मुंबई: फर्जी वेबसाइट रैकेट का भंडाफोड़, 10 हजार लोगों से 10 करोड़ की ठगी, जानिए कैसे लगाया जाता था चूना
By विनीत कुमार | Published: January 8, 2021 09:06 AM2021-01-08T09:06:08+5:302021-01-08T09:14:05+5:30
मुंबई पुलिस ने ऑनलाइन ठगी के बड़े गैंग के 6 सदस्यों को गिरफ्तार किया है। ये लोग ई-कॉमर्स कंपनियों के नाम से फर्जी वेबसाइट बनाते थे और लोगों से ठगी करते थे। ये सबकुछ सोशल मीडिया के माध्यम से होता था।
मुंबई पुलिस की साइबर सेल ने बुधवार को ऑनलाइन फर्जी वेबसाइट रैकेट चलाने वाले एक गैंग के छह सदस्यों को पकड़ा। आरोपों के अनुसार ये ग्रुप करीब 10 हजारों लोगों के साथ 10 करोड़ से ज्यादा की ठगी कर चुका है।
मुंबई पुलिस ने इस संबंध में 6 आरोपियों को भोपाल और पश्चिम बंगाल से पकड़ा है। पुलिस के अनुसार इस गैंग ने नामी 125 ई-कॉमर्स कंपनियों के नाम से फर्जी वेबसाइट बना रखी थी। ये लोग फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रचार कर लोगों को लुभाते थे।
ऑनलाइन ठगी: असली-नकली में अंतर करना मुश्किल
पुलिस के अनुसार सोशल मीडिया पर आए लिंक पर क्लिक करने के साथ ये आपको फेक वेबसाइट पर ले जाता है जो कि देखने में असली वेबसाइट की तरह लगता है। ये इस तरह डिजायन किया रहता है कि आम लोग बहुत मुश्किल से नकली और असली में फर्क कर पाते हैं।
पुलिस के अनुसार, 'उदाहरण के लिए अगर ये वेबसाइट एलपीजी कनेक्शन के लेने के लिए है तो ये आपसे सभी सूचनाएं मांगेगा। इसमें आईडी प्रूफ से लेकर दूसरे दस्तावेज आदि के रिकॉर्ड शामिल होंगे। इसके बाद आपसे कुछ पैसे भी मांगे जाएंगे। ऐसा ही असली वेबसाइट पर भी होता है। लोग यहां झांसे में आकर सभी डिटेल्स भरते हैं और पैसे भी जमा करते हैं और फिर बाद में उन्हों मालूम चलता है कि वे ठगे गए हैं।'
ऑनलाइन ठगी से बचने के लिए क्या करें
पुलिस ने बताया कि ऐसी ही एक शिकायत साइबर सेल के पास 15 दिसंबर को आई थी। इस मामले में उससे 3.5 लाख की ठगी की गई जो कि मांगी गई रकम का आधा ही था। पुलिस ने बताया है कि ऑनलाइन फर्जीवाड़े के मामले में और आरोपियों की तलाश हो रही है। 123 फर्जी वेबसाइट को लेकर भी जांच चल रही है।
पुलिस ने लोगों को साथ ही आगाह किया है वे सोशल मीडिया पर आने वाले भ्रामक प्रचार लिंक पर क्लिक नहीं करें। पुलिस के अनुसार अगर लोगों को किसी वेबसाइट पर जाकर कुछ खरीदना भी है तो उन्हें सीधे सर्च इंचन से सर्च कर उस वेबसाइट पर जाना चाहिए। साथ ही पुलिस ने बताया कि किसी भी तरह का संदेह होने पर लोगों को साइबर सेल को इस संबंध में सूचना जल्द से जल्द देनी चाहिए।