मुफ्त में मोतियाबिंद का ऑपरेशन, 65 लोगों की गई आंख की रोशनी, बहुचर्चित आंख फोडवा कांड की याद ताजा

By एस पी सिन्हा | Published: December 1, 2021 04:08 PM2021-12-01T16:08:13+5:302021-12-01T21:49:11+5:30

आई हास्पिटल में मोतियाबिंद आपरेशन के बाद अबतक 12 मरीजों की आंख निकाली जा चुकी है, जबकि अस्तपाल प्रबंधन ने और सात मरीज की आंख निकालने तथा सात पर खतरा की बात कही है.

Muzaffarpur Eye Hospital ankhfodwa kand scandal 65 people lost eyesight eye burst case | मुफ्त में मोतियाबिंद का ऑपरेशन, 65 लोगों की गई आंख की रोशनी, बहुचर्चित आंख फोडवा कांड की याद ताजा

आई हॉस्पिटल में सर्जरी करते रहे और अस्पताल प्रबंधन इस मामले को दबाने के लिए हर कोशिश करता रहा.

Highlights22 नवंबर को 65 मरीजों के मोतियाबिंद का आपरेशन हुआ था.डॉक्टर एनडी साहू को अस्पताल में कॉन्ट्रैक्ट पर बुलाया था. 22 नवंबर के पहले डॉ साहू ने यहां किसी भी मरीज की सर्जरी नहीं की थी.

पटनाः बिहार के मुजफ्फरपुर में हुए मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद 65 लोगों को अंधा बना दिये जाने की घटना ने सूबे के बहुचर्चित आंख फोडवा कांड की याद ताजा कर दी है. फर्क केवल इतना है कि उस वक्त लोगों की आंख की रोशनी जानबूझकर छिनी गई थी और इस बार लापरवाही ने लोगों की आंख की रोशनी ले ली है.

मुजफ्फरपुर के जस्ट आई हॉस्पिटल में मुफ्त में मोतियाबिंद के ऑपरेशन का कैंप लगाया गया था. आई हास्पिटल में मोतियाबिंद आपरेशन के बाद अबतक 12 मरीजों की आंख निकाली जा चुकी है. जबकि अस्तपाल प्रबंधन ने और सात मरीज की आंख निकालने तथा सात पर खतरा की बात कही है. मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने वाले सभी 65 लोगों की आंखों की रोशनी संक्रमण के कारण चली गई है.

मोतियाबिंद की परेशानी से जूझ रहे इन लोगों को यह नहीं पता था कि ऑपरेशन के बाद इनकी आंख की रोशनी हमेशा के लिए चली जाएगी. बताया जाता है कि 22 नवंबर को 65 मरीजों के मोतियाबिंद का आपरेशन हुआ था. इसमें अन्य मरीजों की खोज की जा रही है. मोतियाबिंद का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर एनडी साहू को अस्पताल में कॉन्ट्रैक्ट पर बुलाया था.

हैरत की बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जब यहां छानबीन शुरू की तो यह मालूम पड़ा कि 22 नवंबर के पहले डॉ साहू ने यहां किसी भी मरीज की सर्जरी नहीं की थी. जबकि 22 नवंबर से लेकर 27 नवंबर तक डॉ साहू लगातार आई हॉस्पिटल में सर्जरी करते रहे और अस्पताल प्रबंधन इस मामले को दबाने के लिए हर कोशिश करता रहा.

वहीं, जांच टीम के सामने अपने परिजन का ऑपरेशन कराने के बाद आंख खराब होने की शिकायत लेकर पहुंची सिसवनिया की हफीजन ने बताया कि ऑपरेशन के बाद जब घर पर आंख पोंछ रही थी तो लेंस गिर गया. वह कागज में रखकर लेंस लाई थी. उधर, आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराये मरीजों की आंखों की रोशनी जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट और मानवाधिकार आयोग तक पहुंच गया है.

मामला सामने आने पर अधिवक्ता एसके झा ने सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एवं राज्य मानवाधिकार आयोग से शिकायत की है. उन्होंने आई हॉस्पिटल की भूमिका पर सवाल उठाया है. हॉस्पिटल की लापरवाही के कारण अधिकांश की आंखों की रोशनी चली गई. संक्रमण के कारण मरीजों की परेशानी बढ रही है.

उन्होंने ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर की योग्यता व अनुभव, ऑपरेशन का प्रोटोकॉल, अस्पताल के मानक आदि बिंदुओं पर जांच की आवश्यकता जताई है. इसबेच राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि जांच टीम ने अस्ताल के ओटी की मशीन का स्वाब लिया गया. साथ ही रिएजेंट का सैपल लिया गया है, जिससे ऑपरेशन के पूर्व आंख की सफाई की जाती है. जांच रिपोर्ट दो-तीन दिनों में प्राप्त हो जायेगी, जिससे पता चलेगा कि मरीजों की आंखों में संकमण फैलने की वजह क्या रही है?

Web Title: Muzaffarpur Eye Hospital ankhfodwa kand scandal 65 people lost eyesight eye burst case

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