निर्भया के दोषियों की क्या है आखिरी इच्छा? किसे देना चाहते हैं प्रोपर्टी, अंतिम बार किसे चाहते हैं मिलना?, जेल प्रशासन ने पूछा
By पल्लवी कुमारी | Published: January 23, 2020 09:22 AM2020-01-23T09:22:42+5:302020-01-23T09:22:42+5:30
Nirbhaya Gangrape: दिल्ली में सात साल पहले 16 दिसंबर 2021 की रात को एक नाबालिग समेत छह लोगों ने चलती बस में 23 वर्षीय छात्रा से सामूहिक बलात्कार किया था और उसे बस से बाहर सड़क के किनारे फेंक दिया था। सिंगापुर में 29 दिसंबर 2012 को एक अस्पताल में पीड़िता की मौत हो गयी थी।
निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड में मौत की सजा पाए दोषियों को फांसी दिए जाने के लिये सात दिन की समय सीमा निर्धारित करने का अनुरोध करते हुये केन्द्र ने 22 जनवरी को उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की है। जहां एक और सरकार इस बात की कोशिश कर रही है कि निर्भया गैंगरेप के दोषियों की फांसी में देरी ना हो तो वहीं दूसरी ओर निर्भया के दोषी कोर्ट में अपनी फांसी की सजा को और लंबा खींचने के लिये तरह-तरह के याचिकाएं दायर कर रहे हैं। इसी बीच तिहाड़ जेल प्रशासन ने चारों दोषियों विनय शर्मा (26), मुकेश कुमार (32), अक्षय कुमार (31) और पवन (25) को नोटिस जारी कर उनकी आखिरी इच्छा के बारे में पूछा है।
नवभारत टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक तिहाड़ जेल प्रशासन ने चारों दोषियों को नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि एक फरवरी 2020 से पहले वो लोग आखिरी बार किससे मिलना चाहते हैं, प्रोपर्टी किसके नाम करना चाहते हैं, कोई किताब या धार्मिक ग्रंथ पढ़ना चाहते हैं, किसी धर्मगुरु को बुलाना चाहते हैं, जो भी आपकी आखिरी इच्छा हो उसे एक फरवरी से पहले बताएं और पूरा करवा लें। यह एक तरह का फांसी से पहले पूरा किया जाने वाले नियन है, जिसे जेल प्रशासन नोटिस और लिखित तरीके से दोषियों से पूछता है और उसे पूरा करवाता है।
दिल्ली की एक अदालत ने मामले के चार दोषियों - विनय शर्मा (26), मुकेश कुमार (32), अक्षय कुमार (31) और पवन (25) के खिलाफ एक फरवरी को डेथ वारंट जारी किए। इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुकेश की दया याचिका खारिज कर दी थी। अन्य तीन दोषियों ने दया याचिका दायर करने के संवैधानिक उपाय का फिलहाल इस्तेमाल नहीं किया है। इससे पहले चारों आरोपियों को 22 जनवरी को फांसी की सजा देने की तारीख तय की गई थी।
मौत की सजा पाने वाले दोषियों को सात दिन में फांसी देने के लिये केन्द्र पहुंचा न्यायालय
दिसंबर, 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में दोषियों द्वारा पुनर्विचार याचिका, सुधारात्मक याचिका और दया याचिकाएं दायर करने की वजह से मौत की सजा के फैसले पर अमल में विलंब के मद्देनजर गृह मंत्रालय की यह याचिका काफी महत्वपूर्ण है। सरकार ने जोर देते हुए कहा कि समय की जरूरत है कि दोषियों के मानवाधिकारों को दिमाग में रखकर काम करने के बजाय पीड़ितों के हित में दिशानिर्देश तय किये जाएं।
गृह मंत्रालय ने एक आवेदन में कहा है कि शीर्ष अदालत को सभी सक्षम अदालतों, राज्य सरकारों और जेल प्राधिकारियों के लिये यह अनिवार्य करना चाहिये कि ऐसे दोषी की दया याचिका अस्वीकृत होने के सात दिन के भीतर सजा पर अमल का वारंट जारी करें और उसके बाद सात दिन के अंदर मौत की सजा दी जाए, चाहे दूसरे सह-मुजरिमों की पुनर्विचार याचिका, सुधारात्मक याचिका या दया याचिका लंबित ही क्यों नहीं हों।