सूरत: महिला ट्रेनी क्लर्क कर्मचारियों का बिना कपड़ों के लिया मेडिकल टेस्ट, महिलाओं से पूछे गए कई अभद्र सवाल
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 21, 2020 02:10 PM2020-02-21T14:10:12+5:302020-02-21T14:10:12+5:30
यह मामला सूरत म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (एसएमसी) के एक अस्पताल का है। जहां महिला ट्रेनी क्लर्क भर्ती के लिए मेडिकल टेस्ट कराने आईं महिलाओं को निर्वस्त्र खड़ा किया गया
हाल ही में गुजरात के एक हॉस्टल में लड़कियों से जबरन मासिक धर्म की जांच कराने मामले के कुछ ही दिन बाद अब सूरत के एक अस्पताल में महिला ट्रेनी क्लर्क कर्मचारियों को बिना कपडों का मेडिकल टेस्ट कराने का मामला सामने आया है। यह मामला सूरत म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (एसएमसी) के एक अस्पताल का है। जहां महिला ट्रेनी क्लर्क भर्ती के लिए मेडिकल टेस्ट कराने आईं महिलाओं को निर्वस्त्र खड़ा किया गया और उनसे अभद्र सवाल भी पूछे गए।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक करीब 100 ट्रेनी कर्मचारियों फिटनेस टेस्ट के लिए सूरत नगर आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान पहुंचे। यहां उन्हें घंटों पर बिना कपड़ों के खड़ा ही नहीं बल्कि उनसे कुछ निजी सवाल भी पूछे गए। बताया जा रहा है कि कई अविवाहित महिलाओं से पूछा गया कि क्या वे कभी गर्भवती हुई हैं?
रिपोर्ट के मुताबिक एक ऑफिसर ने बताया कि जिस कमरे में महिलाओं निर्वस्त्र किया गया वहां का दरावाजा भी ठीक से बंद नहीं हो पा रहा था। महिलाओं ने आरोप लगया कि वहां जांच कर रही महिला डॉक्टरों ने भी बदसलूकी की।
कच्छ में जबरन मासिक जांच मामले में 4 शिक्षक गिरफ्तार
गुजरात में कच्छ जिले में एक कॉलेज के प्रधानाचार्य समेत चार लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, जिन पर आरोप है कि एक सप्ताह पहले उन्होंने कथित तौर पर 60 से ज्यादा छात्राओं को यह देखने के लिए अपने अंत:वस्त्र उतारने पर मजबूर किया कि कहीं उन्हें माहवारी तो नहीं हो रही है।
आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 384, 355 और 506 के तहत मामला दर्ज किया गया है। एसएसजीआई स्व-वित्तपोषित कॉलेज है जिसका अपना महिला छात्रावास है। यह संस्थान भुज के स्वामीनारायण मंदिर के एक न्यास द्वारा चलाया जाता है। कॉलेज क्रांतिगुरु श्यामजी कृष्ण वर्मा कच्छ विश्वविद्यालय से संबद्ध है। इस मामले के सामने आने के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग के सात सदस्यों के एक दल ने रविवार को छात्रावास में रहने वाली उन छात्राओं से मुलाकात की जिन्हें कथित रूप से यह पता लगाने के लिए अंत:वस्त्र उतारने पर मजबूर किया गया था कि कहीं उन्हें माहवारी तो नहीं आ रही।
जानें पूरा मामला
यह घटना 11 फरवरी को एसएसजीआई परिसर में स्थित हॉस्टल में हुई थी। उसने आरोप लगाया कि करीब 60 छात्राओं को महिला कर्मचारी शौचालय ले गईं और वहां यह जांच करने के लिए उनके अंत:वस्त्र उतरवाए गए कि कहीं उन्हें माहवारी तो नहीं हो रही। जांच के बाद विश्वविद्यालय की प्रभारी कुलपति दर्शना ढोलकिया ने कहा था कि लड़कियों की जांच की गई क्योंकि छात्रावास में माहवारी के दौरान लड़कियों के अन्य रहवासियों के साथ खाना न खाने का नियम है। छात्रावास की कर्मचारियों ने जांच करने का फैसला तब किया जब उन्हें पता चला कि कुछ लड़कियों ने नियम तोड़ा है। पुलिस ने पूर्व में कहा था कि उसने मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन किया है और महिला पुलिस अधिकारियों को इसका सदस्य बनाया गया है।