दिल्ली एम्स: साइबर हमले के कारण 3 दिन से नहीं हो पा रहे है संस्थान में कोई काम, मरीजों के 4 करोड़ डेटा के बदले हैकर मांग रहे भारी रकम

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 25, 2022 08:33 PM2022-11-25T20:33:20+5:302022-11-25T20:49:49+5:30

आपको बता दें कि मामले की गंभीरता को देखते हुए गुरुवार देर शाम राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने एम्स का दौरा किया और डाटा चोरी के मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े पहलुओं की समीक्षा भी की है।

no works in Delhi AIIMS for last 3 days due to cyber attack hackers demand huge amount money 4 crore patients data | दिल्ली एम्स: साइबर हमले के कारण 3 दिन से नहीं हो पा रहे है संस्थान में कोई काम, मरीजों के 4 करोड़ डेटा के बदले हैकर मांग रहे भारी रकम

फोटो सोर्स: ANI फाइल फोटो

Highlightsदिल्ली एम्स पर साइबर हमले के कारण पिछले 3 दिनों से काम-काज पूरा ठप पड़ा हुआ है। ऐसे में 4 करोड़ मरीजों के डेटा के लिए हैकर भारी फिरौती की भी मांग कर रहे है। इस अटैक को लेकर यह आशंका जताई जा रही है कि इसके पीछे चीनी साइबर अपराधियों का हाथ है।

नई दिल्ली: देश के सबसे महत्वपूर्ण चिकित्सा केंद्र अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली के सर्वर में साइबर अपराधियों ने सेंध लगा कर लगभग चार करोड़ मरीजों का डाटा चोरी कर लिया है। साथ ही संस्थान में कोरोना पर हुई रिसर्च से जुड़े अहम दस्तावेज भी चोरी हो गए हैं। इस वजह से पिछले तीन दिनों से संस्थान का काम लगभग ठप पड़ा है। अधिकतर विभाग मोबाइल फोन के डाटा से अपना कंप्यूटर चला रहे हैं।

हैक हुए डेटा की वापसी के लिए मांगी गई है भारी रकम

बुधवार दोपहर में हुए इस साइबर हमले को विदेश से संचालित आतंकवादियों का काम करार दिया जा रहा है। हालांकि इस बारे में अभी तक किसी सरकारी एजेंसी ने कोई आधिकारिक सूचना नहीं जारी की है लेकिन माना जा रहा है कि अपराधियों ने डाटा वापस करने के लिए एक बड़ी रकम की मांग की है।

चीन से जुड़े हैकर ने की है डेटा की चोरी- संस्थान सूत्र

गुरुवार देर रात इस मामले में एम्स अधिकारियों ने पुलिस में एक रिपोर्ट दर्ज कराई है जिसमें इस हमले को विदेशी साइबर आतंकियों का काम बताया है। दिल्ली पुलिस के एक प्रवक्ता के मुताबिक, एम्स द्वारा दर्ज कराई रिपोर्ट सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत आतंकवाद की धारा 66एफ और कंप्यूटर से जुड़े धोखाधड़ी की धारा 66 और फिरौती वसूल करने संबंधी आईपीसी की धारा 385 के तहत दर्ज की गई है। संस्थान से जुड़े सूत्रों के अनुसार, इसमें चीन से जुड़े हैकरों का हाथ बताया जा रहा है।

आईटी मंत्रालय के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी अन्य एजेंसियां एम्स के सिस्टम को बचाने में जुटी हैं। सूचना ब्यूरो और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन का साइबर सुरक्षा दल घटना की जांच में शामिल है। दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशन यूनिट ने मामला दर्ज किया है।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने किया एम्स का दौरा

मामले की गंभीरता को देखते हुए गुरुवार देर शाम राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने एम्स का दौरा किया और डाटा चोरी के मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े पहलुओं की समीक्षा की। केंद्र सरकार ने देश के सभी प्रतिष्ठित संस्थानों को अपनी फायरवॉल मजबूत करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही सभी कर्मचारियों को कहा गया है कि वे निजी ईमेल का इस्तेमाल सरकारी कंप्यूटर पर न करें।

ऐसे हुई है साइबर अटैक

सूत्रों के मुताबिक, कंप्यूटर एमरजेंसी रिस्पांस टीम आफ इंडिया (सर्ट-इन )और नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) एम्स का डाटा वापस हासिल करने में दिल्ली पुलिस की विशेष सेल का की मदद कर रहे हैं। उनका कहना है यह साइबर अटैक किसी भी व्यक्ति की मेल में भेजे गए कूट संदेश (इंक्रिप्टेड फाइल) के जरिए किया गया है जिसके कारण अब संस्थान अपने किसी भी फाइल और डाटा तक नहीं पहुंच पा रहा है। 

कंप्यूटर शाखा के दो कर्मचारियों को सस्पेंड भी किया गया है

एम्स के सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा कारणों से बुधवार शाम को एम्स का लैन इंटरनेट सर्वर भी बंद करना पड़ा। ऐसे में न तो ओपीडी काम कर पा रहा है और ना ही भर्ती मरीजों की लैब रिपोर्ट और बिलिंग जैसा डाटा अस्पताल को प्राप्त हो पा रहा है। एम्स परिसर में अभी मोबाइल इंटरनेट सेवा से काम चलाया जा रहा है। वहीं, देर शाम एम्स प्रबंधन ने कंप्यूटर शाखा से जुड़े दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है।

पेपरलेस अभियान को झटका

एम्स ने 1 महीने पहले ही घोषणा की थी कि वह 1 जनवरी 2023 से पेपरलेस हो जाएगा और अप्रैल 2023 से पूरी तरह डिजिटल मोड में आ जाएगा। वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार ने देश के सभी लोगों के डिजिटल हेल्थ कार्ड बनाकर उनके स्वास्थ्य से जुड़ी सभी जानकारियां राष्ट्रीय डाटा बैंक में रखने की तैयारी की है। यह साइबर अटैक इन अभियानों के लिए बड़ा झटका है।

दूसरा सबसे बड़ा शिकार

अमेरिका चिकित्सा उद्योग के बाद भारतीय चिकित्सा तंत्र साइबर हमलों का शिकार होने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है। पिछले वर्ष देश में होने वाले सभी साइबर हमलों में से लगभग 7.7% चिकित्सा तंत्र पर ही हुए थे।

पहले भी दी गई थी चेतावनी

इंटरनेट टेक्नोलॉजी से जुड़ी सिस्को इंडिया, क्राउडस्ट्राइक, साइवेयर और सोफोस इंडिया जैसी बड़ी कंपनियों ने कोरोना महामारी के दौरान ही भारतीय चिकित्सा तंत्र पर साइबर हमलों की चेतावनी दी थी। उन्होंने श्रीराम इंस्टीट्यूट, भारत बायोटेक, डॉ रेड्डीज लैब, एबॉट इंडिया, पतंजलि और एम्स के अलावा कुछ निजी फार्मा कंपनियों और अस्पतालों पर रूस, चीन और उत्तरी कोरिया के साइबर आतंकियों के हमले की आशंका जताई थी।

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