हत्या के मामले में मौत की सजा पाए शख्स को सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत रिहा करने का आदेश दिया, 28 साल से जेल में था बंद, जानिए पूरा मामला

By शिवेंद्र कुमार राय | Published: March 28, 2023 01:04 PM2023-03-28T13:04:12+5:302023-03-28T13:07:41+5:30

नारायण चेतनराम चौधरी नाम के व्यक्ति पर पुणे में पांच महिलाओं और दो बच्चों की हत्या का आरोप था। 1994 में उसे गिरफ्तार किया गया था और तबसे वह जेल में था। साल 1998 में ट्रायल कोर्ट ने उसे दोषी ठहराया था और मौत की सजा सुनाई थी।

Supreme Court ordered immediate release of person sentenced to death in the murder case in jail for 28 years | हत्या के मामले में मौत की सजा पाए शख्स को सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत रिहा करने का आदेश दिया, 28 साल से जेल में था बंद, जानिए पूरा मामला

मौत की सजा पाए शख्स को सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत रिहा करने का आदेश दिया

Highlights28 साल से जेल में बंद था नारायण चेतनराम चौधरीहत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थीसुप्रीम कोर्ट ने अपराध के समय दोषी को नाबालिग माना

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के मामले में 28 साल से जेल में बंद एक ऐसे कैदी को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है जिसे मौत की सजा सुनाई गई थी। दरअसल शीर्ष अदालत ने पाया कि जब ये घटना हुई थी तब दोषी नाबालिग था।  किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के तहत, किसी नाबालिग को मृत्युदंड नहीं दिया जा सकता है और अधिकतम सजा तीन साल की सजा है। इसी को ध्यान में रखकर सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला दिया।

क्या है पूरा मामला

नारायण चेतनराम चौधरी नाम के व्यक्ति पर पुणे में पांच महिलाओं और  दो बच्चों की हत्या का आरोप था। इन महिलाओं में से एक गर्भवती थी। नारायण चेतनराम चौधरी ने इस साल 1994 में अपने दो अन्य साथियों के साथ अंजाम दिया था। 1994 में ही उसे गिरफ्तार किया गया था और तबसे वह जेल में था। साल 1998 में ट्रायल कोर्ट ने उसे दोषी ठहराया था और मौत की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी नारायण चेतनराम चौधरी की मौत की सजा बरकरार रखी थी। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर दी गई थी।

इसके बाद किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत तहत एक आवेदन दायर किया गया था जिसमें दावा किया गया था कि नारायण अपराध के समय किशोर था। पुणे के जिला और सत्र न्यायाधीश की जांच रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने नारायण चेतनराम चौधरी को तुरंत रिहा करने का आदेश पारित किया।

लॉइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने जो चार्जशीट दायर की थी उसमें अपराध के समय नारायण की उम्र 20 साल थी।  30 जनवरी 2019 को जारी जन्मतिथि प्रमाण पत्र के अनुसार नारायण का जन्म 01.02.1982 को दर्ज है। इसलिए, अपराध किए जाने की तारीख पर नारायण की उम्र 12 साल 6 महीने रही होगी। जांच के दौरान नारायण चेतनराम चौधरी की वास्तविक जन्मतिथि को लेकर कई विसंगतियां पाई गईं लेकिन अंत में शीर्ष अदालत ने उसे अपराध के समय नाबालिग माना और तुरंत रिहा करने का आदेश दिया। 

Web Title: Supreme Court ordered immediate release of person sentenced to death in the murder case in jail for 28 years

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