशीट दायर किया है.
कोर्ट ने अपराध की कई अलग-अलग धाराओं के तहत मामले में संज्ञान लिया है. आरोपित को सीबीआई कोर्ट में हाजिर होने का समन जारी हुआ है. कोर्ट ने इस मामले में आरोपित राजेश कुमार उर्फ नवनीत कुमार को कोर्ट में उपस्थित होने के लिए समन जारी करने का निर्देश भी दिया है.
सीबीआई ने जो जांच की है, उसमें पाया गया है कि राजेश कुमार पिता जय नारायण शर्मा पश्चिम चंपारण के बेतिया का रहने वाला है और जवाहर नवोदय विद्यालय में 1987 में उसने पढाई की. उसके जन्म प्रमाण पत्र में 5 दिसंबर 1974 है.
राजेश ने एक अपराधिक साजिश के तहत जन्म प्रमाण पत्र और शैक्षणिक प्रमाण पत्र में किया और यूपीएससी की परीक्षा 2007 में आईआरएस क्वालीफाई कर लिया और सेंट्रल जीएसटी में डिप्टी कमिश्नर बन बैठा. लेकिन बाद में सारी पोल खुलकर सामने आ गई.