यूपी: जौनपुर के पूर्व सांसद उमाकांत यादव को सिपाही हत्याकांड में हुई आजीवन कारावास
By भाषा | Published: August 8, 2022 09:38 PM2022-08-08T21:38:50+5:302022-08-08T21:47:04+5:30
जौनपुर के मछलीशहर से लोकसभा के सांसद रहे दबंग नेता उमाकांत यादव को रेलवे के सिपाही की हत्या के मामले में सात अन्य दोषियों के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
जौनपुर:जौनपुर के मछलीशहर से लोकसभा के सांसद रहे दबंग नेता उमाकांत यादव को जौनपुर की कोर्ट ने 27 साल पुराने हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यादव समेत कुल सात लोगों को कोर्ट ने राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के सिपाही की हत्या, तीन अन्य की हत्या के प्रयास के मामले में यह सजा सुनाई है।
जौनपुर ज़िला शासकीय अधिवक्ता अनिल सिंह ने बताया कि जौनपुर के अपर जिला सत्र न्यायाधीश शरद चन्द्र त्रिपाठी ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सोमवार को यह फैसला सुनाया। अदालत ने इस मामले में पूर्व सांसद समेत सात लोगों को आरोपी मानते हुए शनिवार को दोष सिद्ध किया था।
मालूम हो कि फरवरी 1995 में जौनपुर के शाहगंज जीआरपी लॉकअप में बंद राजकुमार यादव को छुड़ाने के दौरान सिपाही अजय सिंह हत्या कर दी गई थी। इस घटना में एक अन्य सिपाही लल्लन सिंह, रेल कर्मचारी निर्मल वाटसन एवं रेल यात्री भारत लाल गोलीबारी में घायल हो गए थे। उन्होंने बताया कि अपर जिला सत्र न्यायाधीश शरद चन्द्र त्रिपाठी ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह फैसला सुनाया।
विशेष न्यायाधीश एमपी एमएलए अदालत, जौनपुर मे विचाराधीन प्रकरण राज्य बनाम उमाकांत यादव व अन्य के खिलाफ भादंवि की धारा 147, 148, 149, 332, 333, 324, 325, 427, 307, 302 तथा फौजदारी कानून की धाराओं के तहत यह सजा सुनाई। न्यायालय ने अभियुक्त पूर्व सांसद उमाकांत यादव, बच्चू लाल यादव, राजकुमार, धर्मराज, सूबेदार तथा महेंद्र प्रसाद वर्मा एवं सभाजीत पाल को दोषी करार दिया।
अभियुक्त उमाकांत यादव को एवं बच्चू लाल यादव, राजकुमार, धर्मराज, सूबेदार, महेंद्र प्रसाद वर्मा तथा सभाजीत पाल को धारा 302 में आजीवन कारावास, धारा 307 में 10 साल का कारावास, धारा 337 में पांच साल कैद, धारा 148 में दो साल का कारावास व धारा 427 में एक साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने इस मामले में दोषियों पर जुर्माना भी लगाया है।
उन्होंने बताया कि अभियोजन पक्ष की तरफ से कुल 19 गवाहों को पेश किया गया। मामले की विवेचना सीबीसीआईडी द्वारा की गई। शाहगंज जीआरपी में तैनात सिपाही रघुनाथ सिंह ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि फरवरी 1995 में दो बजे राइफल एवं रिवाल्वर से लैस होकर आरोपी उमाकांत यादव अपने सहयोगियों के साथ जीआरपी चौकी आए।
उमाकांत यादव ने लॉकअप में बंद राजकुमार यादव को जबरन छुड़ाने का प्रयास किया। प्राथमिकी के मुताबिक इस दौरान हमलावर पक्ष की तरफ से अंधाधुंध फायरिंग की गई जिसमें कांस्टेबल अजय सिंह की मौत हो गई थी जबकि सिपाही लल्लन सिंह, रेलकर्मी निर्मल वाटसन व रेल यात्री भारत घायल हुए थे।
इस मामले में पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया जिसमें पूर्व सांसद समेत सात लोगों को आरोपी बनाया गया था। इस मामले में पत्रावली एमपी एमएलए अदालत में हस्तांतरित की गई थी। बाद में इसको उच्च न्यायालय के निर्देश पर दीवानी न्यायालय जौनपुर में स्थानांतरित किया गया।