BPSC का इंटरव्यू क्लियर कराने के लिए भाजपा के पूर्व विधान पार्षद ने मांगे 30 लाख रुपये, केस दर्ज, जल्द होंगे गिरफ्तार!
By एस पी सिन्हा | Published: September 18, 2019 06:06 PM2019-09-18T18:06:51+5:302019-09-18T18:06:51+5:30
पूर्व विधान पार्षद रामकिशोर सिंह पर बीपीएससी की 56वीं से 58वीं संयुक्त प्रवेश परीक्षा में उम्मीदवार को इंटरव्यू में पास कराने के लिए 30 लाख रुपये मांगे जाने का आरोप लगा है. इस आरोप के बाद उन पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1-डी), 7, 8, आइपीसी की धारा- 120 (बी) समेत अन्य धाराओं में निगरानी ब्यूरो ने प्राथमिकी दर्ज किया है.
बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) में भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ है. भ्रष्टाचार के यह आरोप भाजपा के पूर्व विधान पार्षद और आयोग के सदस्य पर लगे हैं. इस मामले में बिहार बीपीएससी के सदस्य रामकिशोर सिंह और उनके सहयोगी परमेश्वर राय पर निगरानी ने भ्रष्ट आचरण को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई है. निगरानी ने प्राथमिकी की जानकारी निगरानी की विशेष कोर्ट को भी दे दी है. सिंह पर पर नंबर बढ़ाने के नाम पर आवेदक से 30 लाख रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार आयोग के सदस्य और पूर्व विधान पार्षद रामकिशोर सिंह पर बीपीएससी की 56वीं से 58वीं संयुक्त प्रवेश परीक्षा में उम्मीदवार को इंटरव्यू में पास कराने के लिए 30 लाख रुपये मांगे जाने का आरोप लगा है. इस आरोप के बाद उन पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1-डी), 7, 8, आइपीसी की धारा- 120 (बी) समेत अन्य धाराओं में निगरानी ब्यूरो ने प्राथमिकी दर्ज किया है. आरोप है कि भाजपा के पूर्व विधान पार्षद डॉक्टर रामकिशोर सिंह ने बिहार के पुलिस प्रशासन पर पुरी हुकूमत कायम करने के लिए डीएसपी और डिप्टी कलेक्टर बनाने की फैक्ट्री खोली थी. पूर्व विधान पार्षद का खास परमेश्वर राय दलाल के रूप में बाहरी सेटिंग्स करता था, लेकिन इस पूरे मामले की भनक निगरानी विभाग को लग गई. इसके बाद निगरानी विभाग ने ऐसा जाल बिछाया कि बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्य सह भाजपा के पूर्व विधान पार्षद डा रामकिशोर सिंह और दलाल परमेश्वर राय पूरे सबूत के साथ पकड में आ गये.
निगरानी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मामला करीब डेढ़ साल पुराना है. बीपीएससी में बतौर सदस्य काम करने वाले रामकिशोर सिंह ने आयोग की 58वीं और 59वीं मौखिक परीक्षा में नंबर बढाने के नाम पर आवेदक से 30 लाख रुपये की मांग की थी. उन्होंने इस कार्य में अपने सहयोगी परमेश्वर राय की मदद ली. 30 लाख रुपये की रकम मांग की शिकायत परीक्षार्थी ने निगरानी ब्यूरो में दर्ज कराई. परीक्षार्थी और रामकिशोर सिंह के बीच कई राउंड में फोन पर बात भी हुई. जिसकी निगरानी ब्यूरो की ओर से रिकॉर्डिंग कराई गई. निगरानी सूत्रों ने बताया कि राम किशोर सिंह और परीक्षार्थी के बीच फोन पर हुई बातचीत की कुछ रिकॉर्डिंग को ब्यूरो ने जांच के लिए चंडीगढ की सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब भेजा था. जांच में अब इस बात की पुष्टि हो गई है कि आवाज रामकिशोर सिंह की ही है. जिसके बाद निगरानी ने 13 सितंबर को ही मुकदमा कायम कर दिया. अब उनसे पूछताछ होगी.
इधर, निगरानी की प्राथमिकी को लेकर आयोग के सदस्य रामकिशोर सिंह ने कहा कि इस मामले में सच्चाई कुछ भी नहीं है. कॉल में उनकी आवाज नहीं है. उन्हें साजिशन फंसाया जा रहा है. वहीं, रामकिशोर सिंह ने प्राथमिकी की भनक मिलते ही तीन दिन पहले ही आयोग की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. हालांकि उनका इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं किया गया है. रामकिशोर सिंह 2006-12 के बीच बिहार विधान परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं. उन्हें भाजपा ने विधान परिषद में भेजा था. दूसरी बार उन्हें परिषद में न भेजकर भाजपा का प्रदेश प्रवक्ता बनाया गया. लेकिन, 2013 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने के चलते उन्हें निलंबित किया गया. उस समय प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष मंगल पांडेय थे. इसके बाद भाजपा से नाराज होकर वे जदयू में शामिल हो गए. उन दिनों भाजपा-जदयू के बीच तल्खी चल रही थी. जदयू ने भी उन्हें प्रवक्ता बनाया. 2014 में वे छह वर्षों के लिए बिहार लोकसेवा आयोग के सदस्य बनाए गए.
बताया जाता है कि एक गुप्तचर ने दलाल और कैंडिडेट के साथ भाजपा के पूर्व विधान पार्षद के बीच हुई पूरी बातचीत को रिकार्ड कर लिया. इधर अब निगरानी ने उनके विरुद्ध निगरानी थाना में प्राथमिकी दर्ज कर लिया है और आगे की कानूनी कारवाई करने में जुट चुकी है. खास बात यह है कि जिस वक्त ये पूरा खेल राम किशोर सिंह और उनका एजेंट परमेश्वर राय खेल रहा था तब बीपीएससी के सैकडों अभ्यर्थी आये दिन बीपीएससी कार्यालय के बाहर हंगामा करते नजर आते थे. निगरानी टीम जल्द ही डा. राम किशोर सिंह और दलाल परमेश्वर राय को गिरफ्तार करेगी और इसके बाद की पूछताछ में और खुलासा होगा की बीपीएससी के कोई और लोग तो शामिल नहीं हैं.