मुस्लिम महिला ने पुलिस में दर्ज करायी 'तीन तलाक' की शिकायत, पुलिस को सबूत के तौर पर सौंपी ऑडियो रिकॉर्डिंग
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 21, 2018 02:35 PM2018-12-21T14:35:49+5:302018-12-21T14:35:49+5:30
महिला ने पुलिस से कहा कि इस वर्ष फरवरी में बच्ची को जन्म देने के बाद उसके ऊपर अत्याचार बढ़ गए। उसने कहा, ‘‘28 नवंबर को उसने (पति ने) मुझे व्हाट्सएप पर कॉल किया और मुझे अपशब्द बोले। उसने तीन बार तलाक बोला और फोन काट दिया। मुझे न्याय चाहिए।
हैदराबाद पुलिस में एक मुस्लिम महिला ने अपने शौहर के खिलाफ टेलीफोन पर एक बार में तीन तलाक देने की शिकायत दर्ज करायी है। पीड़िता का दावा है कि उसके पति ने दहेज को लेकर हुई अनबन के बाद उसे तलाक दे दिया। महिला ने पुलिस में एक ऑडियो रिकॉर्डिंग सौंपी है जिसमें कथित तौर पर उसका पति उसे तलाक देने की बात कह रहा है। सेन्ट्रल क्राइम स्टेशन में महिला पुलिस थाने की पुलिस निरीक्षक जे मंजुला ने बताया कि शिकायत के आधार पर मामले की जांच चल रही है।
पुलिस ने पीटीआई-भाषा को बताया कि हम अपने कानूनी विशेषज्ञों से इस बात की सलाह ले रहे हैं कि क्या तीन तलाक पर हालिया अध्यादेश के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। पीड़िता ने अपनी शिकायत में कहा है कि उसका निकाह जनवरी 2017 में हुआ था और निकाह के एक माह बाद ही उसके शौहर मोहम्मद मुजम्मिल ने उसका उत्पीड़न शुरू कर दिया था।
इस वर्ष फरवरी में बच्ची को जन्म देने के बाद उसके ऊपर अत्याचार बढ़ गए। उसने कहा, ‘‘28 नवंबर को उसने (पति ने) मुझे व्हाट्सएप पर कॉल किया और मुझे अपशब्द बोले। उसने तीन बार तलाक बोला और फोन काट दिया। मुझे न्याय चाहिए। मुझे पता चला है कि वह किसी अन्य महिला से निकाह करना चाहता है।’’ पुलिस अधिकारी ने बताया कि वे व्हाट्सएप कॉल का डाटा पाने के लिए साइबर विशेषज्ञों से सलाह ले रहे हैं।
Hyderabad: Police have registered a case here against a man for allegedly giving triple talaq to his wife on the phone over dowry demand. The complainant has also submitted an audio record in her defence. (19.12) pic.twitter.com/gudAMZwZnO
— ANI (@ANI) December 21, 2018
उल्लेखनीय है कि मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक पहले लोकसभा में पारित हो गया था लेकिन राज्यसभा में यह पारित नहीं हो सका ।
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय ने शायरा बानो बनाम भारत संघ एवं अन्य के मामले तथा अन्य संबद्ध मामलों में 22 अगस्त 2017 को 3 : 2 के बहुमत से तलाक ए बिद्दत :एक साथ और एक समय तलाक की तीन घोषणाएं: की प्रथा को समाप्त कर दिया था जिसे कतिपय मुस्लिम पतियों द्वारा अपनी पत्नियों से विवाह विच्छेद के लिये अपनाया जा रहा था ।
इसमें कहा गया है कि इस निर्णय से कुछ मुस्लिम पुरूषों द्वारा विवाह विच्छेद की पीढ़ियों से चली आ रही स्वेच्छाचारी पद्धति से भारतीय मुस्लिम महिलाओं को स्वतंत्र करने में बढ़ावा मिला है।
संसद में लंबित विधेयक
यह अनुभव किया गया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश को प्रभावी करने के लिये और अवैध विवाह विच्छेद की पीड़ित महिलाओं की शिकायतों को दूर करने के लिये राज्य कार्रवाई अवश्यक है । ऐसे में तलाक ए बिद्दत के कारण असहाय विवाहित महिलाओं को लगातार उत्पीड़न से निवारण के लिये समुचित विधान जरूरी था । लिहाजा मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2017 को दिसंबर 2017 को लोकसभा में पुन: स्थापित किया गया और उसे पारित किया गया था ।
संसद में और संसद से बाहर लंबित विधेयक के उपबंधों के विषय में चिंता व्यक्त की गई थी। इन चिंताओं को देखते हुए अगर कोई विवाहित मुस्लिम महिला या बेहद सगा (ब्लड रिलेशन) व्यक्ति तीन तलाक के संबंध में पुलिस थाने के प्रभारी को अपराध के बारे में सूचना देता है तो इस अपराध को संज्ञेय बनाने का निर्णय किया गया।
मजिस्ट्रेट की अनुमति से ऐसे निबंधनों की शर्त पर इस अपराध को गैर जमानती एवं संज्ञेय भी बनाया गया है । इसमें कहा गया कि ऐसे में जब विधेयक राज्यसभा में लंबित था और तीन तलाक द्वारा विवाह विच्छेद की प्रथा जारी थी, तब विधि में कठोर उपबंध करके ऐसी प्रथा को रोकने के लिये तुरंत कार्रवाई करने की जरूरत थी। उस समय संसद के दोनों सदन सत्र में नहीं थे। ऐसे में 19 सितंबर 2018 को मुस्लिम विवाह अधिकार संरक्षण अध्यादेश 2018 लागू किया गया।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)