सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार को लगाई फटकार, कहा- मुजफ्फरपुर शेल्टर की असलियत जाने बिना फंडिंग क्यों?
By पल्लवी कुमारी | Published: August 7, 2018 01:09 PM2018-08-07T13:09:28+5:302018-08-07T13:09:28+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा पीड़िताओं के चेहरे छुपाकर भी उन्हें न दिखाया जाए।
नई दिल्ली, 7 अगस्त: बिहार के मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम में नाबालिग बच्चियों के साथ रेप के मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार को फटकार लगाई है। इस ममामे में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत ने संज्ञान लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से कुछ सवालों के जवाब मांगे हैं...
- सुप्रीम कोर्ट ने पूछा मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम की सच्चाई जानें बिना फंडिंग क्यों की जा रही थी?
- सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि राज्य के इन सारे शेल्टर होम को पैसे कौन दे रहा है?
- सुप्रीम कोर्ट ने पूछा मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम को फंडिंग कौन करता है?
- सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा, जांच में इतनी देरी क्यों की गई?
- सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा पीड़िताओं के चेहरे छुपाकर भी उन्हें न दिखाया जाए। उन्हें किसी भी तरह से मीडिया में ना लाया जाए। बता दें कि पटना के एक सोशल वर्कर ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिख कर बताया था कि पीड़िताओं के इंटरव्यू कैसे लिए जा रहे हैं?
#MuzaffarpurShelterHome case: Supreme Court raps the shelter home, asks 'who is giving money to the shelter home in the state?'
— ANI (@ANI) August 7, 2018
क्या था मामला
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआईएसएस), मुम्बई द्वारा अप्रैल में राज्य के समाज कल्याण विभाग को सौंपी गई एक ऑडिट रिपोर्ट में यह मामला सबसे पहले सामने आया था।
बालिका गृह में रहने वाली 42 में से 34 लड़कियों के चिकित्सकीय परीक्षण में उनके साथ यौन उत्पीड़न की पुष्टि हुई है। एनजीओ ‘सेवा संकल्प एवं विकास समिति’ द्वारा चलाए जा रहे बालिका गृह का मालिक बृजेश ठाकुर इस मामले में मुख्य आरोपी है। इस मामले में 31 मई को 11 लोगों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। ठाकुर समेत 10 लोगों को तीन जून को गिरफ्तार किया गया था। एक व्यक्ति फरार है।
बिहार पुलिस ने 26 जुलाई को इन आरोपियों के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) की अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था। राज्य सरकार ने 26 जुलाई को इसकी जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी और बाद में सीबीआई ने इसकी जांच राज्य पुलिस से अपने हाथ में ले ली थी।
यौन उत्पीड़न कांड का खुलासा होने के बाद से पहली बार प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव से ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए संबंधित विभागों के परामर्श के साथ संस्थागत प्रणालियां विकसित करने को कहा है। उन्होंने कहा, “यह जरूरी है क्योंकि समाज में सभी तरह के लोग रहते हैं और वे एक छोटा सा मौका मिलते ही गलत काम में शामिल हो सकते हैं।”
कार्यक्रम में बिहार समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा भी मौजूद थीं जो मामले में अपने पति का नाम सामने आने के बाद से विवाद के केंद्र में हैं। संवाददाताओं ने जब वर्मा की टिप्पणी जाननी चाही तो उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और उनके अंगरक्षक ने मीडियाकर्मियों के साथ धक्का-मुक्की की।
( भाषा इनपुट)
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