विकास दुबे के खिलाफ FIR कराने वाला राहुल तिवारी अब भी लापता, आखिर क्या है ये पूरी कहानी, जानिए
By विनीत कुमार | Published: July 14, 2020 07:52 AM2020-07-14T07:52:19+5:302020-07-14T08:44:22+5:30
राहुल तिवारी की ओर से कराए गए एफआईआर के बाद ही पुलिस विकास दुबे को पकड़ने बिकरु गांव गई थी, जहां मुठभेड़ में 8 पुलिसकर्मी शहीद हुए। राहुल तिवारी इस घटना के बाद से ही लापता है।
यूपी के हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के खिलाफ जिस शख्स की ओर से कराई गई एफआईआर के बाद पुलिस इसी महीने की शुरुआत में कानपुर के बिकरु गांव में दबिश देने पहुंची थी, वो अब तक लापता है। राहुल तिवारी नाम के इस शख्स के परिवार सहित पुलिस ने भी इसकी पुष्टि की है। इसी घटनाक्रम में डीएसपी देवेंद्र मिश्रा सहित 8 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे और फिर कई दिन फरार रहा विकास दुबे भी आखिरकार कथित एनकाउंटर में मारा गया।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार राहुल तिवारी शिकायतकर्ता होने के नाते पूरे मामले का अहम चश्मदीद है। पुलिस फिलहाल राहुल तिवारी की खोज में लगी हुई है।
वहीं, राहुल तिवारी की मां सुमन देवी ने बताया है कि उनकी अपने बेटे से आखिरी बार बात 2 जुलाई को हुई थी। राहुल की मां ने बताया, 'वो फोन पर डरा हुआ लग रहा था। इसके बाद वो अपनी पत्नी, बच्चों और साली के साथ लापता हो गया है। मुझे उसके बाद से कोई जानकारी नहीं मिली है।'
पुलिस की जांच के अनुसार बिकरू से सटे जादेपुर निवादा गांव का रहने वाला राहुल तिवारी मोनिका निवादा गांव में अपने ससुराल से संबंधित जमीन को बेचना चाहता था। ऐसे में उसकी पत्नी की बहन ने इस बिक्री का विरोध किया। इसमें से बिकरू गांव में रहने वाली एक बहन ने इस संबंध में विकास दुबे से मामले में हस्तक्षेप करने को कहा था।
यही से तिवारी और विकास दुबे के बीच दुश्मनी शुरू हुई। पुलिस की जांच के अनुसार विकास दुबे ने एक जुलाई को सरेआम तिवारी की पिटाई भी की थी। इस घटना के अगले दिन राहुल ने तब चौबेपुर थाना के एसओ रहे विनय तिवारी को लिखित शिकायत दर्ज कराई थी।
इस पर विनय तिवारी ने शिकायत दर्ज करने की बजाय राहुल को अपने साथ चलकर विकास दुबे से मिलने और सुलह के लिए कहा। हालांकि, विकास दुबे ने दोनों की पिटाई कर दी। इस घटना के बाद डीएसपी देवेंद्र मिश्रा के कहने पर एफआईआर दर्ज हो सकी।
इसके कुछ घंटों बाद देवेंद्र मिश्रा ने 25 पुलिसकर्मियों के साथ एक टीम बनाई और देर रात बिकरु गांव में छापेमारी की तैयारी की। हालांकि, पुलिस इस ऑपरेशन में विफल रही और विकास सहित उसके गुर्गों ने 8 पुलिसवालों की हत्या कर दी। इसके अलावा 5 पुलिसकर्मी सहित एक होमगार्ड और एक नागरिक भी इस घटना में घायल हुआ।