दमोह: एसडीओपी जेपी शर्मा को रिश्वत मामले में सजा, एएसआई बाइज्जत बरी
By नईम क़ुरैशी | Published: November 24, 2022 07:17 PM2022-11-24T19:17:34+5:302022-11-24T19:17:34+5:30
दमोह स्थित न्यायालय विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की अदालत ने आरोपी तत्कालीन एसडीओपी तेंदूखेड़ा जीपी शर्मा को धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में 3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 20,000 रूपये का जुर्माना की सजा सुनाई है।
दमोह: गुरुवार को मध्य प्रदेश के दमोह स्थित न्यायालय विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की अदालत ने आरोपी तत्कालीन एसडीओपी तेंदूखेड़ा जीपी शर्मा को धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में 3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 20,000 रूपये का जुर्माना की सजा सुनाई है। जबकि आरोपी एसआई एमटीओ, तत्कालीन वाहन चालक एएसआई विजय कुमार चढ़ार को दोषमुक्त कर दिया है।
अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक हेमंत कुमार पाण्डेय एवं अनंत सिंह ठाकुर ने की। उन्होंने बताया कि 27 सितंबर 2015 को ब्रजपाल पटेल निवासी फुटेरा हटा जिला दमोह ने एसडीओपी तेन्दुखेड़ा जीपी शर्मा के विरुद्ध पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त सागर को आवेदन पत्र दिया था कि, उसके पुत्र अजय पटेल पर थाना जबेरा में लड़की को भगाकर ले जाने के साथ एससी, एसटी एक्ट के अंतर्गत अपराध कायम किया गया था, जिसकी विवेचना एसडीओपी तेन्दूखेड़ा जीपी शर्मा कर रहे हैं।
आवेदक ने उक्त अपराध में अपने पुत्र की अग्रिम जमानत दमोह न्यायालय से मंजूर कराई थी, जिसका आदेश लेकर 22 सितंबर 2015 को आवेदक एवं उसका पुत्र अजय पटेल अपने अधिवक्ता के साथ उनके कार्यालय गया था, जहां एसडीओपी जीपी शर्मा ने जमानत तस्दीक के लिये 10,000 रुपये रिश्वत की मांग की। आवेदक रिश्वत नहीं देना चाहता था, बल्कि उसे रिश्वत लेते हुये रंगे हाथो पकड़वाना चाहता था।
उक्त शिकायत का सत्यापन लोकायुक्त पुलिस सागर द्वारा किया गया और 28 सितंबर 2015 को रिश्वत मांग वार्ता रिकॉर्ड की गई। जिसमें 29 सितंबर 2015 को आरोपी और आवेदक के मध्य रिश्वत का लेनदेन होना तय हुआ था, जिस पर लोकायुक्त पुलिस द्वारा ट्रैप दल का गठन किया गया और आरोपी एसडीओपी तेंदूखेड़ा के शासकीय आवास में आरोपी को आवेदक से 5 हज़ार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। अभियोग पत्र न्यायालय विशेष न्यायाधीश के समक्ष पैश किया गया।
न्यायालय ने प्रकरण के विचारण उपरांत अभियोजन द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजी साक्ष्य एवं मौखिक साक्ष्य व प्रस्तुत न्याय दृष्टांत एवं अभियोजन के तर्कों से सहमत होते हुए गुरुवार को पारित निर्णय में आरोपी तत्कालीन एसडीओपी तेंदूखेडा जीपी शर्मा को दोषसिद्ध पाते हुए धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में 3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 20,000 रूपये अर्थदंड से दंडित किया। जबकि आरोपी विजय कुमार चढ़ार के मामले में अपराध प्रमाणित नहीं पाया है और उसे बाइज्जत बरी कर दिया।