मुजफ्फरपुर शेल्टर होम की पीड़िता को गाड़ी में अगवा कर ले गये 4 लोग, चलती कार में होता रहा गैंगरेप
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 16, 2019 09:28 AM2019-09-16T09:28:33+5:302019-09-16T09:28:33+5:30
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस: साल 2018 में बिहार के मुजफ्फरपुर शहर स्थित एक बालिका गृह में 34 लड़कियों के साथ यौन शोषण का मामला प्रकाश में आने पर गत वर्ष 26 जुलाई को राज्य सरकार ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी थी।
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस की एक पीड़िता के साथ बिहार में गैंगरेप की घटना सामने आई है। बिहार के पश्चिम चंपारण जिला के नगर थाना में मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस की एक पीड़िता ने अपने साथ हुये गैंगरेप का मामला दर्ज करवाया है। पश्चिम चंपारण जिला मुख्यालय बेतिया के नगर थाना अध्यक्ष शशिभूषण ठाकुर के मुताबिक पीड़िता को इलाज के लिए शनिवार (14 सितंबर) देर शाम गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसकी मेडिकल जांचडाक्टरों की टीम द्वारा की गयी है। उन्होंने बताया कि महिला थानाध्यक्ष पूनम कुमारी ने अस्पताल पहुंचकर मामले की जांच शुरू कर दी है। पिछले साल मुजफ्फरपुर शहर स्थित एक बालिका गृह में 34 लड़कियों के साथ यौन शोषण का मामला प्रकाश में आने पर गत वर्ष 26 जुलाई को राज्य सरकार ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी थी।
पीड़िता ने अपनी शिकायत में कहा है कि शुक्रवार (13 सितंबर) की रात वह अपने मोहल्ले में ही थी। इसी दौरान कार सवार चार लोगों ने उसे गाड़ी के भीतर खींच लिया। शिकायत के अनुसार, आरोपियों ने चलती गाड़ी में उसके साथ बलात्कार किया और फिर उसे वापस मोहल्ले के पास छोड़ कर फरार हो गए।
पीड़िता के मुताबिक, आरोपियों ने नकाब पहना हुआ था, लेकिन विरोध के दौरान पीड़िता उनका नकाब हटाने में कामयाब रही। सभी युवक एक ही परिवार के हैं। नगर थानाध्यक्ष ने बताया कि शनिवार को पीड़िता ने नगर थाने में घटना की शिकायत दर्ज करायी। जिसके बाद उसे महिला थाने के संरक्षण में अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्होंने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद ही दुष्कर्म की पुष्टि हो पाएगी।
सुप्रीम कोर्ट आदेश, मुजफ्फरपुर शेल्टर होम की आठ पीड़िता को घरवालों को सौंपे
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के आरोपों की वजह से चर्चा में आये बिहार के मुजफ्फरपुर के एक आश्रय गृह की 44 में से आठ लड़कियों को सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उनके परिवारों को सौंपने का आदेश दिया है। इन आठ लड़कियां को सभी आवश्यक वित्तीय और मेडिकल सहायता उपलब्ध कराने का बिहार सरकार को निर्देश दिया। टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज (टिस) ने बिहार में संचालित आश्रय गृहों का सोशल आडिट करके अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को दी थी। टिस की रिपोर्ट से ही यह तथ्य सामने आया बिहार के मुजफ्फरपुर में एक गैर सरकारी संगठन द्वारा संचालित इस आश्रय गृह में अनेक लड़कियों का कथित रूप से यौन उत्पीड़न किया गया
सुप्रीम कोर्ट में जून महीने में केन्द्रीय जांच ब्यूरो को इस मामले की जांच पूरी करने के लिये तीन महीने का वक्त दिया था। जांच ब्यूरो को इस दौरान संदिग्ध हत्या के मामलों की भी जांच पूरी करनी थी। न्यायालय ने जांच ब्यूरो को अपनी जांच का दायरा बढ़ाने और इस अपराध में ‘बाहरी लोगों’ के शामिल होने की जांच का पता लगाने का भी निर्देश दिया था। इस मामले में सीबीआई ने आश्रय गृह में रहने वाली लड़कियों का कथित यौन शोषण और उनसे शारीरिक हिंसा के आरोपों में 21 व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है। (पीटीआई इनपुट के साथ)