बिहार में 7 साल के नाबालिग भांजे को पोर्न दिखाकर सगे मामा ने किया था यौन उत्पीड़न, मिली 20 साल की सजा
By अनुराग आनंद | Published: March 10, 2021 08:14 AM2021-03-10T08:14:26+5:302021-03-10T08:16:27+5:30
करीब चार साल पहले पटना में अपने नाबालिग रिश्तेदार के साथ यौन उत्पीड़न करने के मामले में एक विशेष POCSO अदालत ने एक व्यक्ति को 20 साल कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
पटना: बिहार की राजधानी पटना में एक विशेष पॉक्सो अदालत ने चार साल पहले के यौन उत्पीड़न के एक मामले में 25 वर्षीय शख्स को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
7 साल के नाबालिग भांजे को पोर्न दिखाकर उसके साथ यौन उत्पीड़न करने के मामले में कोर्ट ने आरोपी शख्स को दोषी ठहराया है। अदालत ने दोषी कमल कुमार पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
टाइम्स नाऊ के मुताबिक, कथित तौर पर, 7 अप्रैल 2016 को पीड़ित की मां ने पटना के दानापुर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया था कि उसके रिश्तेदार कमल कुमार जो उसके घर के पास रहते हैं, उसने उसके नाबालिग बेटे को पोर्न देखने के लिए मजबूर किया था।
पीड़ित की मां ने पुलिस के समक्ष इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी-
पीड़ित की मां ने केस में बताया कि आरोपी ने नाबालिग को अपने पास बुलाकर उसका यौन शोषण किया था। नाबालिग की मां का कहना था कि इस घटना ने नाबालिग के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित किया था।
नाबालिग को पोर्न दिखाकर आरोपी करता था यौन उत्पीड़न-
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आरोपी कमल कुमार पीड़ित बच्चे को अपने कमरे में टीवी देखने के लिए बुलाया करता था। इसके बाद वह नाबालिग को पोर्न दिखाकर नग्न होने के लिए मजबूर किया करता था। यही नहीं अश्लील सामग्री दिखाते हुए उसके साथ आरोपी अप्राकृतिक यौन संबंध बनाता था।
आरोपी ने नाबालिग को धमकी देकर घटना के बारे में किसी को नहीं बताने के लिए कहा था-
बाद में आरोपी ने नाबालिग को धमकी देकर इस घटना के बारे में किसी को नहीं बताने के लिए कहा था। पुलिस ने नाबालिग पीड़ित बच्चे की मां की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद विशेष POCSO अदालत में मुकदमा शुरू हुआ था।
पॉक्सो अदालत ने आरोपी को दोषी बताकर ये सजा सुनाई-
सोमवार को ट्रायल संपन्न हुआ। विशेष पॉक्सो अदालत ने कुमार को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया और उन्हें 50,000 रुपये का जुर्माना लगाने के अलावा 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई।